बिहार की सत्ता के साझीदार जदयू और भाजपा के वैचारिक मतभेद फिर दो मुद्दों पर मुखर होकर सामने आए हैं। ये मुद्दे हैं सीबीएसई द्वारा पाठ्यक्रम में किया गया बदलाव तथा भाजपा नेताओं द्वारा समान नागरिक संहिता लागू करने की वकालत करना। दोनों मुद्दों का जहां भाजपा ने स्वागत किया है, वहीं जदयू ने इसका पुरजोर विरोध किया है। विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव ने भी दोनों मुद्दों का विरोध किया है।

राज्य के शिक्षा मंत्री विजय कुमार चौधरी के मुताबिक केन्द्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) द्वारा 10वीं, 11वीं और 12वीं के पाठ्यक्रम में बदलाव को बिहार नहीं अपनाएगा। मीडिया से बातचीत में सीबीएसई पाठ्यक्रम में बदलाव पर आपत्ति जताते हुए कहा कि जो बदलाव किया गया है उसका कोई औचित्य नहीं है। इस बदलाव को बिहार सरकार अपने पाठ्यक्रम में लागू नहीं करेगी। कहा कि मुगल शासन काल इतिहास का अविभाज्य हिस्सा है, इसे निकालने का कोई मतलब नहीं है। इसकी जानकारी सभी लोगों को दी जानी चाहिए। इतिहास को यदि हम दरकिनार कर देंगे तो आगे के लिए हम पुरानी सीख का फायदा नहीं उठा पाएंगे। गुट निरपेक्ष आंदोलन को भी निकालना उचित नहीं है।

उधर, भाजपा कोटे के मंत्री नितिन नवीन ने सीबीएसई पाठ्यक्रम में हुए बदलाव का स्वागत किया। कहा कि वामपंथी विचारधारा के आधार पर इतिहास का वर्णन किया गया है। तात्या टोपे, रानी लक्ष्मीबाई, चंद्रशेखर आजाद, सुभाष चंद्र बोस जैसे महान नायकों को आधे पन्ने की जगह दी जाती है। भारत के इतिहास को सही रूप से परिभाषित नहीं किया गया है। भाजपा की सरकार इतिहास को सही रूप में सामने लाने का कार्य कर रही है।

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उधर, भोपाल में गृहमंत्री की इस घोषणा के बाद कि अब समान नागरिक संहिता की बारी है, बिहार में बयानबाजी तेज हो गई है। सुशील मोदी ने विजयोत्सव के मौके पर इसे लागू करने की आवश्यकता पर जोर दिया था। इसके अगले ही दिन 24 अप्रैल को जदयू संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष उपेन्द्र कुशवाहा ने दो टूक कहा-बिहार में इसे लागू करने की आवश्यकता नहीं है। कुशवाहा के इस बयान पर भाजपा कोटे के मंत्रियों रामसूरत राय, जिवेश मिश्रा और नितिनि नवीन ने प्रतिक्रिया में कहा कि नीतीश कुमार एनडीए के मुख्यमंत्री हैं न कि जदयू के। इसलिए भाजपा उनसे राज्य में कॉमन सिविल कोड लागू करने का अनुरोध करेगी।

बहरहाल, बिहार की सरकार में साथ रहते हुए भी समय-समय पर वैचारिकता के मुद्दे पर जदयू-भाजपा आमने-सामने आते रहे हैं। राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर (एनआरसी) और नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) पर भी यह मतभेद उभरा था। जदयू ने साफ कह दिया था कि बिहार में इसे लागू नहीं होने देंगे।

देश के साथ बिहार में भी कॉमन सिविल कोड लागू होगा। सौ प्रतिशत कहता हूं बिहार में कॉमन सिविल कोड लागू होगा। मुख्यमंत्री संवेदनशील हैं और वह देश के कानून का सम्मान करेंगे। उपेन्द्र कुशवाहा क्या बोलते हैं, वो जानें। सीएम एनडीए के हैं और वे इस बात को समझते हैं। -रामसूरत राय, राजस्व एवं भूमि सुधार मंत्री

10वीं, 11वीं व 12वीं के इतिहास के कई चैप्टर हटाये गए हैं। इस्लामी साम्राज्यों के उदय, मुगल दरबारों के इतिहास को हटाया गया। सीबीएसई ने पाठ्यक्रम में जो बदलाव किया है, हम उसका स्वागत करते हैं। देश के इतिहास को तोड़-मरोड़ कर पेश किया गया है।

-नितिन नवीन, मंत्री, पथ निर्माण

चाहे मुगलकाल की बात हो या गुटनिरपेक्ष आंदोलन की, ये भारतीय इतिहास के अविभाज्य अंश हैं, जिन्हें सभी भारतीयों को जानना चाहिए। मुगलकालीन उपलब्धियों को कमतर करना भी उचित नहीं है। मुगलकालीन स्मारक मसलन ताजमहल या जामा मस्जिद आज भी भारत के गौरव हैं। वहीं द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद 120 विकासशील देशों का फोरम गुट निरपेक्ष आंदोलन दुनिया का एक महत्वपूर्ण घटनाक्रम है। भारत ने इसका नेतृत्व किया। -विजय कुमार चौधरी, शिक्षा मंत्री

उपेन्द्र कुशवाहा क्या बोलते हैं इससे कोई फर्क नहीं पड़ता है। नीतीश कुमार जेडीयू के ही नहीं हमारे भी सीएम हैं। वे एनडीए के मुख्यमंत्री हैं। हम लोग उनसे आग्रह करेंगे व उम्मीद है एनडीए के सीएम हमारी बातों को सुनेंगे। बिहार ही नहीं, देशभर में कॉमन सिविल कोड लागू होना चाहिए।

-जिवेश मिश्रा, मंत्री श्रम संसाधन

राजद कॉमन सिविल कोड का विरोध करता है। सदन में ऐसा कानून लाया जाएगा तो राजद संसद में इसका विरोध करेगा। देश आरएसएस के एजेंडे से चल रहा है। देश दिल्ली से नहीं नागपुर से चल रहा है। पाठ्यक्रम में बदलाव कर भाजपा आरएसएस का एजेंडा लागू करना चाहती है।

-तेजस्वी यादव, नेता प्रतिपक्ष

बिहार में नीतीश कुमार के नेतृत्व में सबकुछ ठीक चल रहा है। यहां कोई समस्या तो है नहीं कि उसे दूर करने के लिए कोई नई बात की जाये। ऐसे में बिहार में समान नागरिक संहिता लागू होने का सवाल ही नहीं उठता है। हिन्दुस्तान विविधताओं से भरा देश है। यहां का रहन-सहन, वेश-भूषा व खान-पान मिला-जुला है। इसके आधार पर हमारी संस्कृति बनती है। यही हिन्दुस्तान की खूबसूरती है? इस खूबसूरती को बिगाड़ने का क्या कारण है? इसमें छेड़-छाड़ की कोई जरूरत नहीं है।

-उपेंद्र कुशवाहा, अध्यक्ष, जदयू संसदीय बोर्ड

Source : Hindustan

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