एक कत्ल होना था. लेकिन शर्त ये थी कि जिसका कत्ल हो रहा है, उसका खून नहीं बहेगा. लिहाजा कातिल ब्लड बैंक पहुंच जाता है. वहां से खून की एक थैली खरीदता है. इसके बाद कत्ल होता है, लेकिन लाश गायब हो जाती है. साजिश में लिपटी इश्क की ये वो कहानी है, जिसने पुलिस को भी हैरान परेशान कर दिया था. मामला बिहार के हाजीपुर का है.

कमरे का खौफनाक मंजर
उस दिन मंगलवार था और तारीख थी 21 दिसंबर, सुबहे के 9 बजे थे. उस कमरे का मंजर सामने आया तो हर कोई दहल गया. उस कमरे में खून ही खून बिखरा पड़ा था. बिस्तर के नीचे, दीवार पर. हर तरफ़ खून के छींटे थे. और तो और कमरे में ही खून से सना सब्ज़ी काटनेवाला एक तेज़धार फहसूल भी पड़ा था. हैरानी की बात ये थी कि ये कमरा जिस नीतू नाम की महिला का था, वो रहस्यमयी तरीक़े से गायब थी. कमरे का ये मंज़र देख कर घरवालों की चीखें निकल गई. सुबह-सुबह घर में रोना-पिटना मच गया. किसी को समझ ही नहीं आ रहा था कि आख़िर आधी रात घर की बहू नीतू के साथ ऐसा क्या हुआ कि उसके कमरे में इतना ख़ून बिखरा हुआ था. खुद नीतू कहां चली गई. और तो और उसका मोबाइल फ़ोन भी लगातार स्विच्ड ऑफ आ रहा था.

निशाने पर आए ससुरालवाले
तो क्या रात को ही किसी ने फहसूल से काट कर नीतू का क़त्ल कर दिया? और सबूत मिटाने के इरादे से उसकी लाश भी गायब कर दी? सवाल यकीनन बेचैन करनेवाला था. देखते ही देखते ये ख़बर पूरे हाजीपुर में जंगल में आग की तरह फैल गई. एक परिवार की बहू का यूं घर के अंदर क़त्ल हो जाना और क़ातिलों का उसकी लाश तक को गायब कर देना अपने-आप में एक बड़ी बात थी. लेकिन चूंकि ये वारदात उसके ससुराल में हुई थी, तो लोगों के निशाने पर ससुरालवाले ही थे.

आनन-फानन में खबर नीतू के घरवालों को मिली और परिवार के लोग फ़ौरन अपनी बेटी के ससुराल आ पहुंचे. ससुरालवालों से सवाल जवाब शुरू हो गया, लेकिन नीतू का जिस तरह क़त्ल हुआ था और जैसे क़ातिलों ने उसकी लाश गायब की थी, उसे लेकर ससुरालवालों के पास भी कोई पुख्ता जवाब नहीं था. ऐसे में ससुरालवाले ही शक के दायरे में आ चुके थे.

मौके पर पहुंचे फॉरेंसिक एक्सपर्ट्स और डॉग स्क्वायड
उधर, मौके पर पहुंची बिहार की हाजीपुर पुलिस ने सीन ऑफ क्राइम का मुआयना करने के साथ-साथ मामले की पेचीदगी को देखते हुए डॉग स्क्वायड के साथ-साथ फॉरेंसिक एक्सपर्ट्स को भी बुला लिया. स्निफ़र डॉग ने कमरे का कोना-कोना सूंघा और फिर से घर से बाहर निकल रास्ते में दौड़ने लगा, लेकिन कुछ देर बाद ही उसकी दौड़ थम गई. कहने का मतलब ये कि डॉग क़ातिलों के बारे में कोई खास सुराग़ नहीं दे सका.

नीतू की सास और देवर से पूछताछ
फॉरेंसिक एक्सपर्ट्स ने कमरे से फिंगर प्रिंट के साथ-साथ वहां बिखरे खून के सैंपल कलेक्ट किए और पुलिस ने कमरे को सील कर मामले की तफ्तीश आगे बढ़ा दी. हालांकि क़ातिल कोई भी हो नीतू के घरवालों का सीधा इल्ज़ाम उसके ससुरालवालों पर ही था. जो लगातार ये कह रहे थे कि उसके ससुरालवालों ने ही दहेज के लिए उनकी बेटी का कत्ल कर दिया और सबूत मिटाने के लिए लाश तक गायब कर दी. ऐसे में बग़ैर किसी पुख्ता आधार के ही सही पुलिस ने नीतू की सास और उसके देवर को हिरासत में ले लिया और उससे पूछताछ शुरू कर दी.

पति से घंटों फोन पर बातें करती थी नीतू
छानबीन में पुलिस को पता चला कि नीतू की शादी अब से कोई डेढ़ साल पहले इस परिवार के बेटे अवधेश के साथ हुई थी. अवधेश दिल्ली की एक फैक्ट्री में काम करता था और छुट्टियों में अपने घर हाजीपुर आता था. हालांकि दूर होने के बावजूद उसकी अपनी बीवी नीतू से लगातार बात होती थी. दोनों रोज़ाना लंबी बातें किया करते थे. इत्तेफाक से अपनी क़त्ल वाली रात भी नीतू ने अपने पति अवधेश से फ़ोन पर तकरीबन डेढ़ घंटे तक बात की थी और फिर सोने गई थी. लेकिन अगले रोज़ सुबह नीतू जब देर तक अपने कमरे से बाहर नहीं निकली और उसकी सास नीतू को जगाने गई. तो कमरे का मंज़र देख कर सास के पैरों तले ज़मीन खिसक गई.

नीतू की गुमशुदगी पर उठे कई सवाल
अब सवाल ये था कि अगर नीतू का क़त्ल ससुरावालों ने नहीं किया तो फिर किसने किया? क़ातिल की नीतू से ऐसी क्या दुश्मनी थी कि उसने आधी रात घर में घुस कर उसे मार डाला? रात को घर में बहू का क़त्ल हो गया तो ससुरालवालों को इसकी भनक तक क्यों नहीं लगी? सवाल ये भी था कि क़ातिल को आख़िर नीतू की लाश ग़ायब करने की क्या ज़रूरत थी? वो लाश को मौक़ा-ए-वारदात पर छोड़ कर भी तो जा सकता था.

फोरेंसिक जांच में खून का खुलासा
पुलिस को क़त्ल के इस मामले में डॉग स्क्वायड से तो ज़्यादा मदद नहीं मिली, लेकिन फॉरेंसिक टीम ने एक बड़ा सुराग़ ज़रूर दे दिया. सुराग ये कि नीतू के कमरे में बिखरा ख़ून इंसान का ही था. यानी ये बात सही थी कि ये हमला नीतू पर ही हुआ था. और क़ातिल ने लाश भी ग़ायब कर दी थी. लेकिन चूंकि अब लाश ही गायब थी तो इस ख़ून से नीतू के ख़ून, ब्लड ग्रुप या डीएनए का मिलान करना भी फौरन नामुमकिन था. वैसे भी ये काम पेचीदा था और रिपोर्ट रातों-रात नहीं आनी थी.

कमरे से गायब थी नीतू की खास जैकेट
लेकिन इसी छानबीन में पुलिस को एक और चौंकानेवाली बात पता चली. वो ये कि नीतू के कमरे से उसका एक फेवरेट जैकेट गायब थी. असल में नीतू हमेशा ही अपनी वो फेवरेट जैकेट पहनती थी और क़त्ल की इस वारदात के बाद से नीतू के साथ-साथ उसका जैकेट भी गायब था. अगर क़ातिल ने आधी रात पर उसकी जान ली, तो उस वक़्त यकीनन नीतू वो जैकेट पहन कर तो नहीं सो रही होगी. ऐसे में जैकेट का गायब होना भी मामले को उलझा रहा था. फिर सवाल ये था कि क़ातिल नीतू का जैकेट क्यों ले गया?

नीतू की सीडीआर ने सबको चौंकाया
अब तक नीतू का पति अवधेश भी दिल्ली से हाजीपुर लौट आया था. पुलिस ने उससे भी पूछताछ की और उसने बताया कि उसकी आख़िरी बार क़त्ल वाली रात यानी 20 दिसंबर को ही नीतू से लंबी बात हुई थी. पुलिस ने नीतू के पति के बयान की तस्दीक करने का फैसला किया. साथ ही वो नीतू की ज़िंदगी में बारे में ज़्यादा से ज़्यादा जानकारी जुटाना चाहती थी. ताकि उसके दुश्मनों का पता चल सके. कुछ इसी इरादे से पुलिस ने पहले नीतू के मोबाइल फ़ोन की सीडीआर यानी कॉल डिटेल्स रिकॉर्ड निकलवाई. लेकिन सीडीआर के मुआयने ने पुलिस को चौंका दिया.

सर्विलांस का सहारा
वजह ये कि नीतू फ़ोन पर अपने पति से भी ज़्यादा किसी और से लंबी बातें किया करती थीं. और वो भी देर रात घर के सारे लोगों के सो जाने के बाद. एक अहम बात ये भी थी कि वारदात वाली रात भी पति से बातचीत करने के बाद नीतू ने उस नंबर पर देर तक बात की थी. अब पुलिस का सारा ध्यान टेक्नीकल सर्विलांस पर टिक चुका था.

सीसीटीवी कैमरे में दिखाई दी स्कॉर्पियो
पुलिस इस संदिग्ध नंबर के बारे में तो जानकारी जुटाने में लगी ही थी, पुलिस ने उनके घर के आस-पास की सीसीटीवी फुटेज की भी जांच करने की शुरुआत की. इस कोशिश में पुलिस ने देख कि देर रात एक स्कॉर्पियो बड़ी तेज़ी उसके घर के पास से निकली. यानी शक ये था कि क़ातिल जो भी हो, वो इसी स्कॉर्पियो में सवार होकर यहां पहुंचा था और नीतू की जान लेने के बाद वो लाश भी इसी गाड़ी में उठा ले गया. यानी अब पुलिस के पास दो क्लू थे. एक तो वो अंजाना नंबर और दूसरा स्कॉर्पियो कार.

मुजफ्फरपुर के युवक का निकला नंबर
पुलिस ने इन दोनों के मालिकों का पता करने के लिए पूरी ताकत झोंक दी और तब इस कहानी में पहला बड़ा और नया ट्विस्ट आया. पुलिस को पता चला कि वो मोबाइल नंबर हाजीपुर से 50 किलोमीटर दूर मुजफ्फरपुर के रहनेवाले एक नौजवान सोनू कुमार का था. ये सोनू भी कोई और नहीं बल्कि रिश्ते में नीतू के भाई का साला था. यानी नीतू का दूर का रिश्तेदार. पुलिस ने छानबीन की तो पता चला कि सोनू के पास स्कॉर्पियो भी है. अब कड़ियां एक दूसरे से जुड़ने लगी थीं.

सोनू के घर दबिश देने पहुंची पुलिस हैरान
जल्द ही हाजीपुर पुलिस मुजफ्फरपुर में सोनू के घर पर मौजूद थी. सोनू भी घर में ही मिल गया. लेकिन वहां तो सोनू के साथ नीतू भी मौजूद थी. वही नीतू जिसका 20 और 21 दिसंबर की दरम्यानी रात को क़त्ल हो चुका था. लेकिन ऐसा कैसे हो सकता था? जो मर गई, वो ज़िंदा कैसे हो सकती थी? इसका मतलब साफ था कि उस रात नीतू का क़त्ल नहीं हुआ था.

कमरे में मिला इंसानी खून किसका?
फिर सवाल ये था कि अगर नीतू का क़त्ल नहीं हुआ था, तो उसके कमरे में बिखरा वो इंसानी ख़ून किसका था? क्या नीतू को मरा हुआ दिखाने के लिए सोनू ने किसी और की जान ले ली? आख़िर ये मामला क्या था? आख़िर ये साज़िश क्या थी? पुलिस ने बग़ैर देर किए सोनू और नीतू दोनों को धर दबोचा. पता चला कि दोनों एक दूसरे से प्यार करते थे. ये सिलसिला सालों से चोरी छुपे जारी था. यहां तक कि नीतू की तरह ही सोनू की भी शादी हो चुकी थी, लेकिन दोनों का एक दूसरे से मिलना-जुलना बंद नहीं हुआ था.

हैरानी की बात ये थी कि खुद नीतू के पति और उसके घरवालों समेत कभी भी किसी को उनके इस रिश्ते की भनक तक नहीं लगी. यहां तक कि 20 तारीख की रात को जब ये वारदात हुई, तब भी नीतू की सास या घर में किसी और को नीतू के व्यवहार में कोई फ़र्क नज़र नहीं आया.

ब्लड बैंक से खरीदा गया था कमरे में मिला खून
पूछताछ से ये साफ़ हो गया कि ये शादी सोनू और नीतू ने ही मिल कर रची थी. दोनों नीतू को मरा हुआ दिखाना चाहते थे ताकि लोग उसे ढूंढना छोड़ दें और दोनों आराम से एक-दूसरे के साथ आगे की ज़िंदगी गुज़ार सकें. लेकिन सवाल ये था कि आख़िर नीतू अपनी मौत कैसे दिखाती? तो यही बात साबित करने के लिए उन्होंने मर्डर का सीन क्रिएट करने का फैसला किया. तय साज़िश के मुताबिक सोनू मुजफ्फरपुर के ब्लड बैंक से हज़ार रुपये में एक पाउच ख़ून ख़रीद कर ले आया. और फिर 20 और 21 दिसंबर की दरम्यानी रात दोनों ने कमरे में मर्डर का सीन बना दिया. उन्होंने कमरे में ख़ून बिखेरा और पहसूल में भी ख़ून लगा कर रख दिया, ताकि देखनेवालों को लगे के क़ातिल ने पहसूल से काट कर नीतू का क़त्ल कर दिया.

बहरहाल, अब सारी कहानी साफ़ हो चुकी थी. पुलिस ने नीतू और उसके आशिक़ सोनू दोनों को गिरफ्तार कर लिया. दोनों ने क़त्ल तो किसी का नहीं किया, लेकिन अपने घरवालों के साथ-साथ क़ानून को भी धोखा देने की कोशिश की. ऐसे में दोनों के खिलाफ़ आईपीसी की धारा 420 के तहत धोखाधड़ी और 120 बी के तहत आपराधिक साज़िश रचने का मामला दर्ज किया गया.

Source : Aaj Tak

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