पटना. राष्ट्रपति चुनाव में बड़ी बहुमत से द्रौपदी मुर्मू के जीत के बाद बिहार की राजनीति में एक नई चर्चा शुरू हो गई है. भारत के संविधान ‘सेकुलर’ शब्द हटाने की मांग उठने लगी है. जदयू के पूर्व प्रवक्ता अजय आलोक ने देश के प्रधान मंत्री से बड़ी मांग करते हुए कहा है कि मेरी और मेरे साथ पूरे भारत के लोगों की अपील है कि इसी मॉनसून सत्र में विपक्ष की मौजूदगी में संविधान से ”सेक्युलर” शब्द नाम का कलंक हटा कर बाबा साहब को श्रधांजलि दी जाए.
अजय आलोक ने अपने ट्वीट में लिखा, ‘सेकुलर’ शब्द संविधान में विपक्ष की गैरमौजूदगी में जोड़ा गया था, मगर उनकी मौजूदगी में हटा दीजिए. पूरा देश देखना चाहेगा कि इस शब्द को हटाने का विरोध कौन कर रहा है. खुलकर सामने आना चाहिए ऐसे लोगों को. अजय आलोक ने कहा कि इस देश में कोई ‘सेकुलर’ नहीं है; सभी अपने धर्म में आस्था रखते हैं और पूजा, इबादत, प्रार्थना करते हैं. सिर्फ कट्टरवादी चाहते हैं सेकुलरिज्म की आड़ में दूसरे धर्म के लोगों को निशाना बनाया जाए. इसमें पहले निशाने पे हिंदू हैं; जो दूसरे धर्म का सम्मान करते हैं. संभल जाओ सब लोग.
पूरा देश देखना चाहेगा की इस शब्द को हटाने का विरोध कौन कर रहा हैं , खुल के सामने आना चाहिए ऐसे लोगों को @PMOIndia https://t.co/KTTM9ynsHc
— Dr Ajay Alok (@alok_ajay) July 22, 2022
बता दें कि अजय आलोक ने उस स्थिति का उल्लेख किया है जब ‘सेकुलर’ शब्द संविधान में बाद में जोड़ा गया था. भारत के संविधान की प्रस्तावना जब तैयार की गई थी तो शुरुआत में इसमें सेकुलर शब्द नहीं था. वर्ष 1976 में इमरजेंसी के दौरान प्रस्तावना में संशोधन किया गया, जिसमें ‘सेकुलर’ शब्द को शामिल किया गया था. जिस समय संविधान में ‘सेकुलर’ शब्द जोड़ा जा रहा था उस समय विपक्ष सदन में नहीं था. विपक्ष की गैरमौजूदगी में तत्कालीन सरकार ने इसे संविधान में जोड़ा था. ‘सेकुलर’ शब्द संविधान में बाद में जोड़ा गया और यही कारण है कि कई बार विभिन्न हलकों से इसे हटाने की मांग की जाती रही है.
Source : News18