INDIA
‘ड्रेस कोड है तो स्कूल-कॉलेज में वही पहना जाना चाहिए…’ हिजाब विवाद पर आदित्य ठाकरे का बयान

मुंबई. शिवसेना का मानना है कि यदि स्कूलों या कॉलेजों में पोशाक निर्धारित है तो विद्यार्थियों को वही पहनना चाहिए. महाराष्ट्र के मंत्री आदित्य ठाकरे ने कर्नाटक में हिजाब (Hijab) पर विवाद के बीच बुधवार को यह कहा. उन्होंने छात्रों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देने की भी अपील की. ठाकरे ने कहा, ‘हमारा मानना है कि जहां कहीं पोशाक निर्धारित है, उसका अनुपालन किया जाना चाहिए. हमारा मानना है कि स्कूल- कॉलेज में कोई धार्मिक विवाद नहीं होना चाहिए.’ उन्होंने एक सवाल के जवाब में कहा कि महाराष्ट्र में हिजाब (Hijab) पहनने के मुद्दे पर कोई विवाद नहीं है.
बता दें कि कर्नाटक के शैक्षणिक संस्थानों में हिजाब पहनने से रोके जाने को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर उच्च न्यायालय की पूर्ण पीठ बृहस्पतिवार को सुनवाई करेगी. मुख्य न्यायाधीश रितु राज अवस्थी ने बुधवार रात को इस मामले की सुनवाई के लिए पूर्ण पीठ गठित की, जिसमें उनके अलावा न्यायमूर्ति कृष्ण एस दीक्षित और न्यायमूर्ति के जे मोहिउद्दीन शामिल हैं. इससे पहले, इस मामले की सुनवाई कर रहे कर्नाटक उच्च न्यायालय के न्यायाधीश न्यायमूर्ति दीक्षित की एकल पीठ ने बुधवार को इस मामले को मुख्य न्यायाधीश रितु राज अवस्थी के पास भेज दिया था.
इस बीच, कर्नाटक के हिजाब विवाद की गूंज बुधवार को देशभर में सुनाई दी. कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी वाद्रा ने कपड़ों को लेकर महिलाओं की पसंद का समर्थन किया, जबकि केंद्रीय मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने पोशाक मुद्दे को ‘सांप्रदायिक रंग’ दिए जाने की आलोचना की. वहीं राज्य में शैक्षणिक संस्थानों में शांति रही. हिजाब पहने हुई लड़कियों और भगवा गमछा लिए हुए लड़कों के आमने-सामने आने के बाद मंगलवार को शैक्षणिक संस्थानों में तनाव की स्थिति बन गई थी, लेकिन बुधवार को शांति रही.
स्कूल-कॉलेज परिसर में हिजाब पर पाबंदी से जुड़े मामलों की सुनवाई कर रहे कर्नाटक उच्च न्यायालय के एकल न्यायाधीश दीक्षित ने बुधवार को इस मामले को मुख्य न्यायाधीश रितु राज अवस्थी के पास भेज दिया. एकल न्यायाधीश ने कहा कि मुख्य न्यायाधीश मामले पर गौर करने के लिए बड़ी पीठ के गठन का फैसला कर सकते हैं. वहीं, राज्य कैबिनेट ने हिजाब विवाद पर कोई भी फैसला लेने से पहले उच्च न्यायालय के आदेश का इंतजार करने का निर्णय किया है.
राज्य के उडुपी जिले के सरकारी महाविद्यालयों में पढ़ने वाली कुछ मुस्लिम लड़कियों ने हिजाब के साथ कक्षाओं में प्रवेश पर रोक के खिलाफ याचिका दायर की है. मामलों की सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति कृष्णा एस दीक्षित ने कहा कि पर्सनल लॉ के कुछ पहलुओं के मद्देनजर ये मामले बुनियादी महत्व के कुछ संवैधानिक प्रश्नों को उठाते हैं.
न्यायमूर्ति दीक्षित ने कहा, ‘ऐसे मुद्दे जिन पर बहस हुई और महत्वपूर्ण सवालों की व्यापकता को देखते हुए अदालत का विचार है कि मुख्य न्यायाधीश को यह तय करना चाहिए कि क्या इस विषय के लिए एक बड़ी पीठ का गठन किया जा सकता है.’ न्यायमूर्ति दीक्षित ने आदेश में कहा, ‘पीठ का यह भी विचार है कि अंतरिम अर्जियों को भी बड़ी पीठ के समक्ष रखा जाना चाहिए, जिसका गठन मुख्य न्यायाधीश अवस्थी द्वारा किया जा सकता है.’
हिजाब विवाद को लेकर तनाव के मद्देनजर राज्य सरकार ने मंगलवार को राज्य के सभी हाई स्कूल और कॉलेजों को तीन दिन के लिए बंद करने का आदेश दिया था, जिसके बाद शैक्षणिक संस्थानों में बुधवार को शांति रही. सूत्रों ने कहा कि उनमें से ज्यादातर पठन-पाठन के ऑनलाइन मोड में लौट आए. पूरे राज्य में प्राथमिक विद्यालय में कामकाज बिना किसी रुकावट के सामान्य रूप से संचालित हुआ.
कर्नाटक के अलग-अलग हिस्सों में हिजाब के समर्थन और विरोध में प्रदर्शन तेज होने तथा कुछ जगहों पर इसके हिंसक रूप अख्तियार करने के बाद सरकार ने राज्य के सभी हाईस्कूलों और कॉलेजों में तीन दिन का अवकाश घोषित कर दिया था. राज्य मंत्रिमंडल ने हिजाब विवाद पर कोई भी फैसला लेने से पहले उच्च न्यायालय के आदेश का इंतजार करने का निर्णय किया है.
कानून एवं संसदीय मामलों के मंत्री जेसी मधुस्वामी ने कहा, ‘हमने (मंत्रिमंडल में) हिजाब विवाद पर चर्चा की, पर चूंकि उच्च न्यायालय इस मामले में सुनवाई कर रहा है, लिहाजा हमें लगा कि मंत्रिमंडल का आज इस मुद्दे पर निर्णय लेना उचित नहीं होगा. कोई भी फैसला लेने से पहले अदालत की व्यवस्था का इंतजार करने का निर्णय लिया गया.’
पिछले हफ्ते कर्नाटक सरकार ने राज्यभर के स्कूलों और प्री-यूनिवर्सिटी कॉलेजों में छात्रों के लिए अपने या निजी संस्थानों के प्रबंधन द्वारा निर्धारित यूनिफॉर्म को अनिवार्य बनाने का आदेश जारी किया था.
कर्नाटक के गृह मंत्री अरागा ज्ञानेंद्र और राजस्व मंत्री आर अशोक ने बुधवार को कांग्रेस पर हिजाब विवाद को हवा देने का आरोप लगाया. ज्ञानेंद्र ने यहां संवाददाताओं से कहा, ‘कांग्रेस नेता हिजाब मुद्दे पर आग में घी डालने का काम कर रहे हैं. अगर वे आगे ऐसा करते रहे तो कर्नाटक के लोग उन्हें अरब सागर में फेंक देंगे.’
इस्लामिक संगठन पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया की छात्र इकाई कैंपस फ्रंट ऑफ इंडिया (सीएफआई) ने आरोप लगाया कि संघ परिवार गड़बड़ी पैदा कर रहा है. सरकार ने पूर्व में कहा था कि हिजाब विवाद को भड़काने वाले सीएफआई की भूमिका की जांच की जाएगी.
कर्नाटक में छात्राओं के हिजाब पहनने को लेकर उठे विवाद पर कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाद्रा ने कहा कि कोई महिला क्या पहनेगी यह तय करने का अधिकार किसी को नहीं है. प्रियंका ने ट्वीट किया, ‘चाहे वह बिकनी हो, घूंघट हो, जींस हो या हिजाब हो, यह फैसला करने का अधिकार महिलाओं का है कि उन्हें क्या पहनना है.’ प्रियंका गांधी ने कहा, ‘इस अधिकार की गारंटी भारतीय संविधान ने दी है. महिलाओं का उत्पीड़न बंद करो.’
अल्पसंख्यक मामलों के केंद्रीय मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने कहा कि कुछ लोग ‘भारत की समावेशी संस्कृति को बदनाम करने की साजिश’ के तहत ‘ड्रेस कोड’ और संस्थानों के अनुशासन के फैसले को ‘सांप्रदायिक रंग’ दे रहे हैं.
महाराष्ट्र के बीड शहर में ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) के कार्यकर्ताओं ने मुस्लिम छात्राओं के लिए हिजाब के समर्थन में बैनर लगाए और कहा कि भारतीय संविधान नागरिकों को उनकी धार्मिक संस्कृति का पालन करने का अधिकार देता है. बीड के बशीरगंज और करंजा इलाकों में सोमवार को ‘पहले हिजाब फिर किताब’ का संदेश देने वाले बैनर सोमवार को लगाए गए और मंगलवार को हटा दिए गए. महाराष्ट्र के ठाणे जिले की मुंब्रा बस्ती में भी सैकड़ों महिलाओं ने मुस्लिम छात्राओं के लिए हिजाब के समर्थन में प्रदर्शन किया. प्रदर्शनकारियों ने कहा कि हिजाब उनका ‘आभूषण’ है. प्रदर्शनकारियों में हिंदू महिलाएं भी शामिल थीं.
ठाणे में मुस्लिम बहुल बस्ती मुंब्रा में मुस्लिम और हिंदू महिलाओं ने हिजाब के पक्ष में तख्तियां और बैनर लेकर रेतीबंदर इलाके में प्रदर्शन किया. इस दौरान प्रदर्शनकारियों ने ‘अल्लाह-हू-अकबर’ और ‘जय श्री राम’ के नारे लगाए. विरोध का नेतृत्व सामाजिक कार्यकर्ता रूता आव्हाड ने किया.
बहरहाल, मध्यप्रदेश की भाजपा नीत सरकार ने कहा कि राज्य के शैक्षणिक संस्थानों में हिजाब पर प्रतिबंध लगाने का कोई प्रस्ताव विचाराधीन नहीं है. एक दिन पहले हिजाब पर प्रतिबंध का समर्थन करने और प्रदेश के स्कूलों में ‘यूनिफॉर्म कोड’ (एक समान पोशाक) लागू करने का बयान देने वाले मध्य प्रदेश के स्कूली शिक्षा मंत्री इंदर सिंह परमार ने कहा, ‘कुछ लोगों ने मेरे इस बयान का गलत अर्थ निकालकर गलत संदर्भ में देश के सामने रखा है.’
मध्य प्रदेश के गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने भोपाल में कहा, ‘मध्य प्रदेश में हिजाब (पहनने) को लेकर कोई विवाद नहीं है. हिजाब को लेकर कोई प्रस्ताव मध्य प्रदेश सरकार के पास विचाराधीन नहीं है.’
Source : News18
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भीम आर्मी चीफ चंद्रशेखर जयपुर में गिरफ्तार, कोविड सहायकों के धरने का समर्थन करने पहुंचे थे

राजस्थान पहुंचे भीम आर्मी चीफ चंद्रशेखर को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है. चंद्रशेखर को राजस्थान की राजधानी जयपुर में गिरफ्तार कर पुलिस ने जेल भेज दिया है. रविवार को भीम आर्मी चीफ चंद्रशेखर की गिरफ्तारी पुलिस ने जयपुर शहर में लागू धारा 144 के उल्लंघन से जुड़े मामले में की है.
राजस्थान सरकार ने @BhimArmyChief भाई चंद्रशेखर आजाद जी को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया है यह तानाशाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी जल्द रिहा करे वरना पूरे देश की भीम आर्मी राजस्थान कूच करेंगी @ashokgehlot51 pic.twitter.com/cl3qfKE7d2
— Mukesh Lahare BHIM ARMY (@mukesh_Lahare_) July 3, 2022
जानकारी के मुताबिक भीम आर्मी चीफ चंद्रशेखर जयपुर पहुंचे थे. चंद्रशेखर जयपुर में लंबे समय से चल रहे कोविड सहायकों के धरने का समर्थन करने पहुंचे थे. जयपुर में इस समय धारा 144 लागू है. बताया जाता है कि कोविड सहायकों के धरने का समर्थन करने पहुंचे चंद्रशेखर के खिलाफ धारा 144 के उल्लंघन का मामला दर्ज कर पुलिस ने गिरफ्तारी की कार्रवाई की.
बताया जा रहा है कि जयपुर पुलिस ने भीम आर्मी चीफ चंद्रशेखर को धारा 144 के उल्लंघन के मामले में गिरफ्तार कर जेल भेज दिया है. गौरतलब है कि कोरोना काल में राजस्थान सरकार ने कोविड सहायकों की नियुक्ति की थी. कोविड सहायक विभिन्न मांगों को लेकर धरना दे रहे हैं.
गौरतलब है कि कोविड स्वास्थ्य सहायक लंबे समय से अपनी मांगों के समर्थन में धरना-प्रदर्शन कर रहे हैं. भारतीय किसान श्रमिक जनशक्ति यूनियन समेत कई संगठन कोविड सहायकों के आंदोलन का समर्थन कर रहे हैं. बता दें कि जयपुर के शहीद स्मारक पर धरना दे रहे कोविड स्वास्थ्य सहायकों ने सरकार पर आरोप लगाया था कि सरकार उनकी मांगों पर ध्यान नहीं दे रही है.
BIHAR
चुपके से आई यूपी की पुलिस टीम, बिहार से ले गई तीन युवकों को

यूपी के लखनऊ में एक हत्याकांड में संलिप्तता पाए जाने के बाद एसआइटी (यूपी) की टीम ने बड़हरिया थाना क्षेत्र के अटखंबा गांव में शनिवार की सुबह तीन युवकों को गुपचुप तरीके से दबोच लिया और उन्हें अपने साथ लेकर यूपी चली गई। एसआइटी टीम में एक जवान पुलिस के वेश में था जबकि शेष सादे लिबास में थे। तीनों युवकों को हिरासत में लेकर जाने के बाद गांव में हड़कंप मच गया। गांव में चर्चाओं का बाजार गर्म था। वहीं स्वजन इस मामले में पुलिस कुछ भी नहीं बताए जाने को लेकर चिंतित हो गए।
यूपी की एसआइटी टीम आई थी बिहार
मामले में एसपी शैलेश कुमार सिन्हा ने घटना की पुष्टि करते हुए बताया कि यूपी की एसआइटी टीम ने संपर्क किया था तीनों युवकों को पूछताछ के लिए टीम अपने साथ हिरासत में लेकर गई है। इधर घटना की सूचना जैसे ही बड़हरिया थानाध्यक्ष को हुई वह मौके पर पहुंचा कर जांच में जुट गए। गांव में लगे सीसी कैमरा की मदद से उन्होंने सभी की पहचान की। थानाध्यक्ष ने बताया कि बड़हरिया थाना क्षेत्र के अटखंमबा गांव के तीन लड़कों को सिविल ड्रेस में आई यूपी पुलिस अपने साथ लेकर चली गई। सीसीटीवी फुटेज में देखा गया कि पांच लोग सिविल ड्रेस में और एक पुलिस की वर्दी में थे। प्रारंभिक जानकारी मिली है कि लखनऊ में कुछ माह पहले किसी की हत्या हुई थी और उसी संदर्भ में तीनों की संलिप्तता पाई गई है। इसमे दो सगे भाई भी शामिल हैं। यूपी पुलिस ने जिन तीन युवकों को उठाया है उसमें मंजर इकबाल, काशिफ हसन व सरफराज अहमद शामिल है।
यूपी एसआइटी टीम ने पहले मंजर को पकड़ा
थानाध्यक्ष ने बताया कि फुटेज देखने से यह प्रतीत हो रहा था कि सभी यूपी की एसआइटी टीम के सदस्य थे। टीम ने पहले मंजर को पकड़ा इसके बाद सौ मीटर की दूरी पर मौजूद दोनों भाई काशिफ एवं सरफराज को पकड़ा लिया। दोनों भाई अलीगढ़ में हाफिज की पढ़ाई करते थे। लाकडाउन के समय से सिवान में थे। वहीं मंजर नोएडा में बीटेक करता है। चार दिन पूर्व सिवान आया था। बताया कि दोनों भाई पर अलीगढ़ में केस भी है। कहते हैं अधिकारी मामले में पुलिस अधीक्षक शैलेश कुमार सिन्हा बताया कि लखनऊ पुलिस आई थी। उन तीनों को लखनऊ के किसी मर्डर केस के सिलसिले में संलिप्तता पाए जाने पर अपने साथ लेकर गई है।
Source : Dainik Jagran
INDIA
1 जुलाई से नहीं लागू हो रहे नए श्रम कानून, करना होगा और इंतजार

अटकलों के उलट नए श्रम कानून 1 जुलाई से लागू नहीं हो रहे हैं. एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने मनीकंट्रोल से बातचीत में कहा है कि नए कानूनों के 4 कोड, औद्योगिक विवाद, सामाजिक सुरक्षा, वेतन और पेशेवर सुरक्षा, पर अभी मंथन चल रहा है. बता दें कि केंद्र सरकार ने 29 श्रम कानूनों को 4 कोड में समाहित कर दिया है.
एक अन्य अधिकारी ने कहा कि यह ढांचागत बदलाव हैं और मंत्रालय श्रम कल्याण व व्यापार की सुगमता में संतुलन बनाने का प्रयास कर रहा है. उन्होंने कहा कि केंद्रीय श्रम मंत्रालय राज्यों, उद्योगों व अन्य हितधारकों के साथ बातचीत कर रहा है और अभी तक की वार्ता अच्छी रही है. बकौल अधिकारी, लेकिन 1 जुलाई को कोड नहीं लागू होने वाले हैं.
मंत्रालय करेगा औपचारिक घोषणा
श्रम एवं रोजगार मंत्रालय के अधिकारियों ने कहा है कि एक बार सारी चीजें तय होने के बाद मंत्रालय औपचारिक घोषणा करेगा, लेकिन निकट भविष्य में इससे आसार कम हैं. बता दें कि संसद ने वेतन संबंधी कोड को 2019 में और अन्य 3 कोड्स को 2020 में पारित कर दिया था, लेकिन अभी इनमें से किसी को भी लागू नहीं किया है.
नए कोड्स से क्या बदलेगा
इनका नियोक्ता और कर्मचारी दोनों पर बड़ा प्रभाव होगा. कंपनियों के लोगों को भर्ती करना और निकालना और आसान हो जाएगा. इसके अलावा औद्योगिक हड़तालें करना बेहद मुश्किल हो जाएगा. नया राष्ट्रीय वेतन नियम लागू होगा जिससे कर्मचारियों को लाभ मिलेगा और असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों को सोशल सिक्योरिटी के घेरे में लाया जाएगा. साथ ही वेतन की परिभाषा बदलेगी और संभवत: आपके हाथ में आने वाला वेतन घट जाएगा. जबकि रिटारयमेंट के लिए बचाई जाने वाली सेविंग्स बच जाएंगी. इस बिंदु का उद्यमी व नियोक्ता विरोध कर रहे हैं क्योंकि इससे उन पर वित्तीय दबाव बढ़ सकता है.
इसके अलावा नए कोड्स में साप्ताहिक काम के घंटों में कोई बदलाव नहीं है, लेकिन डेली वर्किंग आवर्स में चेंज हो सकता है. अगर कर्मचारी और नियोक्ता चाहें तो एक दिन में 12 घंटे काम के साथ हफ्ते में 4 दिन वर्किंग रख सकते हैं और 3 दिन का वीक ऑफ दे सकते हैं.
क्या है उद्योगों का रुख
एक सर्वे के अनुसार, 64 फीसदी कंपनियां मान रही हैं कि इन बदलावों से उनके मुनाफे-घाटे पर सीधा असर होगा. एडवाइजरी फर्म विलिस टावर्स वॉट्सन के इस सर्वे के मुताबिक, कम से कम 71 फीसदी कंपनियों ने इसके प्रभावों का आकलन करने के लिए कदम उठाए हैं. हालांकि, 34 फीसदी कंपनियां नए वेतन कोड के संदर्भ में किसी तरह के बदलाव को लेकर किसी नतीजे पर नहीं पहुंची है. 53 फीसदी कंपनियां रिटायरमेंट की आयु और लंबी अवधि में दिए जाने वाले बेनेफिट्स की समीक्षा पर विचार कर रही हैं.
Source : News18
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