बिहार में दक्षिण-पश्चिम मानसून जून के महीने में ही सक्रिय हो गया था. शुरुआती दौर में प्रदेश के कई हिस्‍सों में अच्‍छी बारिश भी रिकॉर्ड की गई थी. इसके बाद दक्षिण-पश्चिम मानसून ज्‍यों-ज्‍यों देश के अन्‍य हिस्‍सों में फैलता गया, बिहार में यह कमजोर होता गया. हालत यह है कि प्रदेश में पिछले 1-2 सप्‍ताह से अच्‍छी बारिश नहीं हुई है. लगातार तेज धूप निकलने से औसत अधिकतम तापमान में भी वृद्धि दर्ज की गई है. इससे प्रदेश में सूखे जैसे हालात पैदा हो गए हैं. दक्षिण-पश्चिम मानसून का समय धान की खेती के लिए काफी महत्‍वपूर्ण होता है, क्‍योंकि धान की खेती प्रमुख तौर पर बारिश पर भी निर्भर होता है. पिछले कुछ सप्‍ताह से बारिश न होने और तेज धूप निकलने से किसानों की चिंताएं बढ़ गई हैं. यदि अच्‍छी बारिश नहीं हुई तो खेतीबारी पर इसका बुरा प्रभाव पड़ेगा.

IMD के ताजा पूर्वानुमान में बिहार में फिलहाल अच्‍छी बारिश की संभावना न के बराबर जताई गई है. मौसम विज्ञानियों के अनुसार, प्रदेश में 16 जुलाई तक अच्‍छी बारिश की संभावना नहीं है. इस अवधि में कहीं-कहीं बारिश छिटपुट बारिश होती रहेगी, लेकिन तेज बारिश होने की संभावना नहीं है. मौसम विभाग का ताजा अपडेट आमलोगों के साथ ही किसानों के लिए भी शुभ नहीं है. बरसात के मौसम में खेतीबारी का काम चरम पर होता है, लेकिन अच्‍छी बारिश नहीं होने से कृषि क्षेत्र पर व्‍यापक प्रभाव पड़ेगा. बिहार के साथ ही देशभर में कृषि का बड़ा हिस्‍सा मानसून की बारिश पर निर्भर करता है. बिहार में खासतौर पर धान की खेती बारिश पर निर्भर करती है, लेकिन अच्‍छी बारिश न होने से समस्‍याएं बढ़ रही हैं.

बारिश न होने की वजह से मौसम का मिजाज शुष्‍क हो गया है. दूसरी तरफ, बिहार में पारा भी लगातार बढ़ रहा है. प्रदेश के अधिकांश हिस्‍सों में औसत अधिकतम तापमान सामान्‍य से ज्‍यादा रिकॉर्ड किया गया. इससे प्रदेश भर में लोगों को गर्मी का सामना करना पड़ रहा है. उमस और पसीने वाली गर्मी से लोगों का हाल बेहाल है. मैसम विभाग की ओर से फिलहाल अच्‍छी बारिश की संभावना नहीं जताई गई है, ऐसे में आमलोगों को फिलहाल गर्मी का सामना करना पड़ेगा.

बिहार में सीमांचल के रास्‍ते दक्षिण-पश्चिम मानसून ने बिहार में प्रवेश किया था. शुरुआती दौर में अच्‍छी बारिश भी रिकॉर्ड की गई, लेकिन उसके बाद से मानसून की रफ्तार कम होती गई. अब आलम यह है कि बिहार में पिछले कुछ सप्‍ताह से अच्‍छी बारिश नहीं हुई है. प्रारंभ में नेपाल की तराई और सीमाई जिलों में बारिश होने से बड़ी के साथ छोटी नदियां भी उफना गई थीं. नदियों का पानी घरों तक में घुस गया था.

Source: News18

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