जातीय जनगणना को लेकर बिहार की राजनीति में घमासान छिड़ा हुआ है. एक तरफ जहां तेजस्वी यादव ने जातीय जनगणना के मुद्दे पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को 72 घंटे के अंदर मिलने का अल्टीमेटम दे दिया है. वहीं, दूसरी तरफ पूर्व मुख्यमंत्री और सत्तारूढ़ एनडीए के घटक दल हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा (हम) के अध्यक्ष जीतन राम मांझी ने भी केंद्र और बिहार सरकार पर सवाल खड़ा किया है. जीतन राम मांझी ने इसे लेकर निशाना साधते हुए कहा कि जाति आधारित देश में गधों की गिनती हो सकती है, मगर जातियों की जनगणना नहीं हो सकती.

मंगलवार को जीतन राम मांझी ने ट्वीट कर कहा, ‘जाति आधारित मुल्क में गधों की गिनती हो सकती है पर जातियों की गिनती नहीं हो सकती? ‘कुछ’ लोगों को डर है कि अगर जातियों की गिनती हो गई तो दुनिया को पता लग जाएगा कि हमारे यहां किन लोगों ने किनकी हक़मारी कर देश का विकास रोक रखा है.

‘सब बढ़ेंगें तो देश बढ़ेगा.’ मांझी ने ट्वीट में एक दैनिक अखबार की खबर की कटिंग पोस्ट करते हुए लिखा कि मध्य प्रदेश के विभिन्न जिलों में गधों की संख्या दर्शाई गई है. साथ ही उन्होंने एमपी के पांच सर्वाधिक गधे वालों जिलों की भी चर्चा की है.

उधर, जातीय जनगणना के मामले में राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) ने भी मोर्चा खोल दिया है. नेता प्रतिपक्ष यादव ने पार्टी दफ्तर में प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कहा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जातीय जनगणना को लेकर 72 घंटे के अंदर उनसे मिलें. तेजस्वी ने आरोप लगाते हुए कहा कि नीतीश कुमार नहीं चाते कि राज्य में जातीय जनगणना हो.

तेजस्वी यादव के बयान पर जनता दल युनाइटेड (जेडीयू) और बीजेपी ने पलटवार किया है. जेडीयू के प्रवक्ता विवेक झा ने कहा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जातीय जनगणना के पक्ष में हैं. लेकिन तेजस्वी यादव की बेचैनी समझ से परे हैं. वहीं, बीजेपी के प्रवक्ता अरविंद सिंह ने कहा कि देश में फिर से कोरोना संक्रमण फैलता दिख रहा है मगर तेजस्वी यादव जातीय जनगणना पर राजनीति करने के लिए बेचैनी दिखा रहे हैं.

Source : News18

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