बिहार में बेहतर स्वास्थ्य सेवाओं को लेकर भले ही बड़े-बड़े दावे किए जाते हैं. लेकिन, प्रदेश के दूसरे जिलों की हालत तो छोड़िए राजधानी पटना में ही बदहाल स्वास्थ्य सिस्टम की ऐसी तस्वीरें देखने को मिल जाएंगी जो तमाम सरकारी दावों को खोखला बताती नजर आती है. दरअसल इन दिनों पटना में आर्थिक रूप से कमजोर एक बेबस मां अपनी टीबी ग्रस्त बेटी के इलाज के लिए सरकारी अस्पतालों के चक्कर काट रही हैं. लेकिन, सरकार की ओर से टीबी बीमारी में दी जाने वाली मुफ्त दवा तक उन्हें नहीं मिल पा रही है, इलाज तो दूर की बात है.

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दरअसल पटना में एक मजबूर मां को अब आम लोगों की मदद का इंतजार है. दरअसल उनके दो बच्चों की मौत पहले ही टीबी बीमारी से हो गयी है. अब उनकी तीसरी बच्ची को भी टीबी बीमारी हो गयी है. ऐसे में पटना सिटी के अम्बेडकर नगर की रहने वाली अनिता देवी अपनी बेटी के इलाज के लिए पिछले दो महीने से सरकारी अस्पतालों के चक्कर लगा रही हैं. लेकिन न तो कोई अस्पताल उनकी बेटी को भर्ती कर रहा है और न ही उन्हें दवा मुहैया करा रहा है. बता दें, राज्य सरकार की ओर से टीबी मरीजों को मुफ्त दवा देने का प्रावधान है.

‘टीबी सेंटर में एडमिशन की व्यवस्था नहीं’ कहकर वापस भेजा

बता दें, अनीता देवी जब अपनी टीबी ग्रसित बच्ची रितिका को लेकर पटना स्थित एनएमसीएच के डिप्टी सुपरिटेंडेंट डॉ गोपाल के पास इलाज के लिए पहुंची तो उन्हें इमरजेंसी में जाने को कहा गया, जब मां अपनी बेटी को लेकर इमरजेंसी में गई तो कहा गया कि बच्चा वार्ड में ले जाएं. मां बेटी को लेकर बच्चा वार्ड पहुचीं तो डॉक्टर जायसवाल ने यह कहते हुए बच्ची को भर्ती करने से इंकार कर दिया कि यहां सुविधा नहीं है और दूसरे बच्चो को संक्रमण का खतरा है. इसके बाद अनीता देवी को टीबीडीसी जो टीबी ग्रसित बच्चों के इलाज के लिए बना है वहां जाने के लिए कहा गया, जब मां बेटी को लेकर टीबीडीसी पहुचीं तो डॉ अजय ने यह लिखते हुए बताया कि यहां टीबी सेंटर में एडमिशन की व्यवस्था नहीं है. सबसे बड़ा सवाल है कि आखिर एक मां अपने बेटी को लेकर कहां जाए जबकि स्वास्थ्य विभाग के निर्देश के मुताबिक टीबी का इलाज मुफ्त में हर जगह किया जाता है.

पहले 2 बच्चों की भी टीबी के कारण हो चुकी मौत

अनिता देवी पर मुसीबत का पहाड़ टूट पड़ा है. दरअसल कुछ साल पहले ही अनिता देवी के बड़े बेटे 18 वर्षीय सौरव कुमार की टीबी की बीमारी के कारण मौत हो गयी थी. वह उस दौरान पर अपने बेटे के इलाज के लिए जिला अस्पताल भटकती रही थीं. लेकिन, अस्पताल में टीबी का बेहतर इलाज नहीं होने के कारण उनके बेटे की मौत हो गई थी. अनिता देवी इससे उबर भी नहीं पाईं थी कि दूसरी बेटी नंदिनी जिसकी उम्र मात्र 15 साल थी वह भी टीबी की बीमारी से इलाज के अभाव में गुजर गई. अब तीसरी बेटी रितिका भी टीबी से ग्रसित है और उसे भी बेहतर इलाज नहीं मिल रहा है.

आम लोगों से लगा रही मदद की गुहार

बता दें अनिता देवी के पति की भी मौत पहले ही हो चुकी है. अनीता किसी तरह दूसरों के घर मेड का काम करके अपना और अपनी बेटी का भरण-पोषण करती हैं. ऐसे में वह अपनी बेटी का इलाज कैसे करवाएं, यह उनके लिए बड़ी समस्या है. उनके पास इतने पैसे नहीं हैं कि वह निजी अस्पताल में बेटी का इलाज करवा सकें. अनीता देवी अब आम लोगों से भी मदद के लिए गुहार लगा रही हैं. ताकि किसी तरह उनकी बेटी का इलाज हो सके और उसकी जान बच सके.

Source : News18

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