INDIA
मणिपुर में जेडीयू को 6 सीटें, सभी सीटों पर BJP उम्मीदवारों को हराया

मणिपुर विधानसभा चुनाव की 60 सीटों में लगभग आधी पर बीजेपी का प्रभाव दिखा. वहीं, कांग्रेस को कुल 5 सीटों पर जीत मिली है. जबकि, मणिपुर विधानसभा में जदयू का भी खाता खुल गया है. सबसे बड़ी बात यह है कि जदयू को मणिपुर में कांग्रेस से ज्यादा सीटें मिली है. इन सभी सीटों पर जदयू के प्रत्याशियों ने भाजपा के उम्मीदवारों को हराकर जीत हासिल की है.
मणिपुर विधानसभा चुनाव में 6 सीटों पर जदयू की शानदार जीत के लिए मणिपुर की जनता को बधाई एवं उनका हार्दिक अभिनंदन। उनका हृदय से आभार कि उन्होंने जद(यू) को सेवा का अवसर दिया।…(1/2)
— Nitish Kumar (@NitishKumar) March 10, 2022
…(2/2) जदयू के विजयी उम्मीदवारों, समर्पित कार्यकर्ताओं को भी बहुत बधाई एवं शुभकामनाएं। विजयी उम्मीदवार पूरी लगन एवं मेहनत से मणिपुर की जनता की सेवा करेंगे, ऐसा मुझे विश्वास है।
— Nitish Kumar (@NitishKumar) March 10, 2022
जदयू के सभी छह उम्मीदवारों ने बीजेपी के प्रत्याशियों को हराया
चुनाव आयोग की ओर से जारी किए आंकड़ों पर गौर करे तो जदयू के सभी छह उम्मीदवारों ने बीजेपी के प्रत्याशियों को पराजित कर जीत हासिल की है. आंकड़ों पर गौर करे तो जदयू और बीजेपी के प्रत्याशियों के बीच मतों का अंतर बहुत कम रहा है. जदयू और बीजेपी के प्रत्याशियों के बीच चार सीटों पर मतों का अंतर आठ सौ से भी कम रहा है. वहीं, अन्य दो सीटों पर दोनों दलों के बीच मतों का अंतर 1249 और 3773 रहा है.
जदयू के विजयी उम्मीदवारों की सूची
– चुराचांदपुर सीट से जदयू के एलएम खौटे ने बीजेपी के उम्मीदवार वी हांग्खानलियानी को 624 वोटों से हराया.
– जिरिबाम सीट से जदयू के मो. आचाब उद्दिन ने बीजेपी के उम्मीदवार नेमकिरप्पम बुद्धचंद्र सिंह को 416 मतों से हराया.
– लिलोंग सीट से जदयू के मोहम्मद अब्दुल नसीरो ने बीजेपी के उम्मीदवार वाई अंतस खान को 570 मतों से हराया.
– थंगमीबंद सीट से जदयू के खुमुच्छम जोयकिसन सिंह ने बीजेपी के उम्मीदवार जोतिन वाइखोम को 3773 मतों से हराया.
– तिपैमुख सीट से जदयू के नगुरसंगलूर सनाटे बीजेपी के चल्टन लियन अमो को 1249 मतों से हराया.
– वांगखेई सीट से जदयू के थंगजाम अरुण कुमार ने बीजेपी के ओकराम हेनरी को 753 मतों से पराजित किया.
बिहार में बीजेपी के साथ सत्ता संभाल रही जदयू
बता दें कि बिहार में बीजेपी के साथ जदयू सत्ता संभाल रही है. बावजूद इसके जदयू ने मणिपुर में अलग चुनाव लड़ने का फैसला लिया था. इससे पहले भी जदयू गुजरात में अलग चुनाव लड़ चुकी है. इन सबके बीच, मणिपुर में भारतीय जनता पार्टी ने दबदबा कायम रखा हुआ है. वहीं, कांग्रेस को अब तक का सबसे खराब दौर का सामना करना पड़ रहा है. मणिपुर में कांग्रेस का बेहद खराब प्रदर्शन रहा और उसे महज पांच सीटों मिल रही है. कांग्रेस ने पिछले चुनाव में 28 सीटें हासिल की थीं और उसे इस बार 23 सीटों पर नुकसान उठाना पड़ रहा है.
INDIA
भीम आर्मी चीफ चंद्रशेखर जयपुर में गिरफ्तार, कोविड सहायकों के धरने का समर्थन करने पहुंचे थे

राजस्थान पहुंचे भीम आर्मी चीफ चंद्रशेखर को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है. चंद्रशेखर को राजस्थान की राजधानी जयपुर में गिरफ्तार कर पुलिस ने जेल भेज दिया है. रविवार को भीम आर्मी चीफ चंद्रशेखर की गिरफ्तारी पुलिस ने जयपुर शहर में लागू धारा 144 के उल्लंघन से जुड़े मामले में की है.
राजस्थान सरकार ने @BhimArmyChief भाई चंद्रशेखर आजाद जी को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया है यह तानाशाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी जल्द रिहा करे वरना पूरे देश की भीम आर्मी राजस्थान कूच करेंगी @ashokgehlot51 pic.twitter.com/cl3qfKE7d2
— Mukesh Lahare BHIM ARMY (@mukesh_Lahare_) July 3, 2022
जानकारी के मुताबिक भीम आर्मी चीफ चंद्रशेखर जयपुर पहुंचे थे. चंद्रशेखर जयपुर में लंबे समय से चल रहे कोविड सहायकों के धरने का समर्थन करने पहुंचे थे. जयपुर में इस समय धारा 144 लागू है. बताया जाता है कि कोविड सहायकों के धरने का समर्थन करने पहुंचे चंद्रशेखर के खिलाफ धारा 144 के उल्लंघन का मामला दर्ज कर पुलिस ने गिरफ्तारी की कार्रवाई की.
बताया जा रहा है कि जयपुर पुलिस ने भीम आर्मी चीफ चंद्रशेखर को धारा 144 के उल्लंघन के मामले में गिरफ्तार कर जेल भेज दिया है. गौरतलब है कि कोरोना काल में राजस्थान सरकार ने कोविड सहायकों की नियुक्ति की थी. कोविड सहायक विभिन्न मांगों को लेकर धरना दे रहे हैं.
गौरतलब है कि कोविड स्वास्थ्य सहायक लंबे समय से अपनी मांगों के समर्थन में धरना-प्रदर्शन कर रहे हैं. भारतीय किसान श्रमिक जनशक्ति यूनियन समेत कई संगठन कोविड सहायकों के आंदोलन का समर्थन कर रहे हैं. बता दें कि जयपुर के शहीद स्मारक पर धरना दे रहे कोविड स्वास्थ्य सहायकों ने सरकार पर आरोप लगाया था कि सरकार उनकी मांगों पर ध्यान नहीं दे रही है.
BIHAR
चुपके से आई यूपी की पुलिस टीम, बिहार से ले गई तीन युवकों को

यूपी के लखनऊ में एक हत्याकांड में संलिप्तता पाए जाने के बाद एसआइटी (यूपी) की टीम ने बड़हरिया थाना क्षेत्र के अटखंबा गांव में शनिवार की सुबह तीन युवकों को गुपचुप तरीके से दबोच लिया और उन्हें अपने साथ लेकर यूपी चली गई। एसआइटी टीम में एक जवान पुलिस के वेश में था जबकि शेष सादे लिबास में थे। तीनों युवकों को हिरासत में लेकर जाने के बाद गांव में हड़कंप मच गया। गांव में चर्चाओं का बाजार गर्म था। वहीं स्वजन इस मामले में पुलिस कुछ भी नहीं बताए जाने को लेकर चिंतित हो गए।
यूपी की एसआइटी टीम आई थी बिहार
मामले में एसपी शैलेश कुमार सिन्हा ने घटना की पुष्टि करते हुए बताया कि यूपी की एसआइटी टीम ने संपर्क किया था तीनों युवकों को पूछताछ के लिए टीम अपने साथ हिरासत में लेकर गई है। इधर घटना की सूचना जैसे ही बड़हरिया थानाध्यक्ष को हुई वह मौके पर पहुंचा कर जांच में जुट गए। गांव में लगे सीसी कैमरा की मदद से उन्होंने सभी की पहचान की। थानाध्यक्ष ने बताया कि बड़हरिया थाना क्षेत्र के अटखंमबा गांव के तीन लड़कों को सिविल ड्रेस में आई यूपी पुलिस अपने साथ लेकर चली गई। सीसीटीवी फुटेज में देखा गया कि पांच लोग सिविल ड्रेस में और एक पुलिस की वर्दी में थे। प्रारंभिक जानकारी मिली है कि लखनऊ में कुछ माह पहले किसी की हत्या हुई थी और उसी संदर्भ में तीनों की संलिप्तता पाई गई है। इसमे दो सगे भाई भी शामिल हैं। यूपी पुलिस ने जिन तीन युवकों को उठाया है उसमें मंजर इकबाल, काशिफ हसन व सरफराज अहमद शामिल है।
यूपी एसआइटी टीम ने पहले मंजर को पकड़ा
थानाध्यक्ष ने बताया कि फुटेज देखने से यह प्रतीत हो रहा था कि सभी यूपी की एसआइटी टीम के सदस्य थे। टीम ने पहले मंजर को पकड़ा इसके बाद सौ मीटर की दूरी पर मौजूद दोनों भाई काशिफ एवं सरफराज को पकड़ा लिया। दोनों भाई अलीगढ़ में हाफिज की पढ़ाई करते थे। लाकडाउन के समय से सिवान में थे। वहीं मंजर नोएडा में बीटेक करता है। चार दिन पूर्व सिवान आया था। बताया कि दोनों भाई पर अलीगढ़ में केस भी है। कहते हैं अधिकारी मामले में पुलिस अधीक्षक शैलेश कुमार सिन्हा बताया कि लखनऊ पुलिस आई थी। उन तीनों को लखनऊ के किसी मर्डर केस के सिलसिले में संलिप्तता पाए जाने पर अपने साथ लेकर गई है।
Source : Dainik Jagran
INDIA
1 जुलाई से नहीं लागू हो रहे नए श्रम कानून, करना होगा और इंतजार

अटकलों के उलट नए श्रम कानून 1 जुलाई से लागू नहीं हो रहे हैं. एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने मनीकंट्रोल से बातचीत में कहा है कि नए कानूनों के 4 कोड, औद्योगिक विवाद, सामाजिक सुरक्षा, वेतन और पेशेवर सुरक्षा, पर अभी मंथन चल रहा है. बता दें कि केंद्र सरकार ने 29 श्रम कानूनों को 4 कोड में समाहित कर दिया है.
एक अन्य अधिकारी ने कहा कि यह ढांचागत बदलाव हैं और मंत्रालय श्रम कल्याण व व्यापार की सुगमता में संतुलन बनाने का प्रयास कर रहा है. उन्होंने कहा कि केंद्रीय श्रम मंत्रालय राज्यों, उद्योगों व अन्य हितधारकों के साथ बातचीत कर रहा है और अभी तक की वार्ता अच्छी रही है. बकौल अधिकारी, लेकिन 1 जुलाई को कोड नहीं लागू होने वाले हैं.
मंत्रालय करेगा औपचारिक घोषणा
श्रम एवं रोजगार मंत्रालय के अधिकारियों ने कहा है कि एक बार सारी चीजें तय होने के बाद मंत्रालय औपचारिक घोषणा करेगा, लेकिन निकट भविष्य में इससे आसार कम हैं. बता दें कि संसद ने वेतन संबंधी कोड को 2019 में और अन्य 3 कोड्स को 2020 में पारित कर दिया था, लेकिन अभी इनमें से किसी को भी लागू नहीं किया है.
नए कोड्स से क्या बदलेगा
इनका नियोक्ता और कर्मचारी दोनों पर बड़ा प्रभाव होगा. कंपनियों के लोगों को भर्ती करना और निकालना और आसान हो जाएगा. इसके अलावा औद्योगिक हड़तालें करना बेहद मुश्किल हो जाएगा. नया राष्ट्रीय वेतन नियम लागू होगा जिससे कर्मचारियों को लाभ मिलेगा और असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों को सोशल सिक्योरिटी के घेरे में लाया जाएगा. साथ ही वेतन की परिभाषा बदलेगी और संभवत: आपके हाथ में आने वाला वेतन घट जाएगा. जबकि रिटारयमेंट के लिए बचाई जाने वाली सेविंग्स बच जाएंगी. इस बिंदु का उद्यमी व नियोक्ता विरोध कर रहे हैं क्योंकि इससे उन पर वित्तीय दबाव बढ़ सकता है.
इसके अलावा नए कोड्स में साप्ताहिक काम के घंटों में कोई बदलाव नहीं है, लेकिन डेली वर्किंग आवर्स में चेंज हो सकता है. अगर कर्मचारी और नियोक्ता चाहें तो एक दिन में 12 घंटे काम के साथ हफ्ते में 4 दिन वर्किंग रख सकते हैं और 3 दिन का वीक ऑफ दे सकते हैं.
क्या है उद्योगों का रुख
एक सर्वे के अनुसार, 64 फीसदी कंपनियां मान रही हैं कि इन बदलावों से उनके मुनाफे-घाटे पर सीधा असर होगा. एडवाइजरी फर्म विलिस टावर्स वॉट्सन के इस सर्वे के मुताबिक, कम से कम 71 फीसदी कंपनियों ने इसके प्रभावों का आकलन करने के लिए कदम उठाए हैं. हालांकि, 34 फीसदी कंपनियां नए वेतन कोड के संदर्भ में किसी तरह के बदलाव को लेकर किसी नतीजे पर नहीं पहुंची है. 53 फीसदी कंपनियां रिटायरमेंट की आयु और लंबी अवधि में दिए जाने वाले बेनेफिट्स की समीक्षा पर विचार कर रही हैं.
Source : News18
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