अब बिहार में भी महंगी गाड़ियों के प्रति लोगों में रुझान बढ़ा है। राज्य सरकार के परिवहन विभाग में आयकर वृद्धि से इस बात की पुष्टि होती है। ताजा आंकड़े के मुताबिक गाड़ियों के बिक्री के मामले में बिहार भी अब करोड़पति की श्रेणी में शामिल हो गया है। हाल ही में जो आंकड़े आए हैं वह चौकाने वाले हैं। इन आंकड़ों के मुताबिक वर्तमान में निबंधित गाड़ियों की संख्या 1.02 करोड़ हो गई है। वही बात की जाए देश की तो कुल निबंधित गाड़ियों की संख्या 28 करोड़ 64 लाख से अधिक है। वाहनों की संख्या के आधार पर तैयार की गई राज्यों की सूची में बिहार 13वें , झारखंड 15वें स्थान पर है तो वही यूपी ने पहला स्थान काबिज किया है। जानकारों की माने तो वाहनों की बिक्री संख्या से देश की आर्थिक वृद्धि के साथ ही अच्छी सड़कें और बिजली जैसी आधारभूत सुविधाओं की समृद्धि पता चलती है। बिहार सरकार के परिवहन विभाग द्वारा जारी सूची के अनुसार बिहार में दोपहिया वाहनों की संख्या 78 लाख 77 हजार से अधिक हैं। यह मध्य और निम्नवर्गीय परिवार की स्थिति में निरंतर सुधार को दिखाता है।
प्रति व्यक्ति आय में दिल्ली का जलवा अगर राज्य सरकार के टैक्स स्लैब के हिसाब से देखा जाए तो गाड़ियों की खरीद में महाराष्ट्र के लोग टैक्स देने में सबसे आगे हैं वही प्रति व्यक्ति आय की बात की जाए तो महाराष्ट्र को पीछे छोड़ते हुए दिल्ली प्रथम स्थान पर है। महाराष्ट्र के लोग प्रति गाड़ी औसतन 27 हजार से अधिक टैक्स देते हैं। अगर बात करें बाकी राज्यों की तो गोवा में 24000, तमिलनाडु में 18000, यूपी में 12000, बंगाल में 15000, दिल्ली में 11000 तक दे रहे हैं। बिहार पर नजर डालें तो बिहार में प्रति गाड़ी खरीद पर 10571 का टैक्स चुकता कर रहे हैं जो कि झारखंड के 10447 से अधिक है।
लीडर और चंदन ऑटोमोबाइल्स लिमिटेड के प्रबंध निदेशक पुष्पेश सरस के मुताबिक “परिवहन क्षेत्र में आर्थिक वृद्धि और मध्यम और निम्न मध्यम वर्ग के लोगों की खुशहाली का पैमाना दोपहिया गाड़ियां ही है। बिहार में दोपहिया वाहनों की खरीदारी में हुई जबरदस्त बढ़ोतरी पर पूछे गए सवाल का जवाब देते हुए सरस ने कहा कि बिहार के ग्रामीण इलाकों में अब सड़क और बिजली जैसी आधारभूत सुविधाएं उपलब्ध हो गई है इसीलिए लोग जमकर दोपहिया गाड़ियों की खरीदारी कर रहे हैं। और यही कारण है कि देश की तुलना में बिहार में दोगुनी गति से दोपहिया वाहनों की खरीद हो रही है।