पढ़ने-लिखने की उम्र में बिहार के किशोर घर की जिम्मेवारी संभाल रहे हैं। कुल कामगारों में 16 से 18 वर्ष वाले कामगारों की भागीदारी 4.04 फीसदी है जो राष्ट्रीय औसत से अधिक है। संख्या के लिहाज से देखें तो लगभग 12 लाख किशोर अलग-अलग क्षेत्रों में काम कर अपने घर का खर्च उठा रहे हैं। असंगठित क्षेत्र के कामगारों की ओर से अब तक हुए निबंधन से इसका खुलासा हुआ है। देशभर में असंगठित क्षेत्र के कामगारों का निबंधन हो रहा है।
ई-श्रम पोर्टल पर खुद से या सहज वसुधा केंद्र के माध्यम से कामगारों का निबंधन हो रहा है। देश में अब तक 27 करोड़ 92 लाख 95 हजार कामगारों का निबंधन हो चुका है। बिहार में असंगठित क्षेत्र के कामगारों के निबंधन की संख्या दो करोड़ 84 लाख पार कर गई है। पोर्टल पर कामगारों के निबंधन का सिलसिला अभी जारी है। अनुमान है कि बिहार में साढ़े तीन करोड़ असंगठित क्षेत्र के कामगार हैं जिनका निबंधन होना है। निबंधन के अनुसार बिहार में 4.04 फीसदी कामगार किशोर उम्र के हैं जबकि इसी श्रेणी का राष्ट्रीय औसत मात्र 2.92 फीसदी है। यानी, राष्ट्रीय औसत से अधिक बिहार के किशोर असंगठित क्षेत्र में काम कर रहे हैं।
वहीं 18 से 40 वर्ष के बीच असंगठित कामगारों का राष्ट्रीय औसत 61.68 फीसदी है जबकि बिहार का औसत 65.29 फीसदी है। 40 से 50 वर्ष वाले कामगारों का राष्ट्रीय औसत 22.15 फीसदी है तो बिहार का औसत 19.91 फीसदी है। जबकि 50 वर्ष से अधिक उम्र वाले कामगारों का राष्ट्रीय औसत 13.25 फीसदी है तो बिहार का औसत 10.76 फीसदी है।
कृषि में सबसे अधिक काम कर रहे लोग
बिहार कृषि प्रधान राज्य है। इस कारण निबंधित कामगारों में सबसे अधिक कृषि क्षेत्र से जुड़े हुए हैं। कुल निबंधित कामगारों में एक करोड़ 40 लाख 56 हजार कामगार कृषि क्षेत्र से जुड़े हुए हैं। इसके बाद घरेलू कार्य में 41 लाख 91 हजार, निर्माण क्षेत्र में 28 लाख 33 हजार, कपड़ा उद्योग में 16 लाख 72 हजार तो विविध क्षेत्र में 10 लाख 19 हजार से अधिक कामगार जुड़े हुए हैं।
महिला कामगार हैं अधिक
बिहार में महिला कामगारों का औसत भी राष्ट्रीय औसत से अधिक है। महिला कामगारों का राष्ट्रीय औसत 52.84 फीसदी है जबकि बिहार की 55.90 फीसदी महिलाएं असंगठित क्षेत्र में काम कर रही हैं। वहीं पुरुष कामगारों का राष्ट्रीय औसत 47.16 फीसदी तो बिहार का औसत 44.10 फीसदी है।
Source: Hindustan