एक समझदार आदमी को सारस की तरह होश से काम लेना चाहिए और जगह, वक्त और अपनी योग्यता को समझते हुए अपने कार्य को सिद्ध करना चाहिए.

किसी भी काम को करने से पहले खुद से तीन सवाल जरूर पूछिए, पहला, मैं इस कार्य को क्यों कर रहा हूं ? दूसरा, इसका परिणाम क्या हो सकता है? तीसरा क्या मैं सफल हो पाऊंगा? जब आपको इन प्रश्नों के संतोषजनक उत्तर मिल जाएं, तब आप नि:संकोच उस काम को शुरू कर सकते हैं.

किसी भी चीज से अत्यधिक लगाव या मोह आपके लक्ष्य में बाधा डालता है. यही मोह आपके दुखों का कारण बनता है. इसलिए किसी भी चीज से अत्यधिक लगाव मत करिए. खुश रहने के लिए मोह का त्याग जरूरी है.

दौलत, दोस्त, पत्नी और राज्य दोबारा हासिल किए जा सकते हैं, लेकिन ये शरीर दोबारा हासिल नहीं किया जा सकता, इसलिए अपने शरीर और सेहत का खयाल रखिए.

एक संतुलित मन के बराबर कोई तपस्या नहीं है, संतोष के बराबर कोई खुशी नहीं है, लोभ के जैसी कोई बीमारी नहीं है और दया के जैसा कोई सदाचार नहीं है.

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