पटना : थानों में जब्त वाहनों के दिन अब बहुरने वाले हैं. दरअसल, प्रमंडलीय आयुक्त ने पटना जिले के विभिन्न थानों में जब्त वाहनों की सूची को तैयार रखने का आदेश जारी किया है, जिसके तहत थानों में जब्त वाहनों की एक सूची तैयार करनी है और उस सूची के आधार पर दो पहिया और चार पहिया वाहनों की निलामी की जाएगी. पहले चरण में साल 2020 के वाहनों की निलामी होगी, उसके बाद कांड निष्पादन के आधार पर अन्य वाहनों की निलामी की जाएगी.

बता दें कि थानों में जब्त लग्जरियस वाहनों के मालिक आप भी हो सकते हैं. दरअसल, पटना के प्रमंडलीय आयुक्त ने पटना जिले के 67 थानों में जब्त हजारों वाहनों की सूची तैयार करने का आदेश दिया है. जिसके तहत प्राथमिकता के आधार पर पहले साल 2020 में जब्त वाहनों को रिलीज करना है, उसके बाद केस निष्पादन के आधार पर बाकी वाहनों का क्रमवार ऑक्शन होगा और फिर इन वाहनों के आप मालिक बन सकते हैं. सभी थाना इस बाबत अपनी सूची तैयार कर रहे हैं जिसके बाद ये लिस्ट जिला प्रशासन को सौंपी जाएगी. उसके बाद कुछ जरूरी कागजात जैसे आधार कार्ड, आवासीय प्रमाण पत्र, अपना फोटो, आचरण प्रमाण पत्र जैसे जरूरी डाक्यूमेंट्स जमा करके आप निलामी प्रक्रिया में भाग ले सकते हैं. इस फैसले से ना सिर्फ थानों में कबाड़ बन रहे इन वाहनों से मुक्ति मिलेगी बल्कि सरकार को इससे राजस्व की भी प्रप्ति होगी.

वहीं, निलामी की खबर मिलते ही कुछ लोग थानों में पहुंचने भी लगे हैं और सारे प्रॉसेस की जानकारी जुटाने लगे हैं. साथ-साथ अभी से ही अपनी मनपसंद गाड़ी भी पसंद करने लगे हैं ताकि निलामी के बाद वो उस गाड़ी के मालिक बन सकें. इधर, पुलिस कर्मी भी खुश हैं कि जब्त वाहनों की वजह से थानों में जगह की कमी होने लगी है, पुलिस को खुद की गाड़ी पार्क करने में जगह की कमी से जुझना पड़ता है. ऐसे में प्रशासन के इस आदेश से पुलिसकर्मियों ने भी राहत की सांस ली है.

जब्त वाहनों की निलामी को लेकर मैकेनिक का भी कहना है कि ‘थानों में जब्त वाहन चार-पांच साल तक एक ही जगह खड़े रहते हैं जिसकी वजह से उनके बैट्री, टायर और अन्य पार्टस खराब हो जाते हैं. 25 से 30 हजार रुपए खर्च करने के बाद फोर व्हीलर फिर से सड़कों पर रफ्तार पकड़ सकते हैं, लिहाजा बिना किसी फिक्र के इन गाड़ियों को खरीदा जा सकता है.’

वहीं, पटना हाईकोर्ट की वकील आनंदी सिंह का कहना है कि ‘कानून में इस बात का प्रावधान है कि जब्त वाहनों को तय समय सीमा में रिलीज किया जाए लेकिन पुलिस रिपोर्ट में देरी और कानूनी प्रक्रियाओं में जटिलता की वजह से महंगी गाडियां कबाड़ में तब्दील हो जाती हैं.’ जिला प्रशासन की इस पहल की तारीफ करते हुए आनंदी ने कहा कि ‘जिला प्रशासन के इस फैसले से सरकार को राजस्व की प्रप्ति होगी, थानों को जगह मिलेगी और लोगों को कम दाम में बढ़िया गाड़ी मिल सकेगी.’

जिला प्रशाशन का ये फैसला स्वागतयोग्य है क्योंकि जब्त वाहनों की निलामी नहीं होने से सरकार को करोड़ों रुपए के राजस्व का नुकसान झेलना पड़ता है. वहीं, जब्त वाहनों की वजह से थाना परिसर कबाड़ की शक्ल में तब्दील होने लगे हैं और सबसे बड़ी बात कि जिला प्रशासन के इस फैसले की वजह से गाड़ी का संपना संजोए लोगों का अपनी गाड़ी का सपाना भी कम दाम में पूरा हो जाएगा.

वाहनों की नीलामी प्रक्रिया काफी जटिल है. लावारिस अवस्था में बरामद या जब्त वाहन के छह माह बाद निस्तारण की प्रक्रिया शुरू की जानी चाहिए. वाहन जब्त होने के बाद पुलिस धारा 102 के तहत रिकॉर्ड में रखती है और इसकी जानकारी न्यायालय को देती है. न्यायालय से निर्देश मिलने के बाद पुलिस सार्वजनिक स्थानों पर पंपलेट, इश्तेहार चिपका कर या समाचारपत्रों के माध्यम से उस वाहन से उन गाड़ियों की जानकारी सार्वजनिक करती है. इंतजार के बाद भी जब वाहन का मालिक नहीं आता है तो न्यायिक प्रक्रिया शुरू की जाती है. इसमें लंबा समय लगता है.

आंकड़ों के अनुसार, पटना जिले के 67 थानों में 17 हजार से ज्यादा दो पहिया वाहन जब्त हैं जबकि चार पहिया वाहनों की संख्या 8 हजार के उपर है.

Source : Zee News

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