सेना बहाली में अग्निपथ स्कीम को लेकर कांग्रेस पार्टी लगातार केन्द्र सरकार पर हमलावर है। कांग्रेस नेता कन्हैया कुमार ने आज पटना में अग्निपथ की खामियां गिनाईं। इसके साथ ही उन्होंने यह आरोप लगाया कि सेना में ठेकेदारी प्रथा को लागू करने करने की साजिश हो रही है। ये देश की सुरक्षा के साथ खिलवाड़ है। कन्हैया ने कहा कि वन रैंक वन पेंशन की बात कही गई थी लेकिन अग्निपथ के जरिए नो रैंक, नो पेंशन केवल टेंशन वाली स्कीम केन्द्र सरकार की तरफ से लागू कर दी गई है।
243 विधानसभा में होगा सत्याग्रह
रविवार को बिहार इंटक के त्रिवार्षिक सम्मेलन में को लेकर सदाकत आश्रम में आयोजित कार्यक्रम के दौरान कन्हैया कुमार ने पत्रकारों से बीच की। इस दौरान उन्होंने कहा कि राज्य के 243 विधानसभा में अग्निपथ को लेकर कांग्रेस सत्याग्रह करेगी। उन्होंने कहा कि केन्द्र सरकार की तरफ से जीएसटी में 36 बार से ज्यादा बदलाव किए गए। कृषि कानून के वक्त भी यही हुआ। कृषि कानून के विरोध के दौरान 700 से ज्यादा किसानों ने शहादत दी। एक साल से ज्यादा किसानों ने संघर्ष किया। इस दौरान किसानों पर कई तरह के आरोप लगाए गए। लेकिन किसानों के दबाव में कानून वापस लेना पड़ा।
‘सरकार अग्निपथ योजना को वापस ले’
पत्रकारों से बातचीत के दौरान कन्हैया कुमार ने कहा कि केन्द्र सरकार को जल्द से जल्द अग्निपथ योजना को वापस लेना चाहिए। ये योजना देश के भविष्य के खिलाफ है। इसको लेकर देश के नौजवानों ने अपना प्रतिरोध व्यक्त किया। कन्हैया ने कहा कि मेरे परिवार से 16 लोग सेना में काम करते हैं। वो लोग बताता हैं कि अग्निपथ योजना देशहित के लिए ठीक नहीं है।
‘स्थाई भर्ती को बंद कर दिया गया’
कन्हैया कुमार ने केन्द्र सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि अग्निपथ योजाना के बाद सेना में स्थाई भर्ती समाप्त कर दी गई है। नौजवान जो देश की सेवा करना चाहता है उनके सपने को कुचला जा रहा है। भरी जवानी रिटायर होने की फायदे गिनाए जा रहे हैं। अग्निपथ योजना की समय सीमा चार साल रखने के पीछे भी कई वजहें हैं। उन्होंने कहा कि चार साल की नौकरी करने के बाद ग्रेच्युटी का लाभ भी नहीं मिलेगा।
सदाकत आश्रम में इंटक द्वारा आयोजित कार्यक्रम में प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष मदन मोहन झा, कांग्रेस बिहार प्रभारी भक्त चरण दास, शकील अहमद, कन्हैया कुमार, तारीक अनवर, बिहार इंटक के प्रदेश अध्यक्ष चंद्र प्रकाश सिंह, प्रवक्ता के.के कश्यप समेत अन्य नेता मौजूद थे।
Source : Dainik Jagran