हाल ही में तृणमूल कांग्रेस की सांसद और बांग्ला फिल्मों की मशहूर एक्‍ट्रेस नुसरत जहां (Nusrat Jahan) ने व्यवसायी निखिल जैन से अपने शादी के टूटने पर चुप्पी तोड़ी है. नुसरत कहना है कि उनकी शादी भारत में मान्य नहीं है इसलिए उन्हें औपचरिक तलाक की जरूरत नहीं हैं. नुसरत ने एक विस्तृत बयान जारी कर साफ किया है कि यह शादी भारतीय कानून (Indian Laws) के मुताबिक वैध नहीं थी और इसके साथ ही यह भी कहा कि यह तुर्की (Turkey) के कानून के तहत भी वैध नहीं हैं.  आइए जानते हैं कि आखिर तुर्की  में शादी का कानून क्या है और उसकी भारतीय कानून में क्या स्थिति है.

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तुर्की का कानून क्यों

नुसरत और निखिल जैन की शादी साल 2019 में तुर्की में ही डेस्टिनेशन वेडिंग के तौर पर हुई थी. अब नुसरत ने इस शादी को अमान्य करार दिया है. उनका कहना है कि तुर्की मैरिज रेग्युलेशन के अनुसार विदेशी धरती पर होने की कारण यह विवाह समारोह अमान्य है. ऐसे में यह जानना बहुत जरूरी है कि शादी को तुर्की में कितनी और कैसी मान्यता मिलती है वह भी दो विदेशीयों की शादी को.

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तुर्की में शादी का कानून

तुर्की के सिविल कोड के फैमिली लॉ कॉन्ट्रैक्ट की कड़ी नियामक औपचारिकताएं हैं. जिनका पूरा होना जरूरी है. सिविल रजिस्ट्रेशन सर्विसेस एक्ट में तुर्की में शादी करने के औपचारिकताओं के बारे में बताया गया है. तुर्की में केवल सिविल मैरिज  को ही वैधानि मान्यता दी जाती है.जब एक देश के दो विदेशी नागरिक तुर्की में शादी करना चाहते हों तो उन्हें तुर्की में अपने देश के दूतावास के या उन तुर्की अधिकारियों के सामने उपस्थित होना होगा जो सिविल मैरिज कराने के लिए अधिकृत किए गए हैं.

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यह भी है जरूरी

तुर्की अधिकारियों के सामने शादी करने पर उन्हें शादी की इजाजत के प्रमाण देने होंगे. इन दस्तावेजों को अपने देश या फिर तुर्की में उनके देश के दूतावास से हासिल किया जा सकता है. शादी करने जा रहे दोनों लोगों को शादी के दिन से कुछ दिन पहले ही तुर्की आना होगा. इसके साथ ही एक तुर्की अनुवादक का होना बहुत जरूरी है जब दोनों ही उम्मीदवारों को तुर्की भाषा नहीं आती हो.

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तो भारत के लिहाज से क्या है स्थिति

अहम बात यह है कि अगर कोई दो विदेश तुर्की में शादी करना चाहते हैं और वे अपने देश में कानूनन शादी नहीं कर सकते हैं तो वह तुर्की में भी शादी नहीं कर सकेंगे. इसके अलावा हर देश में शादी के अपने कानून और शर्तें हैं और उन नियम एवं शर्तों की पूरा होने पर ही वह शादी वहां मान्य होती है ऐसा ही भारत में भी है. इस लिहाज से नुसरत के मामले में भारतीय कानून ही उसी तरह से लागू होंगे जो दूसरे भारतीय नागरिकों के लिए लागू होते हैं.

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क्या है स्पेशल मैरिज एक्ट

नुसरत ने अपने बयान में स्पेशल मैरिज एक्ट 1954 का जिक्र किया है जो भारत में सिविल मैरिज जिसे रजिस्टर्ड मैरिज भी कहते हैं. यह कानून भारतीय नागरिको के लिए है चाहे वे किसी भी धर्म के हों. इसके तहत हुई शादियों पर कोई भी पर्सनल लॉ लागू नहीं होता. लेकिन इसके लिए एक कानूनी प्रक्रिया से गुजरना होता है. नुसरत का अंतरधार्मिक विवाह है इसलिए इस विवाह पर केवल यही कानून लागू हो सकता है. नुसरत का कहना है कि उनकी शादी इस कानून के तहत भी मान्य नहीं है.

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दरअसल नुसरत और निखिल ने डेस्टिनेशन वेडिंग की थी जिसे कानूनी मान्यता हर जगह नहीं मिलती यह एक तरह का विवाह समारोह होता है जिसे कई लोग खास तरह की मैरिज पार्टी तक कह देते हैं. भारत में भी विवाह समारोह कानूनी रूप से शादी हो यह जरूरी नहीं हैं. यहां तक कि धार्मिक रीति रिवाजों की गई शादी को भी तलाक के मामलों में कई तरह की कानून अड़चनों का सामाना करना पड़ सकता है.

Source : News18

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