राज्य में जमीन संबंधी दस्तावेजों का ऑफलाइन वितरण बंद हो गया। म्यूटेशन का नकल हो या एलपीसी, हर दस्तावेज के लिए अब ऑनलाइन आवेदन करना होगा। साथ ही, डिजिटल हस्ताक्षर से ऑनलाइन ही दस्तावेज निकलेगा। इसके लिए राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग ने अधिकारियों की सूची जारी कर दी है, जिन्हें डिजिटल हस्ताक्षर के लिए नामित किया गया है, जो अधिकारी नामित किये गये हैं, उनसे अलग किसी अधिकारी के हस्ताक्षरयुक्त दस्तावेज मान्य नहीं होंगे।

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राजस्व भूमि सुधार विभाग ने सात तरह के दस्तावेजों के ऑनलाइन करने की व्यवस्था की है। सभी दस्तावेज जारी करने के लिए अलग-अलग अधिकारी को नामित किया है। कैडस्ट्रल सर्वे, रिवीजनल सर्वे और चकबंदी खतियान की नकल जिला अभिलेखागर के प्रभारी पदाधिकारी जारी करेंगे। जमाबंदी पंजी जारी करने का अधिकार सीओ को दिया गया है। इसके अलावा दाखिल-खरिज और बंदोबस्त भूमि पंजी जारी करने का अधिकार भी सीओ को ही दिया गया है।

म्युनिसिपल सर्वे रिकॉर्ड का जिम्मा जिला अभिलेखागार के प्रभारी अधिकारी को दिया गया है। विभाग के अनुसार इन्हीं अधिकारियों के डिजिटल हस्ताक्षर से जारी दस्तावेज मान्य होंगे। इसके पहले विभाग ने सभी जिलों के सदर अंचल कार्यालय में प्लॉटर मशीन लगाकर उनकी सीमा का विस्तार कर दिया है। वहां से भी जमीन के नक्शा को निकाला जा सकेगा। पहले प्लॉटरों की सीमा अपने जिले तक ही थी। यानी जिस जिले के गांव का नक्शा चाहिए उस जिले के प्लॉटर पर जाना होता था। अब उसमें नया सॉफ्टवेयर डालकर उसका विस्तार कर दिया गया है।

दस्तावेजों के लिए चक्कर लगाना पड़ता था

राज्य में नक्शा निकालने की पहले एक ही व्यवस्था थी। बिहार के सभी मौजों का नक्शा सिर्फ गुलजारबाग स्थित बिहार सर्वेक्षण कार्यालय से ही प्राप्त किया जा सकता था। इसी तरह दूसरे दस्तावेजों के लिए भी अंचल कार्यालय का चक्कर लगाना पड़ता था। सीओ के पास अधिक काम होने के कारण दस्तावेज पर हस्ताक्षर होने में 15 दिन लग जाते थे। इसी के साथ प्लॉटरों के माध्यम से गांवों का मानचित्र उपलब्ध कराया जाता है। लेकिन, अब इस व्यवस्था को और सरल किया गया है।

Source : Hindustan

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