हमारा देश भारत अपने खिलाड़ियों और पदकवीरों की कितनी कदर करता है यह बात किसी से छिपी नहीं है. बिहार की राजधानी पटना में एक नेशनल स्विमिंग चैंपियन पिछले 20 वर्षों से सड़क किनारे चाय बेचने को मजबूर है. वर्ष 1988 और 1989 में स्विमिंग चैंपियन रह चुके गोपाल प्रसाद यादव पिछले 20 साल से चाय का स्टॉल लगा रहे हैं. इन्होंने अपने चाय के स्टॉल पर अपने सभी मेडल टांग रखे हैं. गोपाल का कहना है कि गोल्ड मेडल जीतने के बावजूद उन्हें वो सम्मान नहीं मिला जिसके वो हकदार थे. उन्होंने कहा कई बार लोग आते हैं, उनसे मिलते हैं और आश्वासन देते हैं. लेकिन हर बार वो नाउम्मीद ही रह जाते हैं. देश का नाम रोशन करने के बावजूद न तो केंद्र और न ही राज्य सरकार ने उन्हें कोई सुविधा या सरकारी नौकरी दी.
गोपाल प्रसाद यादव ने कहा कि उन्होनें बहुत कोशिश की कि उन्हें सरकारी नौकरी मिले. लेकिन काफी ठोकर खाने के बाद भी उन्हें कुछ हासिल नहीं हुआ. आखिर में उन्होंने सरकारी नौकरी का मोह त्याग कर चाय बेचनी शुरू कर दी. गोपाल प्रसाद यादव के अंदर आज भी खेल जिंदा है, यही वजह है कि वो हफ्ते में सोमवार से शनिवार तक छह दिन चाय का स्टाल लगाते हैं, और रविवार के दिन बच्चों को निशुल्क गंगा में तैराकी सिखाते हैं. उन्होंने कहा कि मेरी यही चाहत है कि जैसे मैंने बिहार के लिए गोल्ड कमाया है वैसे ही भविष्य में बिहार के कई बच्चे बिहार को गोल्ड जिताएं और प्रदेश का नाम रोशन करें.
उन्होंने पुराने दिनों को याद करते हुए कहा कि जब लालू यादव बिहार के मुख्यमंत्री थे तब वो मेरे चाय के स्टॉल पर आए थे. मुझे अपने साथ गाड़ी में बिठा कर ले गए. उन्होंने मुझसे बातचीत की और आश्वासन दिया कि मुझे सम्मान मिलेगा. लेकिन सिर्फ दिन बीतते गए और मेरी स्थिति वैसी ही रही. कई बार मैंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भी पत्र लिखा. लेकिन उनकी तरफ से भी अभी तक कोई जवाब नहीं आया.
गोपाल प्रसाद यादव ने कहा कि 20 वर्ष से ज्यादा बीत चुके हैं. लेकिन मेरी स्थिति नहीं बदली. मैं आज भी घर चलाने के लिए चाय बेच रहा हूं, लोगों के जूठे बर्तन धो रहा हूं. एक खिलाड़ी के लिए इससे बुरा और कुछ नहीं हो सकता.
Source : News18