अमृतसर के खासा में तैनात बीएसएफ जवान की गोली लगने से मौत के बाद पूरे क्षेत्र में मातम का माहौल है। ज्ञात हो कि मांझागढ थाना क्षेत्र के बहोरा टोला गांव निवासी स्व. राघव सिंह के पुत्र रामविनोद सिंह (50 वर्ष) बीएसएफ में 144 वीं बटालियन में हेड कांस्टेबल के पद पर अमृतसर में पोस्टेड थे। रविवार की सुबह वे कैंप से ड्यूटी के लिए निकल रहे थे, तभी उनके एक साथी जवान ने मेस में ही अपने ही साथियो पर सर्विस राइफल से अंधाधुंध फायरिंग कर दी, जिसमें उनकी मौत हो गई। यह संयोग था कि उनका इकलौता बेटा भी उनसे मिलने के लिए अमृतसर गया हुआ है।
खबरों के अनुसार इस फायरिंग में कुल पांच बीएसएफ जवानों की मौत हो गई है। वहीं आधा दर्जन जवान घायल हो गए हैं। वहीं गोलीबारी करने वाले जवान सतेपा एसके ने भी गोली मारकर आत्महत्या कर ली। खासा इलाके में 144 वीं बटालियन के परिसर में जहां यह घटना हुई है वह अटारी बाघा सीमा से करीब 12-13 किलोमीटर दूर है। इस घटना के कोर्ट ऑफ इंक्वायरी की आदेश दिए गए हैं।
मौत की सूचना मिलने पर स्वजनों में चित्कार
इसकी सूचना बहोरा टोला में उनके परिवार को बीएसएफ की ओर से करीब 10 बजे दी गई तो वे दहाड़ मारकर रोने लगे । उनकी चित्कार से पूरा माहौल गमगीन हो उठा। उनकी पत्नी सुशील देवी का रो रोकर बुरा हाल है । वह रोते रोते बेहोश हो जा रही हैं। आसपास की महिलाएं उन्हें ढाढ़स बंधा रही हैं।
तीन पुत्री व एक पुत्र के पिता थे रामविनोद
ज्ञात हो कि रामविनोद सिंह को तीन पुत्री व एक पुत्र हैं। वह अपनी तीनों पुत्रियों की शादी कर चुके हैं, वहीं उनका पुत्र करणवीर सिंह (19 वर्ष ) पढ़ाई करता है। वह अमृतसर में ही अपने पिता से मुलाकात कर मेडिकल की तैयारी के संबंध में बात करने गया था, जहां ये दुःखद घटना घटित हो गई।
नवंबर में ही आये थे घर
वह गत वर्ष नवंबर महीने में ही घर आये थे व 10 दिसंबर को वापस ड्यूटी गए थे। इस घटना के बाद गांव के लोग भी उन्हें याद कर रहे हैं। उनके छोटे भाई संजीव कुमार सिंह ने बताया कि पांच भाइयों में वह सबसे बड़े थे व काफी मिलनसार प्रवृत्ति के थे। जब भी घर आते थे तो गांव के लोगों में ही ज्यादा समय व्यतीत करते थे। उनके पिता व माता की पहले ही मृत्यु हो चुकी है।
परिवार ने उच्च स्तरीय जांच की मांग की
हेड कांस्टेबल की बेटी पुतुल सिंह ने बताया कि पिताजी पांच भाइयों में सबसे बड़े थे। वह बीते साल 29 नवंबर को अपनी भतीजी की शादी में घर आए थे। इसके बाद 15 दिसंबर को अमृतसर कैंप गए थे। 1994 बैच के राम विनोद सिंह इसी साल VRS लेने वाले थे ताकि अपने परिवार के साथ रहकर बाकी जिंदगी बिताएं। बेटी ने मामले में उच्चस्तरीय जांच करवाने की मांग की है।
इधर, पति के मौत की सूचना पाकर पत्नी सुशीला देवी चीत्कार मारकर रो रही थीं। बार-बार बेहोश हो जा रही थीं। राम विनोद सिंह की तीन बेटियां हैं, जिनकी शादी हो चुकी है। परिजनों को मिली जानकारी के अनुसार बीएसएफ मुख्यालय से आठ मार्च को उनका पार्थिव शरीर पैतृक घर बहोरा टोला लाया जाएगा। यहीं उन्हें अंतिम विदाई दी जाएगी।
मंगलवार को घर आएगा पार्थिव शरीर
बीएसएफ के जवान का पार्थिव शरीर मंगलवार को घर आएगा, जहां उनके पारिवारिक सदस्यों द्वारा अंतिम संस्कार किया जाएगा । इस खबर के बाद से ही लोग उनके घर जाकर परिजनों को ढाढ़स बंधा रहे हैं।