ध्यानाकर्षण पर सरकार का पक्ष रखते हुए स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय ने कहा कि निजी चिकित्सा महाविद्यालयों के ट्यूशन फी का निर्धारण सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित सेवानिवृत्त न्यायमूर्ति अखिलेश चन्द्रा की अध्यक्षता में गठित स्वतंत्र समिति द्वारा किया जाता है।

आठ बिंदुओं पर विचार के बाद शुल्क निर्धारण तीन साल के लिए होता है। नीट के आधार पर यहां नामांकन होता है। दूसरे देशों से एमबीबीएस करने पर देश के किसी भी राज्य में प्रैक्टिस करने के पूर्व मेडिकल ग्रेजुएट परीक्षा पास करने की अनिवार्यता है। कहा कि अगले अकादमिक वर्ष से भारत सरकार ने देशभर के निजी मेडिकल कॉलेजों को अपनी 50 फीसदी सीटों पर सरकारी मेडिकल कॉलेजों जितनी ही फीस लेने का निर्देश दिया है। केन्द्र सरकार के दिशा-निर्देश में यह भी स्पष्ट प्रावधान है कि कोई भी संस्था कैपिटेशन फी किसी भी रूप में नहीं वसूल सकती है। उन्होंने कहा कि राज्य में एम्स, ईएसआईसी बिहटा समेत 12 मेडिकल महाविद्यालय संचालित हैं और अगले 3-4 साल में यह संख्या 24 हो जाएगी। प्रश्नकर्ता डा. संजीव कुमार ने इसे गंभीर विषय मानते हुए हर जिला में मेडिकल कॉलेज खोलने का सुझाव दिया। ध्यानाकर्षण पर नीतीश मिश्रा समेत पक्ष-विपक्ष के कई सदस्यों ने हस्तक्षेप करते हुए सरकार का ध्यान आकृष्ट कराया। विधानसभा अध्यक्ष विजय कुमार सिन्हा ने कहा कि इस गंभीर विषय पर सरकार की सजगता और गंभीरता दिख रही है। सराहना की कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार तथा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रयासों के बाद छात्र सकुशल यूक्रेन से वापस आ रहे हैं।

Source : Hindustan

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