बिहार में खसरा का प्रकोप बढ़ गया है। राज्य के 12 जिले इस बीमारी से चपेट में हैं। भोजपुर, पश्चिमी चंपारण, अररिया, नालंदा, सीतामढ़ी, दरभंगा, मुजफ्फरपुर जैसे जिले इस बीमारी से प्रभावित चुके हैं। केवल उत्तर बिहार के जिलों में ही 150 से अधिक संदिग्ध मरीज अब तक सामने आए हैं। हालांकि स्वास्थ्य विभाग अब तक इस बीमारी को नियंत्रण में होने का दावा कर रहा है।
कुछ दिन पहले भोजपुर में खसरा रोग से दो बच्चे की मौत हो चुकी है। सीतामढ़ी, अररिया के कुछ बच्चों में भी खसरा की पुष्टि हुई। मुजफ्फरपुर में दो महीने में मिजिल्स के 82 व दरभंगा के केवटी व अलीनगर में 30 से अधिक संदिग्ध मरीज पाए गए हैं। बेतिया के योगापट्टी में भी संदिग्ध मरीज मिले हैं। कई जिलों से सैम्पल जांच को भेजे गए हैं। बिहार में पटना एम्स में सिर्फ सैंपल जांच की सुविधा है। चार-पांच दिनों में रिपोर्ट आती है।
क्या हैं खसरा के लक्षण?
अक्सर लाल दाने पहले सिर पर होते हैं और फिर पूरे शरीर पर फैलते हैं। मिजिल्स वायरस की चपेट में आने के तीन से पांच दिन बाद खसरा के लक्षण दिखते हैं। यह संक्रामक बीमारी है।
ऐसे बरतें सावधानी
नियमित टीकाकरण कार्यक्रम में मीजल्स के टीके को शामिल किया गया है। घरेलू उपचार के भरोसे रहना खतरनाक हो सकता है। तत्काल चिकित्सकों से सम्पर्क करना चाहिए।
क्या कहते हैं पदाधिकारी?
एक-डेढ़ महीना पहले भोजपुर में दो बच्चों की मौत हुई थी। टीम के जाने पर बच्चे के माता-पिता से जो जानकारी मिली, उसके अनुसार उसे खसरा ही माना गया। अररिया में खसरा से पीड़ित बच्चे मिले हैं। विभाग ने ऐहतियात बरतते हुए काम शुरू कर दिया है। टीकाकरण के साथ विटामिन ए की दवा खिलाई जा रही है। लोगों को जागरुक किया जा रहा है। – संजय कुमार सिंह, स्वास्थ्य सचिव सह राज्य स्वास्थ्य समिति के ईडी
Source : Hindustan