INDIA
आयशा की तरह नफीसा ने साबरमती नदी के पास ये वीडियो बना किया सुसाइड, वीडियो देख आंख भर आएगी

मौत करीब-करीब वैसे ही बस हालात अलग हैं. वो आयशा तो आपको याद होगी. वही आयशा जिसने अहमदाबाद के साबरमती रिवर फ्रंट पर पहले अपने पति के प्यार और बेवफाई को लेकर वीडियो बनाया था. फिर नदी में कूदकर आत्महत्या कर ली थी. अब आयशा की तरह ही नफीसा उसी साबरमती रिवर फ्रंट पर आई.
बेवफाई तो इस नफीसा को भी मिली. लेकिन शादी के बाद नहीं बल्कि उससे पहले ही. जिससे प्यार किया. जिसने शादी का वादा किया. उसने ऐसी बेवफाई की जिसकी वजह से नफीशा दो बार रिवरफ्रंट पर सुसाइड करने का प्रयास करती है. जब जान नहीं दे पाई तो घर गई और फंदे पर लटक गई. आखिरकार आयशा की तरह नफीसा ने भी दुनिया को अलविदा कह दिया.
नफीसा का वीडियोपूरा यहां देखें…
2 बार नदी में आत्महत्या का किया प्रयास, फिर घर पर लगाई फांसी
अब नफीसा के परिवार ने उस शख्स के खिलाफ थाने में शिकायत दी है. आत्महत्या के लिए उकसाने का मामला दर्ज कराया गया है. लेकिन एक जान की कीमत क्या हो सकती है. इस एफआईआर से ज्यादा से ज्यादा वो गिरफ्तार होगा और कुछ साल के लिए जेल जाएगा. लेकिन इस मौत की जिम्मेदारी और फिर ऐसी कोई घटना नहीं हो, उसे रोकना कैसे संभव होगा. ये सवाल आयशा के समय भी उठा था और अब नफीसा की मौत के बाद भी.
गुजरात की आजतक संवाददाता गोपी घांघर की रिपोर्ट के अनुसार, लड़की नफीसा ने अहमदाबाद में रिवरफ्रंट पर 2 बार आत्महत्या करने का प्रयास करती है लेकिन वो आत्महत्या कर नहीं पाती है. इसके बाद अहमदाबाद से वड़ोदरा अपने घर पहुंची. जिसके बाद 20 जून को फंदा लगाकर आत्महत्या कर लिया. बड़ोदरा की जीपी रोड पुलिस थाने में लड़की को आत्महत्या के लिए उकसाने का मामला दर्ज करते हुए जांच शुरू की है.
मौत से पहले नफीसा का ये वीडियो आपको इमोशनल कर देगा
नफ़ीसा नाम की इस लड़की ने आत्महत्या करने से पहले एक वीडियो बनाया. इस वीडियो में नफीसा ने अहमदाबाद के रहने वाले शेख रमीज अहमद नाम के युवक पर आरोप लगाया है. प्यार में धोखा खाने के बाद लड़की ने अपने दिल की बात इस वीडियो में बयां की है.
साथ ही 2 बार आत्महत्या करने का प्रयास भी किया था. लेकिन वह नहीं कर पाई तो वापस अपने घर वडोदरा चली गई. हालांकि 20 जून को अपने ही घर में खुद को फांसी लगाकर उसने आत्महत्या कर ली.
नफीसा खोखर ने अहमदाबाद के साबरमती रिवर फ्रंट पर आत्महत्या करने से पहले वीडियो बनाया और वीडियो में कहा कि…
रमीज, तुमने मेरे साथ बहुत बुरा किया है, मतलब बहुत बुरा किया है. शादी का हा कह कर…मुझे पटाते रहे और आए ही नहीं। यह तो गलत है ना यार..बहुत गलत है..ऐसा नहीं करना चाहिए था. तुम्हें जिंदगी मैंने सबसे ज्यादा प्यार किया और तुमने यह किया मेरे साथ मुझे इतना बड़ा धोखा दिया. मुझे लगा तुम सबसे अलग हो पर तुम सब के जैसे ही हो…तुमने और सब में कोई फर्क नहीं है, पूरी दुनिया को पता चल जाने के बाद भी तुमने मेरा हाथ नहीं थामा, तुम बहुत बुरे हो तुम मुझे मिलने नहीं आता, मुझे समझ नहीं आता कि तुम्हारे घरवाले भी कहते हैं. तुम्हारा कोई कांटेक्ट नहीं है. तुम्हें परसों देखा था वहां पर तुम्हारे कपड़े सूखते हुए.
Source : Crime Tak
INDIA
मेंगलुरु-मुंबई विमान में हुई अजीब घटना, प्रेमी जोड़े का व्हाट्सएप्प चैट बना उड़ान में देरी की वजह

मेंगलुरु (कर्नाटक). मेंगलुरु से मुंबई जाने वाले विमान को उड़ान भरने में उस समय छह घंटे की देरी हुई. जब एक महिला यात्री ने उसके साथ यात्रा कर रहे एक व्यक्ति के मोबाइल फोन पर संदिग्ध संदेश आने के बारे में जानकारी दी. पुलिस ने बताया कि सभी यात्रियों को विमान से उतरने के लिए कहा गया और उनके सामान की व्यापक रूप से तलाशी ली गयी. इसके बाद ही इंडिगो के विमान को रविवार शाम को मुंबई के लिए उड़ान भरने की अनुमति दी गई.
एक महिला यात्री ने विमान में सवार एक व्यक्ति के मोबाइल फोन पर एक संदेश देखा और विमान के चालक दल को इसकी जानकारी दी. चालक दल ने हवाई यातायात नियंत्रक को इसकी सूचना दी और उड़ान भरने के लिए तैयार विमान को रोकना पड़ा.
बताया जाता है कि यह व्यक्ति अपनी प्रेमिका से मोबाइल पर संदेश भेजकर बातचीत कर रहा था, जिसे उसी हवाईअड्डे से बेंगलुरु के लिए उड़ान भरनी थी. इस व्यक्ति को पूछताछ के कारण विमान में सवार होने नहीं दिया गया. पूछताछ कई घंटों तक चली जबकि उसकी प्रेमिका की बेंगलुरु की उड़ान छूट गयी. बाद में सभी 185 यात्री मुंबई जाने वाले विमान में फिर से सवार हुए और शाम पांच बजे विमान ने उड़ान भरी. शहर के पुलिस आयुक्त एन. शशि कुमार ने कहा कि देर रात तक कोई शिकायत दर्ज नहीं की गयी क्योंकि यह दो दोस्तों के बीच सुरक्षा को लेकर मैत्रीपूर्ण ढंग से हो रही बातचीत थी.
Source : News18
INDIA
38 साल बाद मिला शहीद चंद्रशेखर का पार्थिव शरीर, हल्द्वानी में होगा अंतिम संस्कार

15 अगस्त को पूरा देश आजादी की 75वीं सालगिरह अमृत महोत्सव के रूप में मना रहा है. वहीं, सियाचिन पर अपनी जान गंवाने वाले एक शहीद सिपाही का पार्थिव शरीर 38 साल बाद उनके उत्तराखंड के हल्द्वानी स्थित घर आ रहा है. हम बात कर रहे हैं 19 कुमाऊं रेजीमेंट के जवान चंद्रशेखर हर्बोला की.

शहीद चंद्रशेखर की पत्नी
दरअसल, 29 मई 1984 को सियाचिन में ऑपरेशन मेघदूत के दौरान हर्बोला की जान चली गई थी. बर्फीले तूफान में उस दौरान 19 जवान दब गए थे, जिनमें से 14 के शव बरामद कर लिए गए थे. लेकिन पांच जवानों के शव नहीं मिल पाए थे. इसके बाद सेना ने पत्र के जरिए घरवालों को चंद्रशेखर के शहीद होने की सूचना दी थी. उसके बाद परिजनों ने बिना शव के चंद्रशेखर हर्बोला का अंतिम क्रिया-कर्म पहाड़ी रीति रिवाज के हिसाब से कर दिया था.
डिस्क नंबर से हुई पहचान
इस बार जब सियाचिन ग्लेशियर पर बर्फ पिघलनी शुरू हुई, तो खोए हुए सैनिकों की तलाश शुरू की गई. इसी बीच, आखिरी प्रयास में एक और सैनिक लॉन्स नायक चंद्रशेखर हर्बोला के अस्थि शेष ग्लेशियर पर बने एक पुराने बंकर में मिले. सैनिक की पहचान में उसके डिस्क ने बड़ी मदद की. इस पर सेना कर दिया हुआ नंबर (4164584) अंकित था.
28 की उम्र में छोड़ गए थे बिलखता परिवार
बता दें कि 1984 में सेना के लॉन्स नायक चंद्रशेखर हर्बोला की उम्र सिर्फ 28 साल थी. वहीं, उनकी बड़ी बेटी 8 साल और छोटी बेटी करीब 4 साल की थी. पत्नी की उम्र 27 साल के आसपास थी.
राजकीय सम्मान से अंतिम संस्कार
अब 38 साल बाद शहीद चंद्र शेखर का पार्थिव शरीर सियाचिन में बर्फ के अंदर दबा हुआ मिला, जिसे 15 अगस्त यानी आजादी के दिन उनके घर पर लाया जाएगा और पूरे राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया जाएगा.
चेहरा तक देख नहीं सकी थी पत्नी
शहीद चन्द्रशेखर हर्बोला के पत्नी शांति देवी (65 साल) के आंखों के आंसू अब लगभग सूख चुके हैं, क्योंकि उन्हें पता है कि उनके पति अब इस दुनिया में नहीं हैं. गम उनको सिर्फ इस बात का था कि आखिरी समय में उनका चेहरा नहीं देख सकी.
वहीं, उनकी बेटी कविता पांडे (48 साल) ने बताया कि पिता की मौत के समय वह बहुत छोटी थीं. ऐसे में उनको अपने पिता का चेहरा याद नहीं है. अब जब उनका पार्थिव शरीर उनके घर पहुंचेगा, तभी जाकर उनका चेहरा देख सकेंगे.
चित्रशाला घाट पर क्रिया-कर्म
भतीजे ने बताया कि चाचा चंद्रशेखर हर्बोला की सियाचिन में पोस्टिंग थी. उस दौरान ऑपरेशन मेघदूत के दौरान बर्फीले तूफान में 19 जवानों की मौत हुई थी, जिसमें से 14 जवानों के शव को सेना ने खोज निकाला था, लेकिन 5 शव को खोजना बाकी था. एक दिन पहले की चन्द्रशेखर हर्बोला और उनके साथ एक अन्य जवान का शव सियाचिन में मिल गया है. अब उनके पार्थिव शरीर को धान मिल स्थित उनके आवास पर 15 अगस्त यानी आज लाया जाएगा है. जिनका अंतिम संस्कार पूरे राजकीय सम्मान के साथ रानी बाग स्थित चित्रशाला घाट में होगा.
Source : Aaj Tak
INDIA
आज 15 अगस्त पर जानिए ध्वजारोहण और झंडा फहराने में क्या है अंतर?

आज देशभर में आजादी का 75वां साल धूमधाम से मनाया जा रहा है और इसी खुशी को दोगुना करने के लिए भारत सरकार ने ‘हर घर तिरंगा’ कैंपेन शुरू किया है. इसके तहत आम से लेकर खास हर कोई अपने घर पर तिरंगा लगा रहा है. वहीं, इस जश्न को मनाने के लिए केंद्र और राज्य सरकारों ने कई तैयारियां की है.
देश का राष्ट्रीय ध्वज आन-बान और शान का प्रतीक है. हर साल स्वतंत्रता दिवस और गणतंत्र दिवस पर झंडा फहराते हैं, लेकिन स्वतंत्रता दिवस और गणतंत्र दिवस पर राष्ट्रीय ध्वज फहराने में भी होते हैं. दो तरह से झंड़े को फहराया या लहराया जाता है. पहले को ध्वजारोहण कहते हैं और दूसरे को हम ध्वज फहराना कहते हैं. आइए आजादी के 75वें स्वतंत्रता दिवस पर हम आपको बताते हैं कि इन दोनों के बीच क्या अंतर है?
ध्वजारोहण और झंडा फहराने में अंतर
देश के इन दो खास मौकों पर राष्ट्रीय ध्वज को फहराया या लहराया जाता है जिसके बीच अंतर होता है. स्वतंत्रता दिवस पर जब ध्वज को ऊपर की तरफ खींचकर लहराया जाता है, तो इसको ध्वजारोहण कहते हैं, जिसे इंग्लिश में Flag Hoisting कहते हैं. वहीं, दूसरी तरफ गणतंत्र दिवस पर ध्वज को ऊपर बांधा जाता है और उसको खोलकर लहराते हैं, इसे झंडा फहराना कहते है, जिसे अंग्रेजी में Flag Unfurling कहते हैं.
जानें प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति में क्या अंतर है?
स्वतंत्रता दिवस (15 अगस्त) के कार्यक्रम को आयोजन लाल किले पर होता है. इस खास मौके पर कार्यक्रम में देश के प्रधानमंत्री शामिल होते हैं और ध्वजारोहण करते हैं. वहीं, गणतंत्र दिवस (26 जनवरी) के कार्यक्रम का आयोजन राजपथ पर होता है और कार्यक्रम में देश के राष्ट्रपति शामिल होते हैं और झंडे को फहराते हैं. प्रधानमंत्री देश के राजनीतिक प्रमुख होते हैं और राष्ट्रपति संवैधानिक प्रमुख होते हैं.
गणतंत्र दिवस पर राष्ट्रपति क्यों फहराते हैं झंडा?
देश का संविधान 26 जनवरी, 1950 को संविधान लागू हुआ था. इससे पहले देश में न तो संविधान था और न राष्ट्रपति. इसी के के कारण हर साल 26 जनवरी को राष्ट्रपति राष्ट्रीय ध्वज फहराते हैं.
Source : Zee News
-
BIHAR2 weeks ago
बिहार: मैट्रिक व इंटर पास महिलाएं हो जाएं तैयार, जल्द होगी 30 हजार कोऑर्डिनेटर की बहाली
-
BIHAR4 weeks ago
बिहार में तेल कंपनियों ने जारी की पेट्रोल-डीजल की नई दरें
-
BIHAR2 weeks ago
बीपीएससी 66वीं रिजल्ट : वैशाली के सुधीर बने टॉपर ; टॉप 10 में मुजफ्फरपुर के आयुष भी शामिल
-
BIHAR1 week ago
एक साल में चार नौकरी, फिर शादी के 30वें दिन ही BPSC क्लियर कर गई बहू
-
BUSINESS2 weeks ago
पैसों की जरूरत हो तो लोन की जगह लें ये सुविधा; होगा बड़ा फायदा
-
BIHAR1 week ago
ग्राहक बन रेड लाइट एरिया में पहुंची पुलिस, मिली कॉलेज की लड़किया
-
BIHAR4 weeks ago
बिहार : अब शिकायत करें, 3 से 30 दिनों के भीतर सड़क की मरम्मत हाेगी
-
INDIA2 weeks ago
बुढ़ापे का सहारा है यह योजना, हर दिन लगाएं बस 50 रुपये और जुटाएं ₹35 लाख फंड