INDIA
अजब चोर का गजब तरीके, पहले मंदिर में चढ़ाए पैसे, फिर जेवर और दानपात्र उठा ले गए

उत्तर प्रदेश के कानपुर में 10 दिन पहले पीतांबरा माता के मंदिर में चोरी हो गई थी. इस घटना में सामने आया है कि चोरों ने पहले मंदिर में दर्शन किए. इसके बाद चढ़ावे में 10 रुपए भी चढ़ाए. फिर आधी रात को मंदिर से सोने-चांदी के जेवरात और नकदी चुराकर फरार हो गए. पुलिस का कहना है कि फहीम नाम के आरोपी ने दर्शन करके 10 रुपए चढ़ाए थे. पुलिस ने इस मामले में चार आरोपियों को गिरफ्तार करके जेवर और नकदी बरामद कर ली है.
जानकारी के अनुसार, कानपुर के बिठूर में 13 जनवरी की रात प्राचीन पीतांबरा देवी मंदिर में चोरी हो गई थी. चोर माता के जेवर और दानपात्र सहित करीब 20 लाख की चोरी कर ले गए थे. यह घटना सीसीटीवी में रिकॉर्ड हो गई थी. चोरी की घटना की सूचना मिलने के बाद पुलिस प्रशासन ने जांच शुरू की.
इस मामले में क्राइम ब्रांच सहित कई थानों की पुलिस जांच कर रही थी. इसी के तहत पुलिस ने आज चार आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया. पुलिस का कहना है कि कन्नौज के रहने वाले कुंवर पाल ने अपने साथियों के साथ मंदिर से चोरी की थी. इन लोगों ने पहले मंदिर में घूमकर रेकी की. इसके बाद रात में मंदिर में पहुंचकर माता के जेवर और दानपात्र चोरी कर लिया था.
पुलिस ने गैंग लीडर कुंवर पाल सहित चार लोगों को किया अरेस्ट
चोरी के बाद आरोपियों ने कन्नौज जाकर सारा जेवर गलाकर बेच दिया. पुलिस ने इस मामले में गैंग लीडर कुंवर पाल समेत 4 लोगों को गिरफ्तार किया है. इनमें दो सुनार हैं, जिन्होंने मंदिर के जेवर को गलाया था. पुलिस ने आरोपियों के पास से काफी मात्रा में सोना चांदी और पैसे बरामद किए हैं. जेवर चोरी में शामिल फहीम और उसका साथी फरार है.
शातिर चोर पहले भी मध्य प्रदेश सहित कई जगहों पर कर चुका है चोरी
पुलिस का कहना है कि कुंवर पाल शातिर चोर है, जो ज्यादातर मंदिर में ही चोरी करता है. इससे पहले उसने मध्यप्रदेश और घाटमपुर में भी मंदिर में चोरी की थी. कुंवर पाल पर अब तक 26 केस दर्ज हैं. उसने स्वीकार किया है कि उसने फहीम के साथ पीतांबरा माता और साईं धाम के दर्शन किए थे. इसके बाद पीतांबरा माता के मंदिर में 10 रुपए चढ़ाए थे. पुलिस फहीम की गिरफ्तारी के लिए प्रयास कर रही है.
डीसीपी पश्चिम विजय ढुल ने कहा कि मंदिर में चोरी हुई थी. इसमें चार लोगों को गिरफ्तार किया गया है. इन लोगों ने चोरी से पहले मंदिर की रेकी की थी. उसके बाद चोरी की थी. पुलिस ने इसमें दो सुनारों सहित चार आरोपियों को गिरफ्तार किया है. गैंग लीडर कुंवर पाल पहले भी कई मंदिरों में चोरी कर चुका है.
Source : Aaj Tak
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कड़ी कार्रवाई : सट्टेबाजी-कर्ज वाले 232 चीनी ऐेप बंद

केंद्र सरकार ने चीनी कनेक्शन सामने आने के बाद 232 मोबाइल ऐप को प्रतिबंधित कर दिया है। इसमें 138 ऑनलाइन सट्टा खिलाने वाले और 94 अनधिकृत रूप से ऋण देने वाले ऐप शामिल हैं। इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने पिछले हफ्ते गृह मंत्रालय से इन ऐप को प्रतिबंधित करने की सिफारिश की थी। इसके बाद मंत्रालय ने यह फैसला लिया है।
संप्रभुता को नुकसान गृह मंत्रालय के अनुसार, इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय से मिले इनपुट के बाद इन ऐप की जांच शुरू की गई। पता चला है कि इन ऐप पर भारत की संप्रभुता और अखंडता को नुकसान पहुंचाने वाले कंटेट मौजूद हैं। यह आईटी एक्ट की धारा-69 के तहत अपराध है।
लाखों जीतने का लालच देते हैं जांच में पता चला है कि ये ऐप लोगों को लोन लेने और सट्टा खेलकर लाखों जीतने का लालच देते हैं। बाद में कर्ज न चुका पाने पर उन्हें भद्दे मैसेज भेजते हैं। उनकी तस्वीरों से छेड़छाड़ कर वायरल करने की धमकी देते हैं। इससे परेशान होकर आंध्र प्रदेश, तेलंगाना के कुछ लोगों ने आत्महत्या कर ली थी। तेलंगाना, ओडिशा और उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों ने भी गृह मंत्रालय से ऐप पर कार्रवाई करने को कहा था। मंत्रालय ने बताया कि कुछ लोगों ने इन ऐप के खिलाफ जबरन वसूली और उत्पीड़न की शिकायतें भी की थीं। शिकायत करने वालों ने इन ऐप से छोटी रकम लोन ली थी, बाद में उन्हें प्रताड़ित किया जाने लगा।
गृह मंत्रालय ने छह महीने पहले लोन देने वाले 28 चीनी ऐप का विश्लेषण शुरू किया। जिसमें पता चला कि 94 ऐप ई-स्टोर्स पर उपलब्ध हैं। कई ऐप थर्ड पार्टी लिंक के जरिए काम कर रहे हैं। इन ऐप में चीनी कनेक्शन सामने आने के बाद इन पर प्रतिबंध की प्रक्रिया शुरू हुई।
Source : Hindustan
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बीबीसी डॉक्युमेंट्री पर तत्काल बैन हटाने से सुप्रीम कोर्ट का इनकार, सरकार से मांगे दस्तावेज

सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात दंगा 2002 को लेकर बीबीसी डॉक्युमेंट्री मामले में सुनवाई पूरी कर ली है। शीर्ष अदालत ने डॉक्युमेंट्री पर तत्काल बैन हटाने से इनकार कर दिया है। अदालत ने केंद्र को नोटिस जारी करते हुए मामले में ओरिजिनल दस्तावेज जमा करने को कहा है। इसके लिए सरकार को तीन सप्ताह तक का वक्त दिया है। मामले में अगली सुनवाई अप्रैल में होगी।
2002 के गुजरात दंगों पर बीबीसी की डॉक्युमेंट्री के सोशल मीडिया लिंक को बैन करने के आदेश के खिलाफ दायर जनहित याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई पूरी कर ली है। सुप्रीम कोर्ट ने बीबीसी डॉक्युमेंट्री पर तत्काल बैन हटाने से इनकार कर दिया। साथ ही मामले में केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया है। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र को तीन सप्ताह के भीतर मामले में ओरिजिनल दस्तावेज जमा करने को कहा है।अगली सुनवाई अप्रैल माह में होगी।
साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने इस प्रकरण में पत्रकार एन राम, टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा और अधिवक्ता प्रशांत भूषण द्वारा संयुक्त रूप से दायर याचिका पर कोई अंतरिम आदेश जारी करने से इनकार कर दिया है।
Source : Hindustan
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600 करोड़ साल पुरानी शिलाओं से कैसे तराशी जाएंगी रामलला की मूर्तियां, छेनी-हथौड़ी की नहीं है इजाजत

अयोध्या में बन रहे भगवान राम के भव्य मंदिर में रामलला की मूर्ति तैयार करने के लिए नेपाल से शाली ग्राम शिलाएं लाई गई हैं। ये शिलाएं नेपाल के काली गंडकी नदी से लाई गई हैं। बताया जा रहा है कि करीब 600 करोड़ साल पुरानी इन शिलाओं से ही रामलला की मूर्ति को तैयार किया जाएगा लेकिन सामने चुनौती है कि इन शिलाओं पर लोहे के औजारों का इस्तेमाल वर्जित हैं। यानी छेनी और हथौड़ी के जरिए रामलला की मूर्ति नहीं बनाई जाएगी।
तो सवाल उठता है कि ऐसे में इन भारी भरकम शिलाओं पर किस चीज का इस्तेमाल कर रामलला की मूर्ति तैयार की जाएगी?
हीरे काटने वाले औजार से होगा मूर्ति का निर्माण
ऐसा बताया जा रहा है कि लोहे का इस्तेमाल वर्जित होने की वजह से छेनी या हथौड़ी का इस्तेमाल इन शिलाओं पर नहीं किया जाएगा। तो ऐसे में इन शिलाओं के जरिए रामलला की मूर्ति को गढ़ने के लिए हीरे काटने वाले औजार का प्रयोग किया जाएगा। नेपाल से लाई गई दो शिलाओं का वजन काफी ज्यादा है इन में से एक 26 टन की तो दूसरी शिला 14 टन की है।
इन शिलाओं पर रिसर्च करने वाले भूगर्भीय वैज्ञानिक डॉ. कुलराज चालीसे ने दावा किया है कि मां जानकी की नगरी से भगवान राम के स्वरूप निर्माण के लिए लायी गई देवशिला में 7 हार्नेस की है। इसलिए लोहे की छेनी के जरिए इन्हें नहीं गढ़ा जा सकता है।
डॉ. कुलराज चालीसे का मानना है कि करीब 600 करोड़ साल पहले की इन शिलाओं पर लोहे के औजारों के बजाए हीरे काटने वाले औजारों का इस्तेमाल किया जाएगा।
26 जनवरी को नेपाल में लादी गई शिलाओं को तकनीकी विशेषज्ञों की देखरेख में चार क्रेनों की मदद से उतारा गया। ये शालिएं 1 फरवरी को अयोध्या पहुंची। अगले दिन वैदिक मंत्रोच्चार के साथ देव शिलाओं की पूजा की गई। फिर इन्हें राम मंदिर समिति को सौंप दिया गया। इससे पहले पूजा-अर्चना के लिए शिलाओं को फूल मालाओं से सजाया गया था।
Source : Hindustan
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