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बागेश्वर धाम के धीरेंद्र शास्त्री को हत्या की धमकी, भाई से फोन पर कहा- तेरहवीं की तैयारी कर लो

छतरपुर: बागेश्वर धाम के पीठाधीश्वर धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री को फोन पर जान से मारने की धमकी मिली है। एक शख्स ने अनजान नंबर से उनके भाई को फोन कर धीरेंद्र शास्त्री को जान से मारने की दी है। मध्य प्रदेश के छतरपुर के बमीठा थाना में एफआईआर दर्ज कराई गई है। बागेश्वर धाम छतरपुर के बमीठा थाने के अंतर्गत गढ़ा गांव में है। वहीं, मध्य प्रदेश के गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने कहा है कि पंडित धीरेंद्र शास्त्री बागेश्वर धाम महाराज को धमकी देने के मामले को गंभीरता से लिया गया है। उन्होंने कहा कि इस मामले में सख्त कार्रवाई की जाएगी और कानून अपना काम करेगा।
रिपोर्ट्स के मुताबिक, बागेश्वर धाम के पीठाधीश्वर धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री के चचेरे भाई लोकेश गर्ग ने एक FIR दर्ज कराई है। इस FIR के मुताबिक, कथित तौर पर अमर सिंह नाम के एक अज्ञात शख्स ने गर्ग को फोन कर बागेश्वर धाम के महाराज धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री को जान से मारने की धमकी दी। पुलिस ने धारा 506 और 507 के तहत अज्ञात आरोपी के खिलाफ मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है। 22 जनवरी 2023 की रात करीब 9 बजकर 15 मिनट पर धमकी भरा फोन आया था।
पहले फोन पर बात कराने की जिद की
जानकारी के मुताबिक, अनजान शख्स ने लोकेश गर्ग से पहले शास्त्री से फोन पर बात कराने की जिद की। जब गर्ग ने उसे बताया कि महाराज फिलहाल छत्तीसगढ़ में हैं, तो फोन करने वाला शख्स गुस्सा हो गया और उसने धीरेंद्र शास्त्री को जान से मारने की धमकी दे दी। लोकेश गर्ग ने अपनी शिकायत में बताया कि जब मैंने सामने वाले शख्स से कहा कि वह उसे नहीं जानते हैं, तो उसने कहा कि मैं अमर सिंह बोल रहा हूं, धीरेंद्र की तेरहवीं की तैयारी कर लेना। इसके बाद उसने फोन काट दिया।
बमीठा थाने में दर्ज कराई शिकायत
धमकी भरे फोन के बाद गर्ग ने सोमवार की रात बमीठा थाने में शिकायत दर्ज कराई। मामले की गंभीरता को देखते हुए पुलिस जांच में जुट गई है। छतरपुर के एसपी सचिन शर्मा ने बताया कि धमकी देने वाला शख्स धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री से बात करना चाह रहा था। वह बेहद परेशान भी था। लोकेश गर्ग ने जब बात कराने से असमर्थता जताई, तो वह धमकी देने लगा। एसपी ने कहा कि पुलिस जल्द से जल्द मामले का खुलासा कर आरोपी के खिलाफ कार्रवाई करेगी।
Source : India TV
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कड़ी कार्रवाई : सट्टेबाजी-कर्ज वाले 232 चीनी ऐेप बंद

केंद्र सरकार ने चीनी कनेक्शन सामने आने के बाद 232 मोबाइल ऐप को प्रतिबंधित कर दिया है। इसमें 138 ऑनलाइन सट्टा खिलाने वाले और 94 अनधिकृत रूप से ऋण देने वाले ऐप शामिल हैं। इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने पिछले हफ्ते गृह मंत्रालय से इन ऐप को प्रतिबंधित करने की सिफारिश की थी। इसके बाद मंत्रालय ने यह फैसला लिया है।
संप्रभुता को नुकसान गृह मंत्रालय के अनुसार, इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय से मिले इनपुट के बाद इन ऐप की जांच शुरू की गई। पता चला है कि इन ऐप पर भारत की संप्रभुता और अखंडता को नुकसान पहुंचाने वाले कंटेट मौजूद हैं। यह आईटी एक्ट की धारा-69 के तहत अपराध है।
लाखों जीतने का लालच देते हैं जांच में पता चला है कि ये ऐप लोगों को लोन लेने और सट्टा खेलकर लाखों जीतने का लालच देते हैं। बाद में कर्ज न चुका पाने पर उन्हें भद्दे मैसेज भेजते हैं। उनकी तस्वीरों से छेड़छाड़ कर वायरल करने की धमकी देते हैं। इससे परेशान होकर आंध्र प्रदेश, तेलंगाना के कुछ लोगों ने आत्महत्या कर ली थी। तेलंगाना, ओडिशा और उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों ने भी गृह मंत्रालय से ऐप पर कार्रवाई करने को कहा था। मंत्रालय ने बताया कि कुछ लोगों ने इन ऐप के खिलाफ जबरन वसूली और उत्पीड़न की शिकायतें भी की थीं। शिकायत करने वालों ने इन ऐप से छोटी रकम लोन ली थी, बाद में उन्हें प्रताड़ित किया जाने लगा।
गृह मंत्रालय ने छह महीने पहले लोन देने वाले 28 चीनी ऐप का विश्लेषण शुरू किया। जिसमें पता चला कि 94 ऐप ई-स्टोर्स पर उपलब्ध हैं। कई ऐप थर्ड पार्टी लिंक के जरिए काम कर रहे हैं। इन ऐप में चीनी कनेक्शन सामने आने के बाद इन पर प्रतिबंध की प्रक्रिया शुरू हुई।
Source : Hindustan
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बीबीसी डॉक्युमेंट्री पर तत्काल बैन हटाने से सुप्रीम कोर्ट का इनकार, सरकार से मांगे दस्तावेज

सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात दंगा 2002 को लेकर बीबीसी डॉक्युमेंट्री मामले में सुनवाई पूरी कर ली है। शीर्ष अदालत ने डॉक्युमेंट्री पर तत्काल बैन हटाने से इनकार कर दिया है। अदालत ने केंद्र को नोटिस जारी करते हुए मामले में ओरिजिनल दस्तावेज जमा करने को कहा है। इसके लिए सरकार को तीन सप्ताह तक का वक्त दिया है। मामले में अगली सुनवाई अप्रैल में होगी।
2002 के गुजरात दंगों पर बीबीसी की डॉक्युमेंट्री के सोशल मीडिया लिंक को बैन करने के आदेश के खिलाफ दायर जनहित याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई पूरी कर ली है। सुप्रीम कोर्ट ने बीबीसी डॉक्युमेंट्री पर तत्काल बैन हटाने से इनकार कर दिया। साथ ही मामले में केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया है। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र को तीन सप्ताह के भीतर मामले में ओरिजिनल दस्तावेज जमा करने को कहा है।अगली सुनवाई अप्रैल माह में होगी।
साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने इस प्रकरण में पत्रकार एन राम, टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा और अधिवक्ता प्रशांत भूषण द्वारा संयुक्त रूप से दायर याचिका पर कोई अंतरिम आदेश जारी करने से इनकार कर दिया है।
Source : Hindustan
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600 करोड़ साल पुरानी शिलाओं से कैसे तराशी जाएंगी रामलला की मूर्तियां, छेनी-हथौड़ी की नहीं है इजाजत

अयोध्या में बन रहे भगवान राम के भव्य मंदिर में रामलला की मूर्ति तैयार करने के लिए नेपाल से शाली ग्राम शिलाएं लाई गई हैं। ये शिलाएं नेपाल के काली गंडकी नदी से लाई गई हैं। बताया जा रहा है कि करीब 600 करोड़ साल पुरानी इन शिलाओं से ही रामलला की मूर्ति को तैयार किया जाएगा लेकिन सामने चुनौती है कि इन शिलाओं पर लोहे के औजारों का इस्तेमाल वर्जित हैं। यानी छेनी और हथौड़ी के जरिए रामलला की मूर्ति नहीं बनाई जाएगी।
तो सवाल उठता है कि ऐसे में इन भारी भरकम शिलाओं पर किस चीज का इस्तेमाल कर रामलला की मूर्ति तैयार की जाएगी?
हीरे काटने वाले औजार से होगा मूर्ति का निर्माण
ऐसा बताया जा रहा है कि लोहे का इस्तेमाल वर्जित होने की वजह से छेनी या हथौड़ी का इस्तेमाल इन शिलाओं पर नहीं किया जाएगा। तो ऐसे में इन शिलाओं के जरिए रामलला की मूर्ति को गढ़ने के लिए हीरे काटने वाले औजार का प्रयोग किया जाएगा। नेपाल से लाई गई दो शिलाओं का वजन काफी ज्यादा है इन में से एक 26 टन की तो दूसरी शिला 14 टन की है।
इन शिलाओं पर रिसर्च करने वाले भूगर्भीय वैज्ञानिक डॉ. कुलराज चालीसे ने दावा किया है कि मां जानकी की नगरी से भगवान राम के स्वरूप निर्माण के लिए लायी गई देवशिला में 7 हार्नेस की है। इसलिए लोहे की छेनी के जरिए इन्हें नहीं गढ़ा जा सकता है।
डॉ. कुलराज चालीसे का मानना है कि करीब 600 करोड़ साल पहले की इन शिलाओं पर लोहे के औजारों के बजाए हीरे काटने वाले औजारों का इस्तेमाल किया जाएगा।
26 जनवरी को नेपाल में लादी गई शिलाओं को तकनीकी विशेषज्ञों की देखरेख में चार क्रेनों की मदद से उतारा गया। ये शालिएं 1 फरवरी को अयोध्या पहुंची। अगले दिन वैदिक मंत्रोच्चार के साथ देव शिलाओं की पूजा की गई। फिर इन्हें राम मंदिर समिति को सौंप दिया गया। इससे पहले पूजा-अर्चना के लिए शिलाओं को फूल मालाओं से सजाया गया था।
Source : Hindustan
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