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भगवान श्रीराम के जीवन से जुड़े सभी स्थलों के दर्शन के लिए चलेगी एसी पर्यटक ट्रेन

भगवान श्रीराम के जीवन से जुड़े स्थलों के दर्शन कराने के लिए देखो अपना देश डीलक्स एसी पर्यटक ट्रेन 22 फरवरी को दिल्ली के सफदरजंग रेलवे स्टेशन से 20 दिनों के टूर पर रवाना होगी। फर्स्ट और सेकंड एसी की सुविधा वाली इस ट्रेन में 156 यात्री यात्रा कर सकेंगे। यात्रा का पहला पड़ाव प्रभु श्रीराम का जन्म स्थान अयोध्या होगी। वहां श्रीराम जन्मभूमि मंदिर, श्री हनुमान मंदिर और नंदीग्राम में भरत मंदिर के दर्शन कराए जाएंगे। अयोध्या से रवाना होने के बाद यह ट्रेन सीतामढ़ी जाएगी, जहां जानकी जन्म स्थान और नेपाल के जनकपुर स्थित राम जानकी मंदिर के दर्शन कराएगी। अगला पड़ाव बक्सर होगा जहां रामरेखा घाट व पुरातन मंदिरों के भ्रमण के उपरांत पर्यटकों को बसों द्वारा काशी लाया जाएगा। भगवान शिव की नगरी काशी में पर्यटक मंदिरों का भ्रमण करेंगे। इस दौरान काशी प्रयाग व चित्रकूट में रात्रि विश्राम होगा। चित्रकूट से चलकर यह ट्रेन नासिक पहुंचेगी, जहां पंचवटी व त्रयंबकेश्वर मंदिर का भ्रमण किया जा सकेगा। नासिक के बाद प्राचीन किष्किंधा नगरी हंपी इस ट्रेन का अगला पड़ाव होगा, जहां अंजनी पर्वत स्थित श्री हनुमान जन्म स्थल व अन्य महत्वपूर्ण धार्मिक व विरासत मंदिरों के दर्शन कराए जाएंगे। हंपी के बाद ट्रेन रामेश्वरम पहुंचेगी। यहां से कांचीपुरमऔर अंतिम पड़ाव भद्राचलम होगा। भद्राचलम से चलकर यह ट्रेन 20वें दिन दिल्ली वापस पहुंचेगी। इस दौरान ट्रेन द्वारा लगभग 7500 किमी की यात्रा पूरी की जाएगी।
सुविधाएं
दो रेल डाइनिंग रेस्तरां और एक आधुनिक किचन कार
यात्रियों के लिए फुट मसाजर और मिनी लाइब्रेरी उपलब्ध
आधुनिक और स्वच्छ शौचालय के साथ-साथ शॉवर क्यूबिकल
सुरक्षा गार्ड और इलेक्ट्रॉनिक लॉकर की भी सुविधा।
बक्सर अथवा सीतामढ़ी स्टेशन से भी इस ट्रेन में सवार हो सकते हैं यात्री
श्रीरामायण यात्रा ट्रेन में यात्रा करने के लिए आईआरसीटीसी की वेबसाइट से टूर पैकेज कहीं से भी बुक कराया जा सकता है। बुकिंग कराने वाले यात्री अपनी सुविधानुसार इस ट्रेन के डेस्टिनेशन वाले स्टेशनों से बोर्डिंग कर सकते हैं। मसलन, दिल्ली से खुलने के बाद यात्री अयोध्या, बक्सर या सीतामढ़ी से भी ट्रेन में सवार हाे सकते हैं। लेकिन, उन्हें बुकिंग के समय इस टूर पैकेज के लिए निर्धारित किराया ही चुकाना पड़ेगा और अपने बोर्डिंग स्टेशन का नाम भी दर्ज करना होगा।
निर्धारित किराया
एसी प्रथम श्रेणी : प्रति व्यक्ति 121735 रुपए
एसी द्वितीय श्रेणी : प्रति व्यक्ति 99475 रुपए
इसमें स्वादिष्ट शाकाहारी भोजन, एसी बसों से भ्रमण, एसी होटलों में ठहरने, गाइड और इंश्योरेंस की सुविधाएं भी मिलेंगी।
Source : Dainik Bhaskar
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14 जुलाई से शुरू होगा सावन का महीना, जानिये किस तारीख को रहेंगे सावन के सोमवार

श्रावण मास को बहुत पावन माना गया है। ये मास भगवान शिव से जुड़ा हुआ है। कहा जाता है कि इस मास में आने वाले सोमवार को जो व्रत रखते हैं उन लोगों की हर कामना को शिव जी पूरा कर देते हैं। सावन का महीना पूरी तरह से भगवान शिव को समर्पित है। इस बार सावन का महीना 14 जुलाई से शुरू हो रहा है, जो कि 12 अगस्त तक चलेगा।
सावन मास के सोमवार के दिन विशेष रूप से शिव और मां पार्वती की पूजा की जाती है और कई लोग व्रत भी रखते हैं। इस बार सावन में कुल 4 सोमवार होने वाले हैं। पहला सोमवार 18 जुलाई को आ रहा है। दूसरा सोमवार 25, तीसरा 1 अगस्त को और चौथा सोमवार 8 अगस्त को पड़ेगा।
पं. शिवप्रसाद तिवारी ने बताया कि इस महीने के सोमवार का विशेष महत्व है। सावन का महीना 30 दिनों का होगा। 24 जुलाई को कामिका एकादशी, 26 जुलाई को मासिक शिवरात्रि एवं प्रदोषव्रत, 31 जुलाई को हरियाली तीज, 2 अगस्त को नागपंचमी, 8 अगस्त को पुत्रदा एकादशी, 9 अगस्त को प्रदोष व्रत, 11 अगस्त को रक्षाबन्धन व 12 अगस्त श्रावणी पूर्णिमा का पर्व मनाया जाएगा।
महादेव को सावन का महीना अत्यंत प्रिय है। पौराणिक कथा के अनुसार देवी सती ने महादेव को हर जन्म में पति के रूप में पाने का प्रण लिया था। अपने दूसरे जन्म में देवी सती ने हिमालय राज के घर में उनकी पुत्री पार्वती के रूप में जन्म लिया था। पार्वती ने शिव को पति के रूप में पाने के लिए सावन महीने में कठोर व्रत किए थे और इनकी पूजा की थी।
इनकी पूजा से प्रसन्न होकर शिव जी इनसे विवाह करने के लिए राजी हो गए थे। तब से महादेव को ये महीना अत्यंत प्रिय हो गया। कहा जाता है कि जो भी लोग सावन के दौरान शिव की पूजा करते हैं। उन लोगों को मन चाहा जीवन साथी मिल जाता है। जीवन में प्यार की कमी नहीं होती है। इसलिए कहा जाता है कि सच्चा जीवन साथी पाने के लिए सावन के दौरान शिव की पूजा जरूर करें
Source: Patrika
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अंबुबाची मेला 2022: कामाख्या मंदिर में आज से शुरू हुआ अंबुबाची मेला, जानिए इसका महत्व

51 शक्तिपीठों में से एक असम के गुवाहाटी शहर में स्थित कामाख्या देवी मंदिर उनमें से एक है। पुराणों के अनुसार, मां कामाख्या का मंदिर जहां स्थित है, वहां पर माता सती का ‘योनि भाग’ गिरा था। प्रसिद्ध शक्तिपीठ मां कामाख्या मंदिर में आज 22 जून से अंबुबाची मेले की शुरुआत हो गई है। हर साल अंबुबाची मेले का आयोजन धूमधाम के साथ किया जाता है। इसमें शामिल होने के लिए दूर-दूर से श्रद्धालु, साधु संत और तांत्रिक आते हैं।
अंबुबाची मेला कब तक लगेगा?
अंबुबाची मेल 22 जून से 26 जून तक चलेगा। 22 जून को मंदिर के कपाट बंद कर दिए जाएंगे और 26 जून को सुबह मां को स्नान आदि कराने के बाद मंदिर के कपाट खोले जाएंगे।
अंबुबाची मेला क्यों लगता है?
मान्यता है जब यह मेला लगता है तब मां कामाख्या रजस्वला रहती हैं। अंबुबाची योग के दौरान मां दुर्गा के गर्भगृह के कपाट खुद ही बंद हो जाते हैं। इस दौरान किसी को दर्शन की अनुमति नहीं होती है। तीन के बाद मां की रजस्वला समाप्ति पर उनकी विशेष पूजा-अर्चना की जाती है। चौथे दिन मां कामाख्या के कपाट भक्तों के दर्शन के लिए खोले जाते हैं। मान्यता है कि कामाख्या मंदिर में जो भक्त आकर दर्शन करता है, उसे पापों से मुक्ति मिलती है।
मिलता है विशेष प्रसाद-
कामाख्या मंदिर में भक्तों को प्रसाद के रूप में एक गीला कपड़ा दिया जाता है। इसे अंबुबाची वस्त्र कहा जाता है। मान्यता के अनुसार, देवी के रजस्वला के दौरान प्रतिमा के आसपास सफेद कपड़ा बिछा दिया जाता है। तीन दिन बाद जब मंदिर के कपाट खोले जाते हैं तब यह वस्त्र माता के रज से लाल हो जाता है।
दर्शन का समय-
अम्बुबाची मेला आरम्भ: 22 जून 2022, बुधवार
अम्बुबाची मेले समाप्त: 26 जून 2022, रविवार
मंदिर बंद होने का दिन: 22 जून 2022, बुधवार
मंदिर खुलने का दिन: 26 जून 2022, रविवार
दर्शन करने का दिन: 26 जून 2022 रविवार
दर्शन का समय: सुबह 5:30 से रात 10:30 बजे
कैसे पहुंचे कामाख्या मंदिर
आप कामाख्या मंदिर पर ट्रेन और सड़क के रास्ते से पहुंच सकते हैं। कामाख्या मंदिर पहुंचने के लिए आपके लिए बेहतर रहेगा कि आप सबसे पहले गुवाहाटी रेलवे स्टेशन पहुंचे। यहीं से आपको ऑटो या टैक्सी मिल जाएगी। गुवाहाटी रेलवे स्टेशन से कामाख्या मंदिर लगभग 8 किलोमीटर दूर है। कामाख्या शक्तिपीठ पहाड़ पर मौजूद है।
Source : Hindustan
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साल का पहला चंद्र ग्रहण आज, यहां जानें इससे जुड़ी सभी महत्वपूर्ण बातें

साल का पहला चंद्र ग्रहण आज है. आज सुबह 07 बजकर 58 मिनट पर चंद्र ग्रहण प्रारंभ हो जाएगा. इस साल का पहला चंद्र ग्रहण हिंदू कैलेंडर की तिथि वैशाख पूर्णिमा को लगा है. पूर्णिमा तिथि 15 मई को दोपहर 12:45 बजे से शुरु हुई थी, जो आज 16 मई सोमवार को सुबह 09:43 बजे खत्म होगी. आज वैशाख पूर्णिमा व्रत है और चंद्र देव पर ग्रहण भी. पूर्णिमा के दिन भगवान विष्णु और चंद्रमा की पूजा की जाती है. आज चंद्र ग्रहण के समापन के बाद आप स्नान आदि से निवृत होकर शाम को चंद्रमा की पूजा करते हैं, तो चंद्र दोष दूर हो सकता है. काशी के ज्योतिषाचार्य चक्रपाणि भट्ट बता रहे हैं चंद्र ग्रहण का समय, सूतक काल, स्थान और इससे जुड़ी अन्य महत्वपूर्ण बातें.
साल 2022 का पहला चंद्र ग्रहण
आज का चंद्र ग्रहण सुबह 07 बजकर 58 मिनट पर लग रहा है और यह 11 बजकर 25 मिनट पर खत्म हो जाएगा. चंद्र ग्रहण की कुल अवधि 03 घंटे 27 मिनट की है. 03 घंटे 27 मिनट तक चंद्रमा पर राहु और केतु की बुरी दृष्टि रहेगी. उसके बाद ग्रहण का मोक्ष हो जाएगा.
चंद्र ग्रहण का सूतक काल
चंद्र ग्रहण का सूतक काल प्रारंभ से 09 घंटे पूर्व प्रारंभ हो जाता है और इसका समापन ग्रहण के खत्म होने के साथ होता है, लेकिन यह चंद्र ग्रहण भारत में दिखाई नहीं देगा, इसलिए इसका सूतक काल नहीं होगा.
इन जगहों पर दिखेगा चंद्र ग्रहण
साल का पहला चंद्र ग्रहण उत्तर-दक्षिण अमेरिका, अफ्रीका, पश्चिमी यूरोप, अटलांटिक महासागर, प्रशांत महासागर, अंटार्कटिका आदि क्षेत्रों में दिखाई देगा.
चंद्र ग्रहण में ध्यान रखें ये बातें
चंद्र ग्रहण में भोजन न करें और न ही भोजन पकाएं. इस दौरान सोना भी मना होता है. इस समय में भगवान की भक्ति करें. गर्भवती महिलाएं भी विशेष ध्यान रखें. भोजन बना हुआ है, तो उसमें में गंगाजल और तुलसी की पत्ती डाल दें, ताकि वह शुद्ध हो जाए. ग्रहण खत्म होने पर स्नान करके साफ कपड़े पहन लें. फिर पूजा पाठ करें.
चंद्रमा से जुड़ी वस्तुओं का दान
आज का चंद्र ग्रहण वैशाख पूर्णिमा व्रत के दिन लगा है. ऐसे में आप पूजा के समय चंद्र देव के बीज मंत्र ॐ सों सोमाय नम: का जप करें. उसके बाद चंद्रमा से जुड़ी वस्तुओं जैसे मोती, सफेद कपड़ा, चावल, दही, चीनी, सफेद फूल आदि का दान करें. ऐसा करने से कुंडली में चंद्रमा की स्थिति मजबूत होती है और चंद्र दोष दूर होता है.
चंद्र ग्रहण 2022 राशियों पर प्रभाव
मेष: स्त्री को कष्ट
वृष: सुख
मिथुन: मानसिक व शरीर रोग की चिन्ता
कर्क: संतान कष्ट, अवसाद की स्थिति
सिंह: अप्राप्त लक्ष्मी की प्राप्ति
कन्या: धन-क्षति
तुला: दुर्घटना का प्रबल योग
वृश्चिक: मानहानि
धनु: अप्रत्याशित लाभ
मकर: सुख
कुंभ: स्त्री कष्ट, अपयश
मीन: मृत्युतुल्य पीड़ा
ग्रहण के अनिष्ट फल से बचने के लिए दान
कांसे या फूल के पात्र में काला तिल, सफ़ेद वस्त्र, दही, मिश्री, चांदी का चन्द्रमा दान करके दरिद्रनारायण को दे दें.
Source : News18
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