नए वित्तीय वर्ष यानी एक अप्रैल 2023 से बिहार में 40 फीसदी तक बिजली महंगी हो सकती है। बिजली कंपनियों की ओर से मंगलवार को बिहार विद्युत विनियामक आयोग के समक्ष इससे संबंधित प्रस्ताव को लेकर याचिका सौंपी जाएगी। कंपनी ने इसकी तैयारी कर ली है। बीते वर्षों की तर्ज पर इस बार भी कंपनी ने अनुदानरहित याचिका दायर करने का निर्णय लिया है। हालांकि आयोग कंपनी की याचिका पर जनसुनवाई के बाद ही नई दर तय करेगा।

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बिजली कंपनी हर साल 15 नवम्बर तक बिजली दर का प्रस्ताव आयोग को सौंपता रहा है। उसी परम्परा के तहत ट्रांसमिशन कंपनी की ओर से बिहार स्टेट पावर ट्रांसमिशन कंपनी लिमिटेड, बिहार ग्रिड कंपनी लिमिटेड और स्टेट लोड डिस्पैच सेंटर अलग-अलग याचिका दायर करगी। जबकि घरेलू, व्यावसायिक और औद्योगिक श्रेणी के उपभोक्ताओं की बिजली दर तय करने के लिए नॉर्थ बिहार पावर डिस्ट्रीब्यूशन कंपनी लिमिटेड और साउथ बिहार पावर डिस्ट्रीब्यूशन कंपनी लिमिटेड अलग-अलग याचिका दायर करेगी।

याचिका में खास बिजली आपूर्ति के खर्च में हुई वृद्धि को आधार बनाते हुए कंपनी ने सभी श्रेणी को मिलाकर सम्रगता में 35-40 फीसदी तक वृद्धि करने का प्रस्ताव देने का निर्णय लिया है। इसके पीछे कंपनी का तर्क है कि केंद्र सरकार ने बिजली इकाइयों के लिए विदेशी कोयले का उपयोग करने का एक मानक तय कर दिया है। इससे बिहार सहित सभी राज्यों को मौजूदा समय की तुलना में महंगी बिजली मिलेगी। साथ ही, कंपनी फिक्स्ड चार्ज में भी वृद्धि का प्रस्ताव देने जा रही है। इसके अलावा पिछले चार वर्षों में से दो साल आयोग ने शून्य तो दो वर्ष मामूली बिजली दर वृद्धि की। जबकि कंपनी का वास्तविक खर्च बहुत अधिक बढ़ गया है। उपभोक्ताओं को गुणवत्तापूर्ण बिजली देने का हवाला देते हुए कंपनी ने याचिका में अधिक दर बढ़ाने का अनुरोध किया जा रहा है।

याचिका में यह भी

अधिक वृद्धि के प्रस्ताव के साथ ही कंपनी ने उपभोक्ताओं को कई मदों में प्रोत्साहन राशि देने का भी निर्णय लिया है। कंपनी ने तय किया है कि तय क्षमता से अधिक भार होने पर जो स्मार्ट प्रीपेड मीटर के उपभोक्ताओं से अधिक पैसा लिया जाता है, उसे छह माह शथिल किया जाए। इस अवधि में उपभोक्ता खपत के अनुसार भार बढ़ा लेंगे ताकि उन्हें अधिक पैसा नहीं देना पड़े। कंपनी ने 2021-22 में हुए वास्तविक खर्च व आमदनी के साथ वित्तीय वर्ष 2022-23 की संभावित आमदनी और खर्च का ब्योरा दिया है। कंपनी वर्ष 2023-24 में होने वाले खर्च का आकलन करते हुए आयोग से पैसे मांगेगी।

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कंपनी ने तय समय में बिजली दर की याचिका सौंपने का निर्णय लिया है। बिजली उत्पादन इकाइयों में विदेशी कोयले का उपयोग करने की बाध्यता और बिजली आपूर्ति में हो रहे खर्च को देखते हुए ही वृद्धि का प्रस्ताव दिया जा रहा है। -संजीव हंस, प्रधान सचिव, ऊर्जा विभाग सह अध्यक्ष सह प्रबंध निदेशक, बिजली कंपनी।

Source : Hindustan

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