खेत में पसीना बहाने वाले किसान की फसल हो, कुम्‍हार का कुल्‍हड़ हो या फिर गांव-देहात में घर-घर इस्‍तेमाल होने वाला डगरा। चीजों के उत्‍पादन से लेकर ग्राहक तक पहुंचने के बीच कीमतें कई गुना बढ़ जाती है लेकिन यदि कोई 100 रुपए की चीज आपको 2500 रुपए में बेचने लगे तो जाहिर है थोड़ी देर के लिए आप सोच में पड़ जाएंगे। बिहार के गांवों में घर-घर दिखने वाले डगरा के साथ भी कुछ ऐसा ही हो रहा है। आमतौर पर 70-80 रुपए से लेकर अधिकतम 100 रुपए तक बिकने वाला डगरा ऑनलाइन 2500 रुपए में बिक रहा है।

एक फेसबुक यूजर ने अपनी पोस्‍ट में इसे बिचौलियों की लूट बताते हुए डगरा की तस्‍वीर पोस्‍ट की। उन्‍होंने लिखा- ‘बचपन में इसे गांव में इस्‍तेमाल होते देखा था। अभी भी घर-घर में इस्तेमाल होता है। शायद डगरा कहते हैं। आज यह…(ऑनलाइन बिक्री के एक प्‍लेटफार्म) पर दिख गया। कीमत सिर्फ 2499 रुपए। आपके यहां इसको क्या कहते हैं?’

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डगरा का इस्‍तेमाल धान-गेहूं-दाल फटकने से लेकर कई तरह के कामों में होता है। मांगलिक कार्यों में इसे शुभ माना जाता है। बिहार और यूपी में छठ पूजा, नामकरण संस्‍कार से लेकर कई पूजा विधियों में इसका इस्‍तेमाल होता है।

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पके हुए बांस से बिहार के कुशल शिल्‍पी इसे बड़ी मेहनत से बनाते हैं लेकिन मेहनताने के तौर पर उनके हिस्‍से चंद रुपए ही आते हैं। जबकि बिचौलिए इन्‍हीं शिल्‍पियों से इसे खरीदकर बाजार में मुंहमांगे दाम पर बेच देते हैं। अब ऑनलाइन मार्केट के विस्‍तार के साथ डगरा जैसी देसी चीजों की ग्‍लोबल मार्केटिंग हो रही है। ऐसे में एक ऑनलाइन शॉपिंग प्‍लेटफार्म पर यह 2499 रुपए का बिकने लगा तो लोगों को हैरानी हुई।

एक फेसबुक यूजर ने अपने पेज पर डगरा और उसके प्राइज टैग की फोटो के साथ अपनी भावनाएं शेयर कीं और 100 रुपए के डगरा की ऑनलाइन प्‍लेटफार्म पर 25 गुना कीमत बढ़ जाने पर सवाल उठाया। यूजर की इस पोस्‍ट पर कई लोगों ने प्रतिक्रिया दी है। लोगों का कहना है कि असल में बढ़ी कीमतों का फायदा बिचौलिए ले जाते हैं। पसीना बहाकर चीजें बनाने वालों के हाथ खाली ही रहते हैं।

Source : Hindustan

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