राजनीति रणनीतिकार प्रशांत किशोर और सीएम नीतीश कुमार की पुरानी मुलाकातों के रहस्यों पर से धीरे-धीरे पर्दा लगातार उठ रहा है. कभी नीतीश कुमार और उनकी पार्टी के नेता तो कभी प्रशांत किशोर अलग-अलग खुलासे कर रहे हैं. बीते दिनों नीतीश कुमार ने जैसे ही इस रहस्य से पर्दा उठाया कि प्रशांत किशोर JDU को कांग्रेस में मर्ज़ करने का प्रस्ताव लेकर आए थे उसके बाद तो बिहार में राजनीति तेज हो गयी. वहीं नीतीश कुमार के इस दावे पर प्रशांत किशोर ने यह कह कर पलटवार किया था कि नीतीश कुमार की उम्र हो गई है वो क्या बोलते हैं उन्हें खुद ही याद नहीं रहता है. लेकिन, इसी बीच प्रशांत किशोर के इसी बयान के बाद जेडीयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह ने प्रशांत किशोर को लेकर ऐसा खुलासा कर दिया है, जो उनके महत्वकांक्षी सोच की ओर भी इशारा करता है.
दरअसल ललन सिंह ने न्यूज़ 18 से बातचीत करते हुए पीके के आरोप पर पलटवार करते हुए कहा कि मेरे सामने ही प्रशांत किशोर ने नीतीश कुमार से आग्रह किया था कि जदयू को कांग्रेस में मर्ज कर दीजिए. लेकिन, तब नीतीश कुमार ने बेहद साफ लफ्जों में इस आग्रह को मना कर दिया था. ललन सिंह ने कहा कि प्रशांत किशोर क्या बोलेंगे? उन्होंने जो मांग नीतीश कुमार से की थी ज़रा उसे भी जान लीजिए. मैं इसे बोलना नहीं चाहता था, लेकिन आज बता रहा हूं. उन्होंने नीतीश जी से कहा था कि मै आपके साथ जुड़ चुका हूं, आप मुझे बिहार का उप मुख्यमंत्री बना दीजिए.
‘पीके की मांग पर सब हो गए थे हैरान’
प्रशांत किशोर की इस मांग को सुन हम हैरान हो गए थे कि आखिर इस मांग का मतलब क्या है. लेकिन, ये माँग उन्होंने मेरे सामने रखा था सो मैंने उन्हें अलग ले जाकर समझाया कि भाजपा कोटे से सुशील मोदी उप मुख्यमंत्री हैं. नीतीश जी उनकी जगह या किसी और को उप मुख्यमंत्री नहीं बनाएंगे. हां अगर मंत्री बनना है तो इस पर विचार हो सकता है लेकिन इस पर वह तैयार नहीं हुए.
‘घाट-घाट का पानी पी चुके हैं पीके’
ललन सिंह कहते हैं कि प्रशांत किशोर नीतीश जी की उम्र की बात करते हैं, लेकिन ज़रा ये तो बताए जब उन्होंने नीतीश जी को जेडीयू का कांग्रेस में मर्जर की सलाह दे रहे थे, क्या उस वक़्त वे कांग्रेस के लिए काम नहीं कर रहे थे. वो हर घाट का पानी पी चुके हैं. कभी भाजपा, कभी कांग्रेस, कभी YSR तो कभी ममता बनर्जी के लिए. वो JDU के साथ साथ कई और पार्टी के लिए काम कर चुके हैं. उनका काम लाइजनर वाला रह गया है. जहां दाल गली कुछ दिन रहे और जहां दाल नहीं गली अलग रास्ते की ओर निकल पड़े. जेडीयू उनकी बातों को कोई तवज्जो ही नहीं देता है.
Source : News18