मोबाइल फोन के आविष्कारक (Mobile Phone Inventor) अब अपने अविष्कार से निराश हैं। उनको लगता है कि लोग मोबाइल के जाल में फंस कर जीना भूल गए हैं। दुनिया के पहले सेलफोन के आविष्कारक का कहना है कि वह इस बात से स्तब्ध है कि लोग अब अपने उपकरणों पर कितना ज्यादा समय बर्बाद (time waste) करते हैं। उन्होंने कहा है कि लोगों को अब अपने मोबाइल छोड़ कर जिंदगी जीनी चाहिए (Quit Mobile-Live Life)।
अमेरिका में शिकागो के 92 साल के मार्टिन कूपर (Martin Cooper) ने 1973 में दुनिया का पहला सेलफोन “मोटोरोला डायनाटैक 8000 एक्स” (Motorola DynaTac 8000X) का आविष्कार किया था। पेशे से इंजीनियर मार्टिन कूपर दो दशकों से अधिक समय तक मोटोरोला में काम कर रहे थे और कार फोन की बढ़ती लोकप्रियता से निराश थे। उस समय उनका कहना था कि लोगों को 100 से अधिक साल से अपने डेस्क और रसोई तक में फोन से बांध दिया गया है, और अब वे हमें अपनी कारों में फ़ोन से बांधने वाले हैं।
कूपर को पोर्टेबल फोन बनाने का आईडिया ऐसे आया
बहरहाल, बाद में कूपर को एक पोर्टेबल फोन बनाने का आईडिया आया जिसे लोग न सिर्फ अपनी कार में अपने साथ ला सकते थे, बल्कि वाहन से बाहर भी ले जा सकते थे और उपयोग कर सकते थे। उन्होंने कल्पना की कि ये डिवाइस कैसा दिखेगा। वह चाहते थे कि यह “आपकी जेब में डालने के लिए काफी छोटा हो, लेकिन इतना बड़ा भी हो ताकि यह आपके कानों और मुंह के बीच आ सके।”कूपर चाहते थे कि प्रत्येक व्यक्ति का अपना अलग फोन नंबर हो। इसे अब वह अपनी “सबसे बड़ी उपलब्धि” कहते हैं।उस समय तक, फोन नंबर घर, कार या डेस्क जैसे स्थानों से जुड़े हुए होते थे।
मोटोरोला डायनाटैक को चार्ज करने में 10 घंटे का समय लगता था
मोटोरोला ने बाद में कूपर की परियोजना में लाखों डॉलर डाले। फोन बनाने के लिए इंजीनियर कूपर और उनकी टीम को सिर्फ तीन महीने का समय लगा, क्योंकि उन्होंने पहले से मौजूद पुलिस रेडियो की समान तकनीक का उपयोग किया था।एक बार डिवाइस का काम पूरा हो जाने के बाद, इसे मोटोरोला डायनाटैक 8000 एक्स नाम दिया गया। इसका वजन 2 पाउंड (907 ग्राम) था और यह 10 इंच लंबा था। इसकी बैटरी चार्ज होने पर सिर्फ 25 मिनट चलती थी। और इसे चार्ज करने में 10 घंटे का समय लगता था।
Source: News Track