पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी हत्याकांड मामले में सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को उम्रकैद की सजा काट रहे सभी छह दोषियों को रिहा कर दिया। इस मामले में दोषी नलिनी और रविचंद्रन 30 साल से उम्रकैद की सजा काट रहे थे। मालूम हो कि राजीव गांधी पर चुनावी रैली के दौरान श्रीपेरबंदूर में आत्मघाती हमला हुआ था, जिसमें उनकी जान चले गई थी। इस मामले ने पूरे देश को हिला कर रख दिया था।

राजीव गांधी हत्याकांड मामले में कोर्ट ने 1998 में 26 आरोपियों को दोषी ठहराते हुए सभी को मौत की सजा सुनाई थी। इसके बाद इस मामले में कई बदलाव आए। कोर्ट ने सुनावाई के दौरान कई दोषियों की सजा कम कर दी तो कुछ दोषियों को रिहा भी कर दिया गया। कोर्ट ने इस मामले में अब छह दोषियों को रिहा करने का आदेश दे दिया है। कोर्ट के आदेश के बाद इस हत्याकांड में सजा काट रहे सभी दोषी जेल से रिहा हो गए है।

राजीव गांधी हत्याकांड का घटनाक्रम

1991- तमिलनाडु के श्रीपेरंबदूर में चुनावी रैली में आत्मघाती हमले में पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की हत्या हुई।

28 जनवरी 1998- Poonamallee Trial Court ने राजीव गांधी हत्याकांड में नलिनी श्रीहरन सहित 26 आरोपियों को दोषी ठहराया और सभी को मौत की सजा सुनाई।

1999- सुप्रीम कोर्ट ने नलिनी समेत 4 दोषियों के लिए मौत की सजा की पुष्टि की। इस दौरान शीर्ष अदालत ने तीन दोषियों की मौत की सजा को भी कम कर दिया। अदालत ने 19 अन्य को दी गई मौत की सजा को रद्द कर दिया।

2000- तमिलनाडु के तत्तकालीन मुख्यमंत्री एम करुणानिधि की कैबिनेट ने नलिनी की मौत की सजा को उम्र कैद में बदलने की सिफारिश की। कैबिनेट के इस फैसले को राज्यपाल ने भी मंजूरी दे दी।

2011- दोषी पेरारिवलन ने राष्ट्रपति के सामने दया याचिका दायर की, जिसे खारिज कर दिया गया।

2014- सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र द्वारा 11 साल देरी से दया याचिका पर फैसला करने के आधार पर पेरारिवलन की मौत की सजा को उम्रकैद में बदल दिया।

11 नवंबर 2022- सुप्रीम कोर्ट ने छह दोषियों जेल में अच्छे आचरण के कारण किया रिहा।

रिहाई पर भड़की कांग्रेस

पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी के हत्यारों को रिहा करने के सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर कांग्रेस ने कहा कि यह फैसला पूरी तरह अस्वीकार्य है. पार्टी महासचिव जयराम रमेश ने आरोप लगाया कि देश की शीर्ष अदालत ने भारत की भावना के अनुरूप कदम नहीं उठाया. उन्होंने कहा, ‘पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी के हत्यारों को (समय-पूर्व) रिहा करने का सुप्रीम कोर्ट का फैसला पूरी तरह अस्वीकार्य और त्रुटिपूर्ण है. कांग्रेस पार्टी स्पष्ट रूप से इसकी आलोचना करती है और इसे अरक्षणीय पाती है.’ रमेश ने यह भी कहा, ‘यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है कि सुप्रीम कोर्ट ने इस मुद्दे पर भारत की भावना के अनुरूप कदम नहीं उठाया.’

मालूम हो कि सुप्रीम कोर्ट ने पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी हत्याकांड में उम्रकैद की सजा काट रहे नलिनी श्रीहरन और आरपी रविचंद्रन समेत छह दोषियों को समय से पहले रिहा करने का शुक्रवार को निर्देश दिया. न्यायालय ने इस तथ्य पर भी गौर किया कि तमिलनाडु सरकार ने दोषियों को सजा में छूट देने की सिफारिश की है. इस मामले में नलिनी, रविचंद्रन के अलावा चार दोषियों संतन, मुरुगन, पेरारिवलन, रॉबर्ट पायस और जयकुमार को जेल से रिहा किया गया था.

उच्चतम न्यायालय ने गौर किया कि जेल में रहने के दौरान दोषियों का आचरण संतोषजनक था और सभी ने विभिन्न विषयों के अध्ययन किए हैं. न्यायाधीश बीआर गवई और न्यायाधीश बीवी नागरत्ना की पीठ ने कहा कि मामले के दोषियों में से एक एजी पेरारिवलन के मामले में शीर्ष अदालत का पहले दिया गया फैसला इनके मामले में भी लागू होता है. संविधान के अनुच्छेद-142 के तहत प्रदत्त शक्ति का इस्तेमाल करते हुए, उच्चतम न्यायालय ने 18 मई को पेरारिवलन को रिहा करने का आदेश दिया था, जिसने जेल में 30 साल से अधिक की सज़ा पूरी कर ली थी.

अनुच्छेद-142 के तहत, शीर्ष अदालत ‘पूर्ण न्याय’ प्रदान करने के लिए आवश्यक कोई भी फैसला या आदेश जारी कर सकती है. पीठ ने कहा, ‘अदालत (उच्चतम न्यायालय) ने माना कि धारा-302 के तहत दोषी ठहराए गए एक अपीलकर्ता की सज़ा में छूट के मामले में राज्यपाल राज्य मंत्रिमंडल की सलाह मानने को बाध्य है. निर्विवाद रूप से, मौजूदा मामले में मंत्रिमंडल ने सभी आवेदकों को छूट प्रदान करने का संकल्प पारित किया है.’

पीठ ने आगे कहा, ‘इसलिए, हम पाते हैं कि ए. जी. पेरारिवलन की रिहाई का निर्देश देते समय जिन कारकों पर गौर किया गया, वह वर्तमान आवेदकों पर भी समान रूप से लागू होते हैं. हम निर्देश देते हैं कि यह मान लिया जाए कि सभी अपीलकर्ताओं ने अपनी सज़ा काट ली है… इस प्रकार आवेदकों को रिहा करने का निर्देश दिया जाता है, जब तक कि किसी अन्य मामले में जरूरत नहीं है.’

Source : Dainik Jagran

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