राज्य के हाईस्कूलों में आईटीआई (औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान) की पढ़ाई होगी। खासकर वैसे प्रखंड जहां अभी एक भी आईटीआई नहीं हैं, वहां के हाईस्कूलों में कम से कम एक ट्रेड की पढ़ाई आईटीआई से संबंधित होगी।

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बीते वर्षों में बिहार में ऐसे प्रखंडों की संख्या 210 आंकी गई थी जहां एक भी सरकारी या गैर सरकारी आईटीआई नहीं हैं। अभी कितने प्रखंडों में एक भी आईटीआई नहीं हैं या एमएसटीआई के तहत प्रशिक्षण नहीं हो रहा है, इसकी मैपिंग की जा रही है। इसकी रिपोर्ट जल्द ही विभाग को मिल जाएगी। केंद्र सरकार ने कौशल विकास को बढ़ावा देने के लिए हाल ही में राज्यों को स्वायत्तता दी है।

राज्य सरकार के सुझाव पर ही प्राइवेट आईटीआई को सम्बद्धता मिलेगी या रद्द की जाएगी। यही नहीं, परीक्षा कैलेंडर का अनुपालन भी राज्यों को ही करना है। इसके लिए हर राज्य में एक विशेष समिति का गठन किया गया है। बिहार में श्रम संसाधन के प्रधान सचिव अरविन्द कुमार चौधरी की अध्यक्षता में यह समिति गठित है। यह समिति सुनिश्चित करेगी कि राज्य के सभी प्रखंडों में अनिवार्य रूप से सरकारी या गैर सरकारी आईटीआई हो।

स्थायी तौर पर आईटीआई खुलने तक राज्यों में बनी इसी समिति को वैकल्पिक व्यवस्था करनी है। इसके तहत वैसे प्रखंड, जहां एक भी आईटीआई नहीं हैं, वहां के एक हाईस्कूल का चयन कर उसमें आईटीआई की पढ़ाई शुरू करानी है। इसके लिए समिति शिक्षा विभाग से समन्वय स्थापित करेगी कि उसे हाईस्कूल परिसर का उपयोग आईटीआई की पढ़ाई के लिए करने दिया जाए।

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कम से कम एक ट्रेड का प्रशिक्षण दिया जाएगा

विभाग के एक वरीय अधिकारी के अनुसार हाईस्कूल में खुलने वाले आईटीआई की गाइडलाइन अब तक राज्य सरकार को नहीं मिली है। जैसे ही इसकी विस्तृत जानकारी सरकार को मिलेगी, इस दिशा में कार्रवाई शुरू कर दी जाएगी। हाईस्कूल में खुलने वाले आईटीआई में कम से कम एक ट्रेड का प्रशिक्षण होगा। हाईस्कूल में आईटीआई खोलने का मकसद यह है कि एक प्रखंड के छात्रों को दूसरे प्रखंडों में जाने की बाध्यता न हो।

Source : Hindustan

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