शहर में पेयजल संकट की समस्या गहराती जा रही है। नगर निगम के कई मोहल्लों में लोग पानी के लिए तड़प रहे हैं। भू-जलस्तर नीचे जाने से कई चापाकल पानी नहीं दे रहे हैं। मोटर भी पानी खींचने में हांफ रहे हैं। चंदवारा, बालूघाट, सिकंदरपुर, अखाड़ाघाट और दादर, पंखा टोली, कन्हौली, सादपुरा, बेला, मिठनपुरा समेत कई मोहल्लों में पेयजल की किल्लत है। निगम के नल पर लोगों की कतार लग रही है। लोग समय से काफी पूर्व पहुंच कर पानी का काफी समय तक इंतजार करने को मजबूर हैं। इन जगहों पर पानी के लिए लोग आपस में उलझ जा रहे हैं।
नगर निगम व जिला प्रशासन इस समस्या के निदान की ठोस पहल नहीं कर रहा। शहर के उत्तरी भाग विशेषकर नदी से सटे इलाकों में जलस्तर में तेजी से गिरावट हो रही है। अन्य इलाकों में भी जलस्तर गिर रहा है। खादी भंडार सर्वोदय ग्राम परिसर में पेयजल को लेकर हाहाकार मचा है। नगर निगम के नल से जल नहीं आ रहा है।
बिहार खादी ग्रामोद्योग संघ मातृ संस्था के अध्यक्ष रामचंद्र चौधरी ने कहा कि नगर निगम को कई बार इसकी जानकारी दी गई, मगर समस्या जस की तस है। पानी के लिए लोगों को अलसुबह से ही जगना पड़ रहा है। वहीं चर्च रोड माई स्थान की चंदा देवी व रीना देवी ने कहा कि निगम के नल से पानी नहीं आ रहा है। यहां निगम को प्रतिदिन एक टैंकर पानी देने की आवश्यकता है।
सिर्फ 78 लाख गैलन शहर को मिल रहा पानी
आबादी के हिसाब से शहरवासियों के लिए प्रतिदिन 1 करोड़ 57 लाख 50 हजार गैलन पानी की जरूरत है, लेकिन मात्र 78 लाख गैलन पानी की ही आपूर्ति हो रही है। शहरवासियों को 79.5 गैलन कम पानी मिल पाता है। जिससे आधे से अधिक आबादी को पेयजल की सुविधा से वंचित है। शहर की पानी की जरूरतों को पूरा करने के लिए केंद्र सरकार ने वर्ष 2011 में जलापूर्ति योजना मद में 98 करोड़ रुपये उपलब्ध कराए थे। नगर निगम, बुडको एवं निर्माण एजेंसी आइभीआरसीएल के बीच योजना को लेकर करार हुआ था। दो साल की समय सीमा यानि 19 दिसंबर 2013 तक योजना को पूरा करने की जिम्मेवारी तय की गई थी।
योजना के अंतर्गत शहर को दस जोन में बांटकर दस जलमीनारों एवं 29 पंप हाउसों का निर्माण करना था। साथ ही शहर के सभी मोहल्लों में पाइप लाइन का विस्तार करना था। एजेंसी पांच साल में दस प्रतिशत काम भी नहीं कर पाई। तब सरकार ने एजेंसी के साथ करार को रद कर दिया। इस बीच करोड़ों रुपये खर्च कर डाले। करार रद होने से करोड़ों रुपये की पाइन लाइन जमीन के भीतर दबकर रह गई। जो काम चल रहा था वह ठप हो गया।
Input : Dainik Jagran