INDIA
धीरेंद्र शास्त्री को चुनौती देने वाले श्याम मानव को जान से मारने की धमकी, पुलिस ने बढ़ाई सुरक्षा

बागेश्वर धाम वाले धीरेंद्र शास्त्री को चुनौती देने वाले अंधश्रद्धा निर्मूलन समिति के उपाध्यक्ष श्याम मानव की सुरक्षा अचानक बढ़ा दी गई है. श्याम मानव को पहले भी सुरक्षा मिली हुई थी, लेकिन अब इसे और ज्यादा बढ़ा दिया गया है. यह कदम उन्हें जान से मारने की धमकी मिलने के बाद उठाया गया है. पहले श्याम मानव की सुरक्षा में महाराष्ट्र स्पेशल प्रोटेक्शन यूनिट के 2 जवान तैनात रहते थे. इनके पास हथियार भी होता था. लेकिन अब उनके साथ SPU के 2 जवानों के अलावा दो गनमैन और 3 पुलिसकर्मी भी मौजूद रहेंगे. यानी अब उनकी सुरक्षा में 4 बंदूकधारी रहेंगे.
श्याम मानव नागपुर के सरकारी आवास रवि भवन में पिछले कई दिनों से रुके हुए हैं. यही से वे बागेश्वर धाम के धीरेंद्र शास्त्री पर आरोप-प्रत्यारोप लगाते हुए उन्हें चुनौती देते आए हैं. बता दें कि हाल ही में सुरेश भट सभागृह में हुए श्याम मानव के कार्यक्रम के दौरान कुछ लोगों ने हंगामा किया था.
अंधश्रद्धा निर्मूलन समिति के श्याम मानव ने धीरेंद्र शास्त्री को चुनौती दी थी कि अगर वो उनके बीच दिव्य दरबार लगाते हैं और चमत्कार करके दिखाते हैं तो वो उन्हें 30 लाख रुपये देंगे. समिति का कहना था कि धीरेंद्र शास्त्री ‘दिव्य दरबार’ नाम से जो सभा करते हैं, उसमें दो कानूनों का उल्लंघन होता है. पहला 2013 का महाराष्ट्र का जादू-टोना विरोधी कानून और दूसरा 1954 का ड्रग्स एंड रेमेडीज एक्ट.
श्याम मानव ने कहा, ‘मैंने कभी धर्म या भगवान के खिलाफ कभी कोई बात नहीं की. ना ही मैंने कभी धीरेंद्र शास्त्री महाराज के बारे में कुछ अपशब्द कहे हैं. मैं तो सिर्फ उन लोगों के खिलाफ हूं, जो धर्म के नाम पर लोगों को ठगते हैं. मैं उन अंधविश्वासों के बारे में बात करता हूं, जो धर्म के नाम पर फैलाए जा रहे हैं.’
क्या है महाराष्ट्र अंधश्रद्धा निर्मूलन समिति?
नाम से ही पता चलता है कि ये समिति ‘अंधविश्वास’ के खिलाफ काम करती है. इस समिति का गठन 1989 में हुआ था. इस समिति की स्थापना नरेंद्र दाभोलकर ने की थी. 2013 में दाभोलकर की हत्या कर दी गई थी. समिति के मुताबिक, वो लोगों को गुमराह करने वाले ‘अंधविश्वासों’ के खिलाफ काम करती है. समिति मुख्य रूप से महाराष्ट्र में एक्टिव है.
रिपोर्ट्स के मुताबिक, समिति ने 1999 में कथित चमत्कारों के लिए मदर टेरेसा को संत की उपाधि देने का विरोध किया था. हालांकि, समिति ने बीमार लोगों की सेवा के लिए उनकी तारीफ भी की थी. इस समिति ने नदियों में गणेश मूर्तियों की विसर्जन के खिलाफ भी अभियान चलाया था. समिति ने नदियों और झीलों को गंदा होने से बचाने के लिए लोगों से छोटी मूर्तियों और नुकसान न पहुंचाने वाले रंगों का इस्तेमाल करने की अपील की थी.
2011 में समिति ने मानसिक रूप से बीमार लोगों को ‘चमत्कार’ से ठीक किए जाने के नाम पर टॉर्चर करने का विरोध किया था. दरअसल, उस समय जलगांव के चालीसगांव की एक दरगाह में ऐसा ही चमत्कार करने का दावा किया जा रहा था. समिति ने इसका विरोध किया था.
Source : Aaj Tak
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कड़ी कार्रवाई : सट्टेबाजी-कर्ज वाले 232 चीनी ऐेप बंद

केंद्र सरकार ने चीनी कनेक्शन सामने आने के बाद 232 मोबाइल ऐप को प्रतिबंधित कर दिया है। इसमें 138 ऑनलाइन सट्टा खिलाने वाले और 94 अनधिकृत रूप से ऋण देने वाले ऐप शामिल हैं। इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने पिछले हफ्ते गृह मंत्रालय से इन ऐप को प्रतिबंधित करने की सिफारिश की थी। इसके बाद मंत्रालय ने यह फैसला लिया है।
संप्रभुता को नुकसान गृह मंत्रालय के अनुसार, इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय से मिले इनपुट के बाद इन ऐप की जांच शुरू की गई। पता चला है कि इन ऐप पर भारत की संप्रभुता और अखंडता को नुकसान पहुंचाने वाले कंटेट मौजूद हैं। यह आईटी एक्ट की धारा-69 के तहत अपराध है।
लाखों जीतने का लालच देते हैं जांच में पता चला है कि ये ऐप लोगों को लोन लेने और सट्टा खेलकर लाखों जीतने का लालच देते हैं। बाद में कर्ज न चुका पाने पर उन्हें भद्दे मैसेज भेजते हैं। उनकी तस्वीरों से छेड़छाड़ कर वायरल करने की धमकी देते हैं। इससे परेशान होकर आंध्र प्रदेश, तेलंगाना के कुछ लोगों ने आत्महत्या कर ली थी। तेलंगाना, ओडिशा और उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों ने भी गृह मंत्रालय से ऐप पर कार्रवाई करने को कहा था। मंत्रालय ने बताया कि कुछ लोगों ने इन ऐप के खिलाफ जबरन वसूली और उत्पीड़न की शिकायतें भी की थीं। शिकायत करने वालों ने इन ऐप से छोटी रकम लोन ली थी, बाद में उन्हें प्रताड़ित किया जाने लगा।
गृह मंत्रालय ने छह महीने पहले लोन देने वाले 28 चीनी ऐप का विश्लेषण शुरू किया। जिसमें पता चला कि 94 ऐप ई-स्टोर्स पर उपलब्ध हैं। कई ऐप थर्ड पार्टी लिंक के जरिए काम कर रहे हैं। इन ऐप में चीनी कनेक्शन सामने आने के बाद इन पर प्रतिबंध की प्रक्रिया शुरू हुई।
Source : Hindustan
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बीबीसी डॉक्युमेंट्री पर तत्काल बैन हटाने से सुप्रीम कोर्ट का इनकार, सरकार से मांगे दस्तावेज

सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात दंगा 2002 को लेकर बीबीसी डॉक्युमेंट्री मामले में सुनवाई पूरी कर ली है। शीर्ष अदालत ने डॉक्युमेंट्री पर तत्काल बैन हटाने से इनकार कर दिया है। अदालत ने केंद्र को नोटिस जारी करते हुए मामले में ओरिजिनल दस्तावेज जमा करने को कहा है। इसके लिए सरकार को तीन सप्ताह तक का वक्त दिया है। मामले में अगली सुनवाई अप्रैल में होगी।
2002 के गुजरात दंगों पर बीबीसी की डॉक्युमेंट्री के सोशल मीडिया लिंक को बैन करने के आदेश के खिलाफ दायर जनहित याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई पूरी कर ली है। सुप्रीम कोर्ट ने बीबीसी डॉक्युमेंट्री पर तत्काल बैन हटाने से इनकार कर दिया। साथ ही मामले में केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया है। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र को तीन सप्ताह के भीतर मामले में ओरिजिनल दस्तावेज जमा करने को कहा है।अगली सुनवाई अप्रैल माह में होगी।
साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने इस प्रकरण में पत्रकार एन राम, टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा और अधिवक्ता प्रशांत भूषण द्वारा संयुक्त रूप से दायर याचिका पर कोई अंतरिम आदेश जारी करने से इनकार कर दिया है।
Source : Hindustan
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600 करोड़ साल पुरानी शिलाओं से कैसे तराशी जाएंगी रामलला की मूर्तियां, छेनी-हथौड़ी की नहीं है इजाजत

अयोध्या में बन रहे भगवान राम के भव्य मंदिर में रामलला की मूर्ति तैयार करने के लिए नेपाल से शाली ग्राम शिलाएं लाई गई हैं। ये शिलाएं नेपाल के काली गंडकी नदी से लाई गई हैं। बताया जा रहा है कि करीब 600 करोड़ साल पुरानी इन शिलाओं से ही रामलला की मूर्ति को तैयार किया जाएगा लेकिन सामने चुनौती है कि इन शिलाओं पर लोहे के औजारों का इस्तेमाल वर्जित हैं। यानी छेनी और हथौड़ी के जरिए रामलला की मूर्ति नहीं बनाई जाएगी।
तो सवाल उठता है कि ऐसे में इन भारी भरकम शिलाओं पर किस चीज का इस्तेमाल कर रामलला की मूर्ति तैयार की जाएगी?
हीरे काटने वाले औजार से होगा मूर्ति का निर्माण
ऐसा बताया जा रहा है कि लोहे का इस्तेमाल वर्जित होने की वजह से छेनी या हथौड़ी का इस्तेमाल इन शिलाओं पर नहीं किया जाएगा। तो ऐसे में इन शिलाओं के जरिए रामलला की मूर्ति को गढ़ने के लिए हीरे काटने वाले औजार का प्रयोग किया जाएगा। नेपाल से लाई गई दो शिलाओं का वजन काफी ज्यादा है इन में से एक 26 टन की तो दूसरी शिला 14 टन की है।
इन शिलाओं पर रिसर्च करने वाले भूगर्भीय वैज्ञानिक डॉ. कुलराज चालीसे ने दावा किया है कि मां जानकी की नगरी से भगवान राम के स्वरूप निर्माण के लिए लायी गई देवशिला में 7 हार्नेस की है। इसलिए लोहे की छेनी के जरिए इन्हें नहीं गढ़ा जा सकता है।
डॉ. कुलराज चालीसे का मानना है कि करीब 600 करोड़ साल पहले की इन शिलाओं पर लोहे के औजारों के बजाए हीरे काटने वाले औजारों का इस्तेमाल किया जाएगा।
26 जनवरी को नेपाल में लादी गई शिलाओं को तकनीकी विशेषज्ञों की देखरेख में चार क्रेनों की मदद से उतारा गया। ये शालिएं 1 फरवरी को अयोध्या पहुंची। अगले दिन वैदिक मंत्रोच्चार के साथ देव शिलाओं की पूजा की गई। फिर इन्हें राम मंदिर समिति को सौंप दिया गया। इससे पहले पूजा-अर्चना के लिए शिलाओं को फूल मालाओं से सजाया गया था।
Source : Hindustan
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