नई दिल्ली. केंद्रीय स्‍वास्‍थ्‍य मंत्री मनसुख मंडाविया ने सवाल पूछते हुए कहा, जब कभी भी मैं किसी अस्‍पताल में गार्ड और बाउंसर को देखता हूं तो हमेशा ये प्रश्‍न मेरे जेहन में उठता है कि इनकी जरूरत यहां क्‍यों है? उन्‍होंने कहा कि अस्‍पताल में मौजूद इन गार्ड और बाउंसर को देखकर मुझे काफी दुख होता है. एम्स के 66वें स्थापना दिवस पर केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया ने आने वाले कुछ दिनों में बड़े बदलाव के संकेत देते हुए कहा, जब कोई मरीज यहां से इलाज कराकर जाता है, तो वह संतुष्ट है या नहीं? यह जरूरी है. उन्‍होंने देश के अन्‍य राज्‍यों में बन रहे एम्‍स के बीच फैकल्टियों के रोटेशन की भी बात कही.

एम्स में पहली बार डॉक्टरों और सभी स्टाफ को संबोधित कर रहे केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया ने कहा कि मैं दिल्‍ली एम्‍स में अब तक तीन बार आ चुका हूं. जब कभी भी मैं अस्‍पताल आता हूं और गार्ड और बाउंसर देखता हूं तो दर्द होता है. सोचता हूं कि इनकी जरूरत क्‍यों पड़ती है. साफ है कि मरीजों को गुस्‍सा आता है और उन्‍हें रोकने के लिए ही इन लोगों को रखा जाता है. हमें ये समझना होगा क‍ि कहीं न कहीं कमियां है, जिसके कारण इलाज के लिए अस्‍पताल आ रहे लोगों को गुस्‍सा आता है.

हमें अस्‍पताल के अंदर कुछ ऐसा बदलाव लाने की जरूरत है क‍ि देश का हर नागरिक खुश होकर यहां से जाए. जब तक मरीज खुश नहीं है तब तक आपके इलाज की सफलता सार्थक नहीं हो सकती है. हमें इस बात का पूरा ध्‍यान रखने की जरूरत है कि मरीज खुश होकर जा रहा है या नहीं.

मरीज को माने ईश्‍वर, तो लाइन हो जाएगी कम

अस्‍पताल के बाहर मरीजों की लंबी लाइन को खत्‍म करने की जरूरत है और ये काम केवल एक डॉक्‍टर ही कर सकता है. अगर हर डॉक्टर यह सोचने लगे कि मेरे मरीज ही मेरे ईश्वर हैं, तो यह लाइन नहीं लगेगी. मरीज को देखने के लिए अगली तारीख देने के बजाय डॉक्‍टर अगर मरीज को उसी समय देख लें तो मरीजों की लाइन अपने आप कम हो जाएगी.

Source : News18

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