मुजफ्फरपुर : नवरुणा के अपहरण और हत्या के 18 सितंबर को नौ साल पूरे हो रहे हैं। इन नौ सालों में करीब साढ़े छह साल तक यह मामला सीबीआइ की जांच के अंदर था। सुप्रीम कोर्ट समय-समय पर इस मामले की जांच पूरी करने के लिए डेडलाइन तय करता रहा। डेडलाइन बढ़ाने के लिए अर्जी में हर बार सीबीआइ जल्द से जल्द जांच पूरी करने का आश्वासन दिया। पिछले साल सीबीआइ ने इस मामले में ठोस साक्ष्य नहीं मिलने की बात कहते हुए अंतिम प्रतिवेदन दाखिल किया। साढ़े छह साल की जांच सीबीआइ के 46 पेजों के अंतिम प्रतिवेदन में दफन हो गई। इससे पहले जिला पुलिस व सीआइडी जांच में भी इस मामले में कोई परिणाम नहीं निकला था। अब नवरुणा की माता-पिता सीबीआइ के इस अंतिम प्रतिवेदन के खिलाफ विशेष सीबीआइ कोर्ट में कानूनी लड़ाई लड़ रहे हैं।
सीबीआइ की साढ़े छह साल की जांच में आए कई उतार-चढ़ाव : सीबीआइ की साढ़े छह साल की जांच में कई उतार-चढ़ाव आए। कभी लगता था कि वह परिणाम के काफी करीब पहुंच चुकी है तो कभी दूर दिखती थी। अंतत: उसने हाथ खड़े कर दिए। सीबीआइ ने दो बार में सात संदिग्ध आरोपितों को गिरफ्तार किया। गिरफ्तार किए जाने वालों में जिला परिषद के पूर्व उपाध्यक्ष शाह आलम शब्बू, विक्रांत कुमार शुक्ला उर्फ विक्कू शुक्ला, अभय कुमार, ब्रजेश सिंह, विमल अग्रवाल राकेश कुमार सिंह व राकेश कुमार सिन्हा पप्पू शामिल रहे। हालांकि दोनों बार सीबीआइ की ओर से बनाए गए इन संदिग्ध आरोपितों के खिलाफ निर्धारित 90 दिनों के अंदर विशेष कोर्ट में आरोप पत्र दाखिल नहीं किया गया। इससे सभी को जमानत मिल गई। सीबीआइ ने नगर थाना के तत्कालीन थानाध्यक्ष जितेंद्र प्रसाद व अन्य कई संदिग्धों का नाकरे व ब्रेन मै¨पग भी कराई। करीब 66 गवाहों की गवाही दर्ज की गई। नवरुणा के घर पर पहुंचकर अपहरण के सीन को रीक्रियेट किए। नवरुणा के माता-पिता के रक्त की डीएनए जांच कराई गई। इस सबके बाद उसकी सारी कवायद धरी की धरी रह गई। अंतत: उसने अंतिम प्रतिवेदन दाखिल कर इस मामले से छुटकारा पा लिया।
टाइम लाइन
18 सितंबर 2012 : जवाहरलाल रोड स्थित आवास से नवरुणा का अपहरण
26 नवंबर 2012 : नवरुणा के आवास के निकट नाला से कंकाल मिला
12 जनवरी 2012 : सीआइडी ने शुरू की मामले की जांच
14 फरवरी 2014 : सीबीआइ को सौंपी गई मामले की जांच
23 नवंबर 2020 : सीबीआइ ने विशेष कोर्ट में दाखिल किया अंतिम प्रतिवेदन
माता-पिता ने कहा, सीबीआइ ने ब्लैकमेल किया, उसे मिले सजा
अंतिम प्रतिवेदन दाखिल किए जाने को लेकर नवरुणा की मां मैत्रेयी चक्रवर्ती व पिता अतुल्य चक्रवर्ती सीबीआइ से खासे नाराज हैं। दोनों कहते हैं कि सीबीआइ अच्छा काम कर रही थी। अचानक उसने कोर्ट में अंतिम प्रतिवेदन दाखिल कर दिया। ऐसा लगता है कि वह किसी के दबाव में काम कर रही है। साढ़े छह साल इस जांच एजेंसी ने उन्हें ब्लैकमेल किया। अब उनकी लड़ाई सीबीआइ से है। इससे पहले पुलिस व सीआइडी ने भी यही किया। तीनों एजेंसियों को सजा मिलनी चाहिए। मैत्रेयी चक्रवर्ती ने कहा कि विशेष कोर्ट से इसके लिए गुहार लगाएंगी।
रहस्यमय बने सुप्रीम कोर्ट में दाखिल सीबीआइ के तीन लिफाफे
नवरुणा की माता-पिता की ओर से विशेष कोर्ट में पैरवी कर रहे अधिवक्ता शरद सिन्हा ने बताया कि सीबीआइ ने सुप्रीम कोर्ट में तीन लिफाफे दाखिल किए थे। समय-समय पर इन लिफाफों में मामले से संबंधित प्रगति प्रतिवेदन था। बाद में सुप्रीम कोर्ट ने इनको सीबीआइ को लौटा दिया। सीबीआइ ने ये लिफाफे विशेष कोर्ट में नहीं सौंपे हैं। उन्होंने इसके अवलोकन के लिए कोर्ट में अर्जी दाखिल की। इसके जवाब में सीबीआइ ने इसे विशेष कोर्ट में दाखिल करने व उन्हें अवलोकन करने से मना कर दिया है। अधिवक्ता कहते हैं कि उन्हें कोर्ट से पहले ही सभी दस्तावेज देखने की अनुमति मिली हुई है। उन्होंने बताया कि इस मामले में कई कानूनी पहलू मौजूद हैं। विशेष कोर्ट आगे जांच करने का आदेश दे सकती है। वहीं हाईकोर्ट व सुप्रीम कोर्ट दोबारा जांच का आदेश दे सकती है। विशेष कोर्ट में वे इस मामले की आगे की जांच जारी रखने के लिए कानूनी लड़ाई लड़ रहे हैं। उनका मानना है कि जब नवरुणा का अपहरण व हत्या हुई तो मामले की जांच यह कह कर कैसे बंद कर दी जा सकती कि कोई ठोस साक्ष्य नहीं मिला। इससे तो नवरुणा को न्याय नहीं मिला।
ये है मामला
18 सितंबर 2012 की रात नगर थाना के जवाहरलाल रोड स्थित आवास से नवरुणा का अपहरण कर लिया गया था। 26 सितंबर 2012 को सफाई के दौरान उसके घर के निकट नाला से मानव कंकाल मिला। डीएनए टेस्ट के आधार पर यह कंकाल नवरुणा का बताया गया। इस मामले की जांच पहले नगर थाना की पुलिस व सीआइडी ने की। नतीजा नहीं निकलने पर 14 फरवरी 2014 को इसकी जांच सीबीआइ को सौंपी गई। 23 नवंबर 2020 को सीबीआइ ने साक्ष्य नहीं मिलने पर विशेष कोर्ट में अंतिम प्रतिवेदन दाखिल किया।
Source : Dainik Jagran
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