उत्तर प्रदेश के फिरोजाबाद में बेसिक शिक्षा विभाग में मिड-डे-मील में 11 करोड़ रुपये से अधिक का घोटाला सामने आया है. विजिलेंस टीम की जांच के मुताबिक, यह गबन साल 2008-2014 के बीच किया गया था.

प्राइमरी स्कूल शिकोहाबाद में कार्यरत सहायक अध्यापक चंद्रकांत शर्मा ने साल 2006 में सारस्वत आवासीय शिक्षा समिति के नाम से एक समिति का गठन किया. इसका सोसाइटी एक्ट के तहत रजिस्ट्रेशन कराया. साल 2008 से 2014 तक फिरोजाबाद जिले में मिड-डे-मील योजना के तहत इसे 11,46,40,384 रुपये की रकम का भुगतान सरकार की ओर से किया गया.

इतनी बड़ी रकम कई बार में पंजाब नेशनल बैंक, शिकोहाबाद में जमा की गई. इस रकम को फिर पंजाब नेशनल बैंक से निकालकर कई अन्य बैंकों में फर्जी नाम से खोले गए खातों में जमा की गई.

विजिलेंस की जांच के अनुसार, चंद्रकांत शर्मा ने इस रकम से आगरा और अन्य इलाकों में संपत्ति खरीदी. आरोपी ने इस संपति पर अवैध भवन बनाकर बिजली का कनेक्शन भी ले लिया.

जांच अधिकारी अमर सिंह के अनुसार, इस घोटाले में चंद्रकांत के साथ कई अन्य विभाग भी शामिल रहे. इसमें शिक्षा विभाग, मिड-डे-मील समन्वयक, डाकघर, आगरा आवास विकास परिषद, नगर निगम फिरोजाबाद, उपनिबंधक चिटफंड रजिस्ट्रेशन और टोरंटो पावर सहित कई बैंक भी इस फ्रॉड में शामिल रहे.

फर्जी दस्तावेज पर सोसाइटी का रजिस्ट्रेशन

चंद्रकांत शर्मा ने 2006 में अपने पिता को संस्था का अध्यक्ष और मां को कोषाध्यक्ष बना कर सारस्वत आवासीय शिक्षा समिति के नाम से आगरा स्थित सोसाइटी कार्यालय का रजिस्ट्रेशन कराया था.

साल 2008 में फिरोजाबाद जिले में मिड-डे-मील की आपूर्ति का ठेका मिलते ही अपने माता-पिता को मृतक दिखाकर वह खुद सुनील शर्मा के नाम से कोषाध्यक्ष बन गया. उसने अपनी पत्नी बेबी शर्मा को समिति का अध्यक्ष बना दिया. हैरानी की बात यह है कि उसके माता-पिता जीवित हैं.

जब विजिलेंस टीम ने जांच की तो 11,46,40,384 रुपये की रकम उसने पहले शिकोहाबाद स्थित पंजाब नेशनल बैंक में जमा की. बैंक की मिलीभगत से इतनी बड़ी रकम को कई अन्य बैंकों में सुनील शर्मा के नाम से खोले गए फर्जी खातों में ट्रांसफर करा दिया, जिससे कई जगह प्रॉपर्टी खरीदी गई. उसने आगरा में आवास विकास की कमर्शियल संपत्ति खरीदी, जिसमें बिना नक्शा पास किए हुए भवन बना दिया गया, बिजली के कनेक्शन भी ले लिया गया.

इन धाराओं में मुकदमा दर्ज

विजिलेंस विभाग ने थाना आगरा सेक्टर में 27 जुलाई को भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 की धारा 13(2), भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 की धारा 13(1)(ए) भारतीय दंड संहिता 1860 की धारा 120 बी, 471, 468 467, 420, 409 के तहत मुकदमा दर्ज कराया. बता दें कि चंद्रकांत शर्मा पहले भी जेल जा चुका है. अभी वह प्राथमिक विद्यालय जाजपुर (टूंडला) में प्रधानाध्यापक है.

इस मामले में चंद्रकांत शर्मा ने बताया कि उसके खिलाफ फिरोजाबाद जिले में ही साल 2014 में भी भ्रष्टाचार का एक केस दर्ज हुआ था. बाद में वह बरी हो गया था.

अब विजिलेंस की जांच में उसके खिलाफ फिर मुकदमा दर्ज हुआ है. उसने विजिलेंस जांच अधिकारी अमर सिंह के खिलाफ पहले भी कई जगह शिकायत की है.

Source : Aaj Tak

Muzaffarpur Now – Bihar’s foremost media network, owned by Muzaffarpur Now Brandcom (OPC) PVT LTD

Leave a comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *