मानो तो मैं गंगा मां हूं, ना मानो तो बहता पानी….। गंगा तो गंगा है, वह अविरल पावन व निर्मल है। पतित पावनी गंगा जहां जहां से गुजरी है, वहां लाखों सनातनी धर्मावलंबियों ने अपने तन को डूबो कर मोक्ष पाने की लालसा अर्पित की है। पर जब वह गंगा उत्तरवाहिनी हो जाती है तो वह स्थल और गंगा का वह वेग उस इलाके के लिए खास हो जाता है। देवघर नगरी इसी कारण खास बन गई है। देवघर में विश्व की सर्वाधिक लंबी अवधि का मेला श्रावण माह में लगता है।
शिव का आविर्भाव का वह समय सावन ही था। गंगा स्वर्ग से देवघर की धरती पर जब हरिद्वार में आयी तब वह सावन का ही महीना था। तो शिव, सावन और गंगा का एक समन्वय भक्ति और आस्था के भाव को अविनाशी बनाता है। भगवान राम अपने माता-पिता संग सुल्तानगंज से गंगाजल भरकर कांवर यात्रा कर अपने इष्ट भगवान शंकर को जल अर्पित किया था। इसकी चर्चा रामायण में की गयी है। बाबा मंदिर के तीर्थपुरोहित दुलर्भ मिश्र कहते हैं कि मर्यादा पुरुषोत्तम राम के कांवर चढ़ाने की चर्चा रामायण में है। लंकापति रावण भी सुल्तानगंज से गंगाजल लाकर अपने आराध्य देव की पूजा देवघर में किया था। इसकी भी चर्चा सुनने को मिलती है। इसी कारण ज्योतिर्लिंग की पूजा सबसे पहले गंगाजल से ही होती है।
अजगैबीनाथ के सामने उत्तरायण होती है गंगा
बिहार के सुल्तानगंज में गंगा बहती है। यहां अजगैबीनाथ का मंदिर है। यहां से जल भरने की खासियत यह है कि यहां उत्तर से पूरब की ओर गंगा बहती है और अजगैबी मंदिर के सामने आकर वह फिर विपरीत यानि उत्तर दिशा में बहने लगती है। यह जो स्थान गंगा के वेग के बदलने का है वही उत्तरायण है। और यहां पर गंगा की पवित्रता पराकाष्ठा से उपर हो जाती है। इसी स्थान पर शिव भक्त कांवर में पावन जल भरते हैं। आपके मन में यह सवाल उठ रहा होगा कि सुल्तानगंज से ही कांवर क्यों भरा जाता है। गंगा किनारे का स्थान भारतीय संस्कृति मे तीर्थ स्थान बना है जहां गंगा उल्टी दिशा में बहती है।
मतलब जिधर से आयी उसी की ओर फिर मुड़ गयी। जहां जहां गंगा ने अपने वेग को ऐसा किया है वह स्थल पावन तीर्थ स्थान बना है। गंगोत्री में भागीरथ का भाव उत्तर की ओर है। ऋषिकेश में उत्तर की ओर है। प्रयागराज में दशाश्वमेध घाट में उत्तर दिशा में मुड़ती है। बिहार के आरा, सिमरिया और मुंगेर के कष्टहरनी घाट में भी गंगा उत्तरायण है। सुल्तानगंज से जल भरकर बाबा बैद्यनाथ को चढ़ाने की परंपरा ऋषि, मुनियों ने भी आरंभ से कही है। तो यह सुल्तानगंज का अजगैबीनाथ का धाम प्रसिद्ध् है पावन है।
Source: Dainik Jagran