राष्ट्रपति सम्मान से सम्मानित प्रखर स्वतंत्रता सेनानी तथा बिहार प्रदेश स्वतंत्रता सेनानी उत्तराधिकारी फेडरेशन के अध्यक्ष राम संजीवन ठाकुर का शुक्रवार को निधन हो गया। वे 100 वर्ष के थे। पिछले कुछ महीनों से अस्वस्थ चल रहे थे। मालीघाट स्थित अपने आवास पर उन्होंने शुक्रवार की सुबह करीब 10.30 बजे अंतिम सांस ली। इसके बाद शव वाहन रथ पर उनका पार्थिव शरीर शहर के सिकंदरपुर स्थित शवदाह गृह लाया गया, जहां उनका अंतिम संस्कार किया गया। मुखाग्नि पुत्र अरुण कुमार ठाकुर ने दी। आजादी की लड़ाई और स्वतंत्र भारत में इनके बहुमूल्य योगदानों को देखते हुए वर्ष 2005 में राष्ट्रपति डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम ने इन्हें राष्ट्रपति पुरस्कार से सम्मानित किया था। वहीं, 1972 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने इन्हें ताम्रपत्र दिया था। वे आजीवन साइकिल से चले।
1975 से 1982 तक तक कांग्रेस के जिलाध्यक्ष रहे
राम संजीवन ठाकुर का जन्म 19 मई 1921 को बोचहां के बुधौली गांव में हुआ था। पिता रामखेलावन ठाकुर किसान थे। माता का नाम सीता कुमारी था। देश की आजादी की लड़ाई के दौरान पहली बार 1931 में वे जेल गए थे। वर्ष 1942 में भारत छोड़ो आंदोलन में भी मुख्य भूमिका निभाई। इसके बाद लगातार सात वर्षों तक 1975 से 1982 तक कांग्रेस के जिलाध्यक्ष रहे। वर्तमान में स्वतंत्रता सेनानी फेडरेशन के बिहार प्रांत के अध्यक्ष व रामदयालु स्मृति भवन के अध्यक्ष थे।
देश को आजाद कराने में महत्वपूर्ण योगदान : शर्मा निधन पर शोक जताते हुए पूर्व मंत्री सुरेश शर्मा ने कहा कि राम संजीवन बाबू का देश को आजाद कराने में महत्वपूर्ण योगदान रहा है। पूर्व मंत्री अजीत कुमार ने कहा, वे स्वतंत्रता आंदोलन की धरोहर थे। पूर्व मंत्री डॉ. महाचंद्र प्रसाद सिंह ने कहा, वे हमेशा मदद के लिए तत्पर रहते थे। पूर्व सांसद रजनी रंजन साहू, कांग्रेस नेता महेश्वर प्रसाद, शशिकांत झा, हरेराम मिश्रा, प्रो. अरुण सिंह, संजीव कुमार, संजीव साहू, हेमचंद्र प्रकाश पराशर, भूपाल भारती, बसंत मिश्रा, मोहन सिन्हा, मो. जमाल, हर्षवर्धन ठाकुर, भूपाल भारती, अर्जुन कुमार, आचार्य चंद्र किशोर पराशर, ध्वजा साहू स्मारक समिति के लक्ष्मण देव सिंह, सचिव संजीव कुमार, विधायक इसराइल मंसूरी, सौरव साहेब आदि ने शोक जताया है।
Source : Dainik Bhaskar