बीआरए बिहार विश्वविद्यालय के लिए स्नातकोत्तर फर्स्ट सेमेस्टर में ऑनलाइन एडमिशन गले की फांस बनती जा रही है। इस संबंध में सबसे बड़ा पेच सरकार की अनुमति के बिना पीजी में सीटों का कॉलेज स्तर पर निर्धारण किया जाना है। सरकार के निर्देश का उल्लंघन कर कॉलेजों को पीजी कक्षाओं की सीटों का निर्धारण किया। इसके लिए बीआरए बिहार विश्वविद्यालय भी जिम्मेदार है। हुआ यह कि सरकार ने 2001 के पहले तक कई बार पीजी कक्षाएं चलाने और सीटों के निर्धारण को लेकर निर्देश जारी किए थे। लेकिन, इसके बाद सीटों के निर्धारण को लेकर सरकार ने कोई दिशा निर्देश नहीं दिया था।

एक बार स्नातक कक्षाओं के लिए 20 फीसद सीटों को विषय वार बढ़ाने का निर्देश दिया था। अब उसी आदेश को कॉलेजों में पीजी में भी लागू कर दिया। यहां तक कुछ पीजी विभागों में विश्वविद्यालय ने भी सीटों का निर्धारण मनमाने ढंग से होने पर मौन साधा। विवि के आला अफसरों की एक बैठक में समस्या की गंभीरता पर चर्चा हुई। अब छात्र कल्याण परिषद के अध्यक्ष डॉ. सुनील कुमार सिंह सरकार के सभी आदेश पत्रों की संचिका तलाश करवा रहे हैं।

विवि द्वारा सूची तैयार कर पीजी कक्षाएं चलाने वाले कॉलेजों का सारा रिकार्ड तलाश करा रहे हैं। ताकि, सरकार को यथोचित जवाब दे सकें। परिषद के अध्यक्ष ने कहा कि एडमिशन कमेटी की बैठक में विस्तृत चर्चा और ऑनलाइन एडमिशन की प्रगति पर चर्चा होगी। उधर, एक गंभीर समस्या यह भी है कि अभी तक स्नातक आनर्स उत्तीर्ण छात्रों को अंक पत्र तक नहीं मिला। उन्हें ऑनलाइन एडमिशन के लिए वांछित प्रमाण पत्रों को मिलने में कितना समय लगेगा। यह एक अलग सवाल है।

Input : Dainik Jagran

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