केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी  ने शुक्रवार को एक बार फिर से साफ किया कि भारत में मेड इन चाइना टेस्ला कारों का स्वागत नहीं है. उन्होंने कहा कि भारत में टेस्ला का स्वागत है, लेकिन अगर वे चाहते हैं कि चीन में कारें बनाकर यहां बेचें, तो यह देश के लिए ठीक नहीं है. गडकरी आज तक की सहयोगी वेबसाइट बिजनेस टुडे के कार्यक्रम ‘Brainstorm Budget 2022’ में बोल रहे थे.

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टेस्ला की टैक्स डिमांड पर गडकरी ने कहा ये

उनसे टेस्ला की टैक्स में छूट की डिमांड  और भारत में एंट्री के बारे में पूछा गया था. केंद्रीय मंत्री ने कहा कि जब भी लोग मुझसे मिलते हैं, मैं उन्हें बताता हूं कि भारत एक बड़ा बाजार है और जो यहां नहीं हैं, वे मौका खो रहे हैं. एक फैक्ट ये है कि पहले से ही बीएमडब्ल्यू (BMW), हुंडई (Hyundai), टोयोटा (Toyota) ये सभी कंपनियां अच्छी क्वालिटी के साथ आ रही हैं और रिसर्च कर रही हैं. यहां तक कि टाटा (Tata Motors) और महिंद्रा (Mahindra & Mahindra) जैसी भारतीय कंपनियां नए रिसर्च पर काम कर रही हैं. नई टेक्नोलॉजी से बिजली को ईंधन के रूप में यूज किया जा रहा है.

हर सेक्टर में जॉब क्रिएट करने पर सरकार का फोकस

उन्होंने इस दौरान इथेनॉल (Ethanol) के इस्तेमाल और ग्रीन एनर्जी पर भी अपनी राय जाहिर की. उन्होंने कहा कि ऑटो कंपनियां फ्लेक्स इंजन  पर काम कर रही हैं. इससे इथेनॉल का ज्यादा से ज्यादा इस्तेमाल होगा. यह किसानों के लिए भी फायदेमंद साबित होगा. हमारा फोकस हर सेक्टर में ज्यादा से ज्यादा जॉब क्रिएट करने पर है. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट में पहले ही यह साफ कर दिया है.

भारत में आकर फैक्ट्री लगाए टेस्ला: गडकरी

दरअसल दुनिया के सबसे रईस व्यक्ति Elon Musk की इलेक्ट्रिक कार कंपनी टेस्ला (Tesla) भारत सरकार से इम्पोर्ट ड्यूटी पर छूट की मांग कर रही है. कंपनी चाहती है कि वह पूरी तरह से तैयार कारें भारतीय बाजार में इम्पोर्ट करे. भारत में अभी ऐसे इम्पोर्ट पर 100 फीसदी टैक्स लगता है. भारत सरकार चाहती है कि टेस्ला या तो अपनी कारें यहीं बनाए या पार्ट इम्पोर्ट कर यहां एसेम्बल करे. गडकरी ने पहले भी यह साफ कहा है कि टेस्ला भारत में मेड इन चाइना गाड़ियां डम्प करने के बजाय यहीं फैक्ट्री लगाने पर विचार करे.

टेस्ला की डिमांड पर सरकार का ये रुख

सेंट्रल बोर्ड ऑफ इनडायरेक्ट टैक्सेज एंड कस्टम्स (CBIC) के चेयरमैन विवेक जौहरी ने टेस्ला को लेकर हाल ही में कहा था कि पहले से ही कम टैक्स पर इम्पोर्ट का विकल्प मौजूद है. गाड़ियों को पार्ट-पार्ट में इम्पोर्ट कर यहां लाकर लोकल लेवल पर एसेम्बल किया जा सकता है. 100 फीसदी टैक्स पूरी तरह से तैयार इलेक्ट्रिक गाड़ियों के लिए है. इसी ढांचे में स्थानीय स्तर पर कई कंपनियां प्रोडक्शन कर रही हैं. मौजूदा व्यवस्था में इन्वेस्टमेंट आ रहा है, जिससे साफ है कि टैक्स के ढांचे से कोई रुकावट नहीं है. इलेक्ट्रिक गाड़ियों के पार्ट के इम्पोर्ट पर अभी भारत में 15 से 30 फीसदी का शुल्क लगता है.

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