सिकंदरपुर मन की जमीन पर अतिक्रमण व अवैध खरीद-बिक्री पर अब हाईकोर्ट ने रिपोर्ट तलब की है। एक जनहित याचिका की सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने जिला प्रशासन को कार्रवाई करने व इस संबंध में रिपोर्ट देने के लिए कहा है।

अब जिला निबंधन कार्यालय में मन की जमीन की अबतक हुई खरीद-बिक्री का रिकार्ड खंगाला जा रहा है। हाईकोर्ट में दाखिल जनहित याचिका में जमीन माफिया पर मन की चार बीघा दो कट्ठा आठ धूर जमीन अवैध रूप से रजिस्ट्री व जमाबंदी कराने का आरोप लगाया गया है।

याचिका में कहा गया है कि सिकंदरपुर मन की जमीन की लगातार अवैध तरीके से खरीद-बिक्री की जा रही है। इससे सरकारी जमीन व संपत्ति का नुकसान हो रहा है।

हाईकोर्ट ने इसपर संज्ञान लेते हुए रिपोर्ट तलब की है। कार्यालय में जो रिकार्ड अबतक खंगाले गए हैं, उनके अनुसार मन की जमीन की खरीद-बिक्री 2018 से पहले ही हुई है। 2018 में मन की सारी जमीन की मापी व पहचान के बाद इसे रोक सूची में डाल दिया गया था। इस अवधि के बाद मन की जमीन की खरीद-बिक्री रुक गई, लेकिन जनहित याचिका में जिस निबंधन का जिक्र किया गया है, वह 2018 के पहले का है। जब मन की जमीन रोक सूची में शामिल नहीं थी।

इसके साथ ही 2018 से पहले कैडेस्ट्रल व रिविजनल सर्वे में मन व बिहार सरकार की जमीन के रूप में चिह्नित जमीन की खरीद-बिक्री के रिकार्ड खोजे जा रहे हैं।

कैडेस्ट्रल सर्वे, रिविजनल सर्वे व उपलब्ध खतियानों के अध्ययन के मुताबिक मन का रकबा 120.84 एकड़ है, रैयती रकबा 10.70 एकड़ है व बिहार सरकार के नाम से रकबा 17.75 एकड़ है। यानी मन का कुल रकबा 149.29 एकड़ है, जबकि मापी के बाद मन के पास लगभग 63 एकड़ जमीन बताई जाती है।

Source : Hindustan

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