MUZAFFARPUR
29 महीने में सिर्फ 4 दिन ऑफिस में आए बिहार यूनिवर्सिटी के VC

बिहार के मुजफ्फरपुर स्थित BRA बिहार विवि के कुलपति प्रो. हनुमान प्रसाद पांडेय अपने 29 महीने के कार्यकाल में सिर्फ चार दिन दफ्तर आये हैं। अपने आवास से ही विवि के कार्य कर रहे हैं। कुलपति हनुमान पांडे को शायद राजभवन के उस निर्देश की कोई चिंता नहीं है जिसमें पदाधिकारियों को रोज अपने कार्यालय में बैठने का निर्देश दिया गया था।
प्रो हनुमान पांडे ने बिहार विवि में 12 मार्च 2020 को योगदान किया था। योगदान करने के तीन दिन तक वह अपने विवि स्थित दफ्तर आये। इसके बाद कोरोना के कारण लॉकडाउन लग गया और विवि बंद हो गया। तब से वे विश्वविद्यालय के मुख्यालय में स्थित कार्यालय में नहीं आए। जबकि उनके आवास और कार्यालय के बीच एक सड़क की चौड़ाई भर का फासला है। जब उनसे पक्ष जानने के लिए संपर्क किया गया तो उनसे बात नहीं हो सकी।
कुलपति के दफ्तर में नहीं बैठने को लेकर बिहार विवि में सवाल खड़े होने लगे हैं। कई छात्र संगठनों ने इस पर कड़ा एतराज जताते हुए प्रदर्शन भी किया था। इसके बाद वीसी ने अपने कार्यालय में पूजा कराई और उसके बाद एक दिन के लिए प्रवेश किया। उल्लेखनीय है कि राजभवन ने वर्ष 2018 में निर्देश जारी किया था कि वीसी घर से नहीं, दफ्तर जाकर काम करेंगे।
चार वर्ष में चार वीसी, पर सभी घर से ही करते रहे काम
विवि में 2018 से चार वीसी आ चुके हैं। सभी काम घर से करते रहे। वर्ष 2018 में प्रो. अमरेंद्र यादव ने ज्यादा काम घर से ही किया। प्रो. राजेश सिंह ने घर से काम करना सही समझा। प्रभारी वीसी प्रो. राज कुमार मंडल कार्यालय नहीं आये। इसके बाद प्रो. पांडेय वीसी बने।
कई फाइलें साइन होने के इंतजार में अटकीं
वीसी के पास विवि की कई फाइलें साइन होने के इंतजार में अटकी हैं। हालिया उदाहारण स्नातक एडमिशन का है। उनके पास एडमिशन कमेटी की बैठक करने के लिए फाइल भेजी गई है, लेकिन वह अब तक साइन होकर नहीं आई है। इससे स्नातक की मेरिट लिस्ट नहीं जारी हो रही है व एडमिशन की प्रक्रिया बाधित है।
मई में आए पर घर में ही रह रहे
कुलपति प्रो. पांडेय फरवरी में बीमार पड़े थे, इसके बाद वह अयोध्या चले गये। मई में मुजफ्फरपुर आए, लेकिन वह आवास में ऊपरी मंजिल पर रह रहे हैं। वह बैठक में नहीं पहुंचे थे।
रजिस्ट्रार ने कहा
बिहार यूनिवर्सिटी के रजिस्ट्रार प्रो आरके ठाकुर ने कहा कि कुलपति को कमर में तकलीफ है, जिससे उन्हें चलने और सीढ़ी उतरने में दिक्क्त है। इसलिए वह दफ्तर नहीं आ पा रहे हैं, लेकिन कुलपति सारा काम कर रहे हैं। सारी फाइलों पर उनके हस्ताक्षर हो रहे हैं।
इधर छात्र राजद के नेता चंदन याव का कहना है कि कुलपति छह महीने से कार्यालय में बैठ नहीं रहे हैं। इससे छात्र-छात्राओं को परेशानी हो रही है। छात्र नेता से नहीं मिलते हैं। अगर चार से पांच दिन में कुलपति विधिवत काम शुरू नहीं करते हैं तो छात्र आंदोलन करेंगे।
एबीवीपी की नेतृ रोमिता श्रीवास्तव कहती हैं कि वीसी का काम है विद्यार्थियों की समस्याओं का समाधान करना, लेकिन जब वह कार्यालय में बैठेंगे ही नहीं तो हमलोग उनसे कहां मिलेंगे? शिक्षक संघ के नेता डॉ रमेश गुप्ता का कहना है कि कुलपति को सहज उपल्ब्ध होना चाहिए। शिक्षक और छात्रों की जो भी समस्याएं हैं, उन्हें सुनना चाहिए। लंबित समस्याओं का समाधान करना कुलपति का काम है। मिलने और संवाद से बहुत सारी समस्याओं का समाधान होता है।
Source: Live Hindustan
MUZAFFARPUR
रक्षाबंधन के अवसर पर प्रशांत होंडा ने महिला ग्राहकों को किया सम्मानित

लेनिन चौक स्थित होंडा टू व्हीलर्स के अधिकृत विक्रेता प्रशांत होंडा ने रक्षाबंधन के अवसर पर आज मेंहदी कैम्पेन का आयोजन किया।
प्रशांत होंडा द्वारा अयोजित इस आयोजन में महिला ग्राहकों को आमंत्रित कर उनके स्कूटर का फ्री सर्विस एवं चेकअप किया गया। तथा उनके हाथों में मेंहदी लगी एवं उपहार देकर सम्मानित किया गया।
इस कार्यक्रम में करीब 40 महिलाओं ने भाग लिया था। वहीं इस मौके पर प्रशांत होंडा के बिक्री प्रबंधक अनिल कुमार वर्मा, दिनेश ठाकुर,सिमरन,शिल्पा,साक्षी इत्यादि का सहयोग काफी सराहनीय रहा।
BIHAR
मुजफ्फरपुर डीएम का फेक वाट्सएप अकाउंट बना बीडीओ-सीओ से मांगे रुपए ; एफआईआर दर्ज

साइबर फ्राॅड गैंग ने डीएम प्रणव कुमार के नाम पर फर्जी वाट्सएप अकाउंट बना प्रशासनिक अधिकारी व आमलोगों से चैटिंग कर ठगी कर रहा है। बंदरा के प्रखंड विकास अधिकारी व कुढ़नी-कांटी के अंचल अधिकारी से रुपए मांगे गए हैं। इसका खुलासा हाेने पर जिला गोपनीय प्रशाखा के विशेष कार्य पदाधिकारी ने मंगलवार काे टाउन थाने में प्राथमिकी दर्ज कराई। इसके बाद पुलिस महकमे में भी हड़कंप मच गया।
प्राथमिकी में कहा गया है कि जिलाधिकारी प्रणव कुमार के फोटो का फर्जी इस्तेमाल कर दो अलग-अलग मोबाइल नंबर से फर्जी अकाउंट बनाए गए हैं। उन नंबराें से जिले के प्रशासनिक अधिकारियों व आमलोगों से चैट किया जा रहा है। चैटिंग के क्रम में अमेजन गिफ्ट कार्ड के माध्यम से राशि की मांग की जा रही है। नगर थाने की पुलिस को प्राथमिकी के लिए फर्जी वाट्सएप अकाउंट से बीडीओ-सीओ से की गई चैटिंग का स्क्रीन शॉट भी दिया गया है।
थानेदार ने कहा- साइबर एक्सपर्ट के माध्यम से कराई जाएगी मामले की जांच
साइबर फ्रॉड हुआ तो सबसे पहले ये करें
1. 1930 पर फोन कर तत्काल शिकायत दर्ज कराएं
2. cybercrime.gov.in पर कागजात के साथ शिकायत करें
3. इसके बाद संबंधित थाने में और बैंक में मामले की लिखित शिकायत करें
विशेष कार्य अधिकारी ने थाने को दी मामले की सूचना
जिला गोपनीय प्रशाखा के विशेष कार्य अधिकारी कुमार अभिषेक ने मामले की नगर थाने में लिखित शिकायत की। उसी के आधार पर इसकी प्राथमिकी दर्ज की गई है। इसमें मैसेज भेजे जानेवाले दोनाें मोबाइल नंबराें 91239:::772 और 76785::6507 के धारक को आरोपित बनाया गया है। पुलिस दर्ज प्राथमिकी के आधार पर दोनों शातिरों के सत्यापन में जुट गई है।
जिला सर्विलांस टीम दोनों मोबाइल नंबर का सीडीआर व कैप निकाल कर आरोपिताें की गिरफ्तारी में जुट गई है। दोनों में से एक नंबर को ट्रू कॉलर पर चेक करने पर राजेश कुमार बताता है। इधर, टाउन थानेदार अनिल कुमार ने बताया कि साइबर एक्सपर्ट के माध्यम से शातिर की पहचान की जा रही है। जल्द ही गिरफ्तार किया जाएगा।
Source : Dainik Bhaskar
BIHAR
मुजफ्फरपुर जिले में दाखिल-खारिज के 47,482 मामले लंबित, डीएम ने जताई नाराजगी

मुजफ्फरपुर के 16 अंचलों में 47 हजार 482 मामले ई-म्यूटेशन (दाखिल-खारिज) के लंबित है। इसमें 21 दिनों के अंदर के 35 हजार 798 और 63 दिनों के अंदर वाले 3430 मामले लंबित हैं। इसमें सबसे अधिक मुशहरी अंचल में 7500 मामले लंबित पड़े हैं। सबसे कम मुरौल में मात्र 250 आवेदन लंबित है। पूरे मामले में विभाग द्वारा 31 जुलाई तक का विस्तृत रिपोर्ट तैयार कर मुख्यालय को भेजा गया है। जबकि ई-म्यूटेशन को लेकर सरकार का सख्त आदेश है कि इसे समय सीमा के अंदर निपटारा करें। अन्यथा संबंधित कर्मचारी व अंचलाधिकारी पर कार्रवाई की जाएगी।
समीक्षा बैठक में लंबित संख्या पर नाराजगी जताते हुए जिलाधिकारी प्रणव कुमार ने कर्मचारियों व सभी सीओ को चेतावनी दी थी। इसके बावजूद दाखिल-खारिज के निष्पादन को लेकर तेजी नहीं लाई जा रही है। बता दें कि सरकार के सख्त आदेश के बाद भी दाखिल-खारिज मामले में अंचलाधिकारी व कर्मचारी शिथिलता बरतते है। जबकि पूरी प्रक्रिया आनलाइन है। बावजूद आनलाइन आवेदन करने के बाद भी दाखिल-खारिज के लिए लोगों को परेशान किया जाता है। शिकायत के बाद भी प्रशासन के स्तर से कार्रवाई नहीं हो पाती है। नतीजा अंचलों में जमे कर्मी मनमानी तरीके से काम करते हैं।
Source : Dainik Jagran
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