नल-जल योजना एक दिन भी बंद रही तो संबंधित संवेदक पर दो हजार का जुर्माना लगेगा। इसको लेकर लोक स्वास्थ्य अभियंत्रण विभाग (पीएचईडी) ने जिलों को सख्त निर्देश दिया है कि इसकी मॉनिटिरिंग नियमित रूप से करें, ताकि यह सुनिश्चित हो कि किसी भी दिन नल-जल योजना के तहत हो रहे पेयजल आपूर्ति बाधित नहीं रहे। विभाग के मंत्री रामप्रीत पासवान ने मंगलवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस में यह जानकारी दी।

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मंत्री ने कहा कि राज्य में अभी कहीं भी पेयजल संकट नहीं है पर, भीषण गर्मी को देखते हुए विभाग पूरी तरह सचेत है। उन्होंने कहा कि पीएचईडी द्वारा राज्य के 56 हजार 544 ग्रामीण वार्डों में नल-जल योजना का क्रियान्वयन किया जा रहा है। इनमें 55 हजार 737 वार्डों में यह काम पूरा कर लिया गया है। एक मार्च से अब तक 50 हजार 988 चापाकलों को दुरुस्त किया गया है। चापाकलों का स्थानीय स्तर पर निरंतर जायाजा लिया जा रहा है। कहीं भी चापाकल के खराब रहने की सूचना मिलती है तो उसे तत्काल ठीक कराया जाता है। उन्होंने कहा कि गर्मी के मौसम में राज्य के सरकारी विद्यालयों में पेयजल के लिए नल-जल की उपलब्धता को बनाये रखने के लिए विशेष अभियान चलाया गया है। जिला शिक्षा पदाधिकारी के समन्वय से विद्यालयों में मरम्मत योग्य चापाकलों की सूची प्राप्त कर 7391 को दुरुस्त किया गया है।

25 फीट तक भूजल स्तर रहने से समस्या नहीं

विभाग के सचिव जितेंद्र श्रीवास्तव ने कहा कि पेयजल से संबंधित किसी भी स्थिति से निपटने के लिए सभी जिलों में कुल 484 पानी के टैंकर तैयार रखे गये हैं, ताकि जरूरत के मुताबित इन्हें संबंधित जगहों पर तत्काल भेजा जा सके। उन्होंने कहा कि उत्तर बिहार हो या दक्षिण बिहार कहीं भी भूजल स्तर सामान्य स्थिति से नीचे नहीं गया है। उत्तर बिहार में 25 फीट तक भूजल स्तर रहने से कोई समस्या नहीं आती है और सभी जगहों पर इससे बेहतर स्थिति है। वहीं, दक्षिण बिहार में 35 फीट तक सामान्य स्थिति रहती है। हालांकि, 60 फीट तक भी भूजल स्तर जाता है, तो पेयजल की कोई समस्या नहीं आती है।

Source : Hindustan

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