रूस ने यूक्रेन पर आक्रमण कर दिया है। यूक्रेन की राजधानी कीव के उपर रूसी फाइटर प्लेन मंडरा रहे हैं। जगह-जगह बमबारी हो रही है। कई भारतीय छात्र यूक्रेन में फंसे हुए हैं। छात्रों के परिजन आरोप लगा रहे हैं कि उनको वक्त रहने स्वदेश लाने का वैसा प्रयास नहीं किया गया, जैसा पूर्व विदेश मंत्री सुषमा स्वराज के समय में होता था।
हालांकि, इस मामले में अब भारत सरकार सक्रिय हो गई है और PM नरेंद्र मोदी ने एक हाई लेवल मीटिंग की है। सरकार की कोशिशों और सुषमा स्वराज के योगदान पर चर्चा से पहले इस पोल पर आप अपनी राय दे सकते हैं।
एक रिपोर्ट के मुताबिक, इस वक्त यूक्रेन में करीब 20 हजार भारतीय फंसे हुए हैं। इनमें बड़ी संख्या मेडिकल स्टूडेंट्स की है। यूक्रेन में फंसे भारतीय छात्र और यहां उनके परिजन को ऐसे समय में सुषमा स्वराज और उनके काम करने का तरीका याद आ रहा है। उनके विदेश मंत्री रहते एक ट्वीट पर भारत का जहाज विदेशों में फंसे भारतीयों को लाने पहुंच जाता था।
सोशल मीडिया पर इंडियन यूजर्स का रिएक्शन देखकर लगता है कि सभी को सुषमा स्वराज के काम करने का तरीका बेहतर लग रहा है..
@narendramodi is busy in election and external affair ministry is non existence.Missing #sushmaswaraj https://t.co/qEmeM6EKE3
— Sanjay Karan (@SanjayK53544321) February 24, 2022
At least in Sushma Swaraj days, the MEA used to take care of these things in time. Under the current MEA, the priority is more on throwing tantrums about people criticizing Modi, and keeping an eye on Indians abroad protesting against Modi
Not this absolutely basic job. https://t.co/N51DiHCFDX
— Gaurav Sabnis (@gauravsabnis) February 24, 2022
https://twitter.com/ItsRoshanRai/status/1496890185706971145
https://twitter.com/herlazyness/status/1496854739212025856
Indians stuck in Ukrain must be missing @SushmaSwaraj pic.twitter.com/erB9Nek3ch
— गुड्डू रंगीला (@NitinSingh1031) February 25, 2022
Don't know the end result of this war. One thing I am certain about: If Sushma Swaraj was alive, the 15000 Indian students stuck in Ukraine would have been home by now.
— Anil Thakraney (@anilthakraney) February 25, 2022
5 साल, 186 देश, 90 हजार भारतीयों की मदद
विदेश मंत्री रहते हुए सुषमा स्वराज ने विदेश मंत्रालय का अर्थ बदल दिया था। वह 2014 से 2019 तक विदेश मंत्री रहीं। हाई प्रोफाइल और बड़े लोगों का मंत्रालय माना जाने वाले विदेश मंत्रालय को तब आम भारतीयों का मंत्रालय कहा जाने लगा था। जिसका मुख्य मकसद विदेशों में मुश्किलों का सामना कर रहे आम भारतीयों की मदद करना बन गया था। अपने पांच वर्षों के कार्यकाल में सुषमा स्वराज ने 186 देशों में 90 हजार से अधिक भारतीयों तक मदद पहुंचाई थी।
जब भारतीयों को बचाने के लिए रुकवाया था युद्ध
साल 2015 में यमन में सऊदी गठबंधन सेना और हूती विद्रोहियों के बीच भीषण युद्ध छिड़ गया था। सऊदी गठबंधन की सेना लगातर यमन की राजधानी सना पर बमबारी कर रही थी। ऐसी स्थिति में यमन में फंसे हजारों भारतीय कामगारों ने मदद के लिए सुषमा स्वराज से गुहार लगाई, लेकिन शहर के ऊपर मंडराते फाइटर प्लोनों के रहते किसी भी सिविलियन जहाज का सना में लैंड करना संभव नहीं था।
ऐसे में सुषमा स्वराज की पहल पर भारत सरकार ने सऊदी अरब से कुछ समय के लिए हमले रोकने को कहा। सुषमा स्वराज ने अपनी कूटनीति से सऊदी अरब को इसके लिए राजी भी कर लिया। जिसके बाद सऊदी ने एक सप्ताह तक दिन में बमबारी रोक दी। इस बीच वहां फंसे 5 हजार से अधिक भारतीय सकुशल वतन लौट आए। इसे ‘ऑपरेशन राहत’ के नाम से जाना गया।
वीके सिंह खुद जाते थे भारतीयों को लाने, विदेशियों को भी दी मदद
सुषमा स्वराज के विदेश मंत्री रहते हुए विदेश राज्य मंत्री जनरल वीके सिंह समेत कई उच्च अधिकारी स्वयं युद्ध प्रभावित क्षेत्रों में जाकर भारतीय नागरिकों को देश लाते थे। 2015 में यमन से पांच हजार भारतीयों के साथ 48 देशों के 2000 से ज्यादा विदेशी नागरिक भी युद्ध क्षेत्रों से निकाले गए थे। ये ऐसा समय था जब विदेशी सरकारें भारत से अपने नागरिकों को भारतीयों के साथ युद्ध क्षेत्रों से निकालवाने की अपील करती थीं। विदेशी नागरिक भारतीयों के साथ सकुशल भारत आते फिर यहां से अपने देश जाते थे।
सूडान से लेकर लीबिया तक बनीं थीं ‘संकटमोचक’
विदेशों में युद्ध या किसी भी तरह के खतरे में फंसे भारतीयों के लिए सुषमा स्वराज तुरंत एक्शन में आ जाती थीं। 2016 में दक्षिण सूडान के युद्ध में फंसे भारतीयों के लिए ‘ऑपरेशन ‘संकटमोचन’ चला कर 500 लोगों को भारत लाया गया था। इसी तरह लीबिया के युद्ध से भी समय रहते भारतीयों को स्वदेश ले आया गया था। सऊदी में फंसी एक घरेलू महिला कामगार का उसके सऊदी मालिक ने हाथ काट दिया था। सुषमा स्वराज ने इस मामले को प्रमुखता से उठाया और महिला को भारत बुलवा लिया था।
इसी तर्ज पर भटककर पाकिस्तान चली गई गूंगी-बहरी गीता को भारत लाकर सुषमा स्वराज ने पूरे सरकारी अमले को उसके परिवार को ढूंढने में लगा दिया था। ऐसे ही जर्मनी में बिना पासपोर्ट और पैसों के फंसी भारतीय लड़की को भी भारत बुलवा लिया था।
ऐसी विदेश मंत्री जो मंगल ग्रह से भी भारतीयों को बचाने की बात कहती थीं
किसी को भारत में इलाज कराना हो या इलाज के लिए भारत से बाहर जाना हो। विदेशों में मालिक ने पासपोर्ट जब्त कर लिया हो या कोई और संकट हो, सुषमा स्वराज बस एक ट्वीट में मदद के लिए अपने पूरे सरकारी अमले के साथ हाजिर होतीं थीं। सुषमा स्वराज को ट्वीट करना मदद की गारंटी मानी जाती थी। एक बार एक यूजर को जवाब देते हुए सुषमा स्वराज ने कहा था ‘अगर आप मंगल ग्रह पर भी फंसे हों तो वहां भारतीय दूतावास आपकी मदद की लिए पहुंच जाएगा।’
अब तक क्या हुआ यूक्रेन में फंसे भारतीयों को लाने के लिए
- PM मोदी ने रूसी राष्ट्रपति पुतिन से बात की
- PM मोदी ने हाई लेवल मीटिंग की। इसमें विदेश मंत्री, रक्षा मंत्री, गृह मंत्री, वित्त मंत्री और NSA मौजूद रहे।
- अब तक 4 हजार लोग भारत लौटे
- 20 हजार भारतीय अब भी यूक्रेन में फंसे हैं
- इनको सीधे एयरलिफ्ट करने भी पर विचार
- फिलहाल भारतीयों को कीव से दूर किया जा रहा है
- पोलैंड से होकर भारतीयों को लाने के प्लान पर काम हो रहा है
Source : Dainik Bhaskar