राज्य के किसानों के लिए ऑनलाइन लगान कटाना कठिन हो गया है। राजस्व व भूमि सुधार विभाग ने ऑफलाइन लगान जमा करने की व्यवस्था घोषित रूप से 31 मार्च से बंद कर दी है। वैसे अघोषित रूप से यह साल भर से बंद है। लिहाजा मालिकों को अपनी जमीन की रसीद अब ऑनलाइन ही कटानी होगी। लेकिन, किसान अभी इसके लिए जागरूक नहीं हैं। वह आज भी अंचल कार्यालय में ही जाकर रसीद कटाना बेहतर समझते हैं। कई किसान ऐसे हैं जो सरकारी दफ्तर से बाहर काटी गई रसीद को ही फर्जी समझते हैं। ऐसे किसानों की परेशानी और बढ़ती जा रही है। राज्य में कुल जमाबंदी की संख्या 350 करोड़ है। इसके बावजूद इसका असर राजस्व वसूली पर पर पड़ रहा है।

जानकारी के मुताबिक ऑनलाइन लगान पर्ची कटाने वाला सर्वर पिछले लगभग एक माह से ठीक से काम नहीं कर रहा है। राज्य के 10-12 जिलों में तो यह 10 दिनों तक बिल्कुल ही ठप रहा। ‘लिंक फेल’ की समस्या अंचल कार्यालयों में बढ़ती जा रही है। अगर मोबाइल में एप नहीं है तो अंचल हो या सुविधा केन्द्र लगान अपडेट कराने के लिए अधिक पैसे का भुगतान करना ही पड़ेगा। किसान जब भी कार्यालय जाते हैं तो सर्वर काम नहीं करता है, का बहाना सुना दिया जाता है। कई जगह यह स्थिति सही भी रहती है, लेकिन कई जगह अवैध वसूली के लिए बहाने के रूप में भी इसका इस्तेमाल होता है।

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राज्य के किसानों को कोई भी सरकारी सुविधा लेने के लिए जमीन की अद्यतन रसीद की जरूरत होती है। लेकिन, ऑनलाइन व्यवस्था में कई तरह की त्रुटि रहने के कारण किसान रसीद कटा नहीं पा रहे हैं। किसी के खेत का रकबा गलत है, तो किसी जमीन मालिक का नाम ही गलत है। हालांकि अब ऐसे मामले कम मिल रहे हैं। लेकिन, कई बार कर्मचारी ऐसी पेच फंसाते हैं कि वह और कठिन हो जाता है। लिहाजा किसान ऑफलाइन लगान जमा करने में ज्यादा रूची लेते हैं। लेकिन, अंचलों में रसीद बही नहीं रहने से उनकी परेशानी दूर नहीं होती है। थककर किसान सबकुछ सरकार के भरोसे छोड़ देते हैं और सरकार को राजस्व की हानी होती है।

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ऑनलाइन व्यवस्था में राजस्व का नुकसान

राज्य में ऑनलाइन की व्यवस्था की शुरुआत के साथ ही लगान की वसूली कम होती जा रही है। वर्ष 2026 में लक्ष्य का 218 प्रतिशत लगान वसूली करने वाले राज्य में अब 50 प्रतिशत पर जाकर ही मामला अटक जाता है। बीते वित्तीय वर्ष में लक्ष्य को घटाकर आधा कर दिया तब भी जनवरी तक मात्र 37 प्रतिशत ही वसूली हो पाई थी। कभी सात सौ करोड़ से ज्यादा राजस्व की प्राप्ति होती थी अब दो सौ करोड़ पर ही मामला अटक जाता है। किसानों की इस समस्या से सरकार भी परेशान है। राजस्व वसूली का लक्ष्य सरकार ने 11 सौ करोड़ से घटाकर आधा से भी कम यानी पांच सौ करोड़ रुपए कर दिया। लेकिन, अब भी लक्ष्य पूरा नहीं हो पाता। यही कारण है कि नवम्बर 2021 से हर हाल में किसानों को ऑनलाइन ही लगान जमा करना था। लेकिन, राजस्व वसूली में कमी देखते हुए विभाग ने ऑफलाइन व्यवस्था का विस्तार 31 मार्च तक कर दिया। इसके बावजूद परेशानी जहां थी, वहीं है।

Source : Hindustan

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