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ताबड़तोड़ महंगाई और खाद्य सामग्रियों पर जीएसटी केंद्र सरकार की विफलता का है परिणाम : राजू दानवीर

पटना, 22 जुलाई 2022 : जन अधिकार युवा परिषद के प्रदेश अध्यक्ष राजू दानवीर ने जन अधिकार पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष पप्पू यादव के आह्वान पर कल 23 जुलाई को महंगाई, अग्निवीर योजना और हाल में खाद्य पदार्थों पर लगी GST के खिलाफ आयोजित राज्यव्यापी महाधरना को लेकर कहा कि देश हो या प्रदेश, सभी सरकारों ने जनता से अपनी दूरी बना ली है, जिसका नतीजा है कि वे आँख मूँद कर फैसले करती है और पिसती जनता है। इसलिए हमारी पार्टी कल पूरी मजबूती के साथ प्रदेश भर में राष्ट्रीय अध्यक्ष पप्पू यादव जी के नेतृत्व में राज्यव्यापी महाधरना देगी, जिसे सफल बनाने में जन अधिकार युवा परिषद के साथी पूरी तरह से तैयार हैं।
दानवीर ने कहा कि केंद्र की मोदी सरकार ने जनता को महंगाई से राहत दिलाने का वादा कर सत्ता हासिल की, लेकिन आज तक महंगाई कम करना तो दूर की बात है, यह सरकार महंगाई पर अंकुश तक लगाने में विफल रह है। पेट्रोल – डीजल से लेकर अब रोजाना इस्तेमाल में आने वाली वस्तुओं की बढ़ी हुई कीमत ने आम जनता को परेशान कर दिया है। नतीजातन केंद्र की सरकार में पहले लोगों के थाली से दाल – सब्जी गायब हुए और अब दूध दही भी छीनने का काम तथाकथित राष्ट्रवादी सरकार कर रही है। उन्होंने कहा कि देश की आर्थिक हालत लगातार बिगड़ रहे हैं। डॉलर के मुकाबले रुपया पहली बार 80 तक गिर गया है। लेकिन सरकार को इसकी कोई चिंता ही नहीं है। इस वजह से देश लगातार श्रीलंका जैसे हालात की ओर बढ़ रहे हैं, जो सही नहीं हैं। राम – राम जप कर देश की जनता का राम नाम सत्य करने में केंद्र सरकार लगी हुई है।
उन्होंने कहा कि भारत के सेना देश का अभिमान है, जिसने कई लड़ाईयां जीती और देश को दुश्मनों से सुरक्षित रखा है। मगर आज एक नेशन एक पेंशन की बात करने वाली सरकार ने सेना का मनोबल तोड़ने के लिए अग्निवीर जैसी योजना को लागू कर रही है। उसमें भी अब जाति पूछी जा रहा है। क्या सरकार आरएसएस की सेना बना रही है? आज तक तो सेना में भर्ती के लिए जाति कभी नहीं पूछी गई, फिर आज इसे लागू कर सरकार सेना के मनोबल को तोड़ने का काम कर रही है, जबकि पड़ोसी मुल्क चीन लगातार हमारी सीमा पर दबिश बना रहा है। उन्होंने कहा कि अपने मित्रों की सेवा में धर्म – जाति की राजनीति कर केंद्र सरकार ने देश को कमजोर करने का काम किया है। इसके खिलाफ हम सबों को एकजुट होना होगा।
दानवीर ने बिहार में निजी कंपनियों द्वारा लगाए गए प्रीपेड बिजली मीटर को लेकर भी राज्य सरकार को घेरा और कहा कि बिजली के निजीकरण के बाद निजी कंपनियां जनता का दोहन कर रही है। प्रीपेड मीटर ने जनता के ऊपर बोझ बन गई है, जिसमें उनसे पहले के मुकाबले ज्यादा पैसे वसूले जा रहे हैं और जब मीटर से पैसे खत्म हो जाते हैं, तब उनकी बिजली काट दी जाती है। इससे लोगों को खूब परेशानी हो रही है। इसलिए हम राज्य सरकार से प्रीपेड मीटर को हटाने और इस समस्या का समाधान करने की मांग करते हैं।
उन्होंने कहा कि उपर्युक्त चीजों के खिलाफ जन अधिकार पार्टी अपना विरोध दर्ज कराने और देश व प्रदेश की बाहरी सरकार को जनता के दुख – दर्द से अवगत कराने के लिए हम पटना के गर्दानीबाग में और पार्टी प्रदेश भर में महाधरना दे रही है।
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पत्नी को गैर की बाहों में देखा तो पति ने कर दी हत्या, लिखा- इसका यही अंजाम होता है

पूर्णिया. बिहार के पूर्णिया में एक महिला की निर्मम तरीके से हत्या कर दी गई. महिला का अर्धनग्न शव उसके किराये के मकान से मिला है. मृतका का नाम कल्याणी है. घटना शहर के खजांची हाट थाना के प्रभात कॉलोनी की है. घटना की सूचना मिलते ही सदर एसडीपीओ सुरेंद्र कुमार सरोज, थाना प्रभारी अनिल कुमार समेत पुलिस बल मौके पर पहुंचे और मामले की जांच में जुट गई. घटनास्थल से पुलिस को एक नोट भी मिला है, जिसमें लिखा है कि पति के रहते दूसरे से संबंध बनाने का यही नतीजा होता है.
नीचे में नाम नीरज लिखा हुआ है. दरअसल नीरज मृतका कल्याणी के पति का भी नाम है. पुलिस को आशंका है कि पति ने ही किसी वजनदार चीज रोटी बनाने वाले तवे से सिर पर वारकर उसकी हत्या कर दी है. मृतका का मोबाइल भी पति के पास ही है. सदर एसडीपीओ सुरेंद्र कुमार सरोज ने बताया कि हत्या का शक पति पर ही है. उन्होंने कहा कि महिला कल्याणी का ससुराल बड़हरा कोठी थाना इलाके में पड़ता है. मृतका यहां पर रहकर किसी प्राइवेट एक्स-रे में काम करती थी.
शनिवार की शाम को उसकी सहेली जो कि मृतका के साथ ही रहती थी, जब पहुंची तो महिला कल्याणी का शव घर में देखा. उसके बाद इसकी सूचना उसने पहले घर के मालिक को दी. गृहस्वामी प्रदीप कुमार ने बताया कि महिला पिछले डेढ़ माह से उनके घर में किराये पर रहती थी. वह ऑफिस से आकर अपने घर में लेटा था तभी लड़की जो उसी कमरे में किराये पर रहती है ने उसे बताया कि कल्याणी की किसी ने हत्या कर दी है.
पुलिस ने बताया कि एक महीने पहले ही महिला के 4 साल के बेटे को उसके दादा अपने साथ घर लेकर चले गए थे. घटना के दिन महिला का पति नीरज भी यहां आया था. आशंका है कि उसी ने कल्याणी की हत्या कर दी और मोबाइल लेकर फरार हो गया है. फिलहाल पुलिस मामले की जांच कर रही है. मृतका का पति काफी दिनों से अपनी पत्नी से अलग रहता था.
Source : News18
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समस्तीपुर : पिस्टल से केक काटा, ड्रोन से खिंचाई फोटो,गर्लफ्रेंड से रिश्ता टूटने पर मनी ब्रेकअप पार्टी

यूं तो आपने बर्थ डे, मैरेज एनिवर्सरी, फेयरवेल जैस कई तरह के उत्सव के माहौल पर केक काटते हुए देखा होगा. अक्सर जन्मदिन, विवाह के वर्षगांठ एवं अन्य अवसरों पर केक काटे जाते हैं और उस मौके पर उत्सवी माहौल होता है लेकिन बिहार से एक ऐसा मामला सामने आया है जहां गर्ल फ्रेंड से हुए ब्रेकअप पर केक काटा गया, जश्न मनाया गया.
इस मौके पर जमकर नाच गाना हुए लेकिन इस ब्रेकअप पार्टी में जो सबसे खास बात रही वो ये कि युवाओं की टोली के द्वारा इस ब्रेकअप पार्टी में जो केक काटा गया उसमें चाकू की बजाय पिस्टल का प्रयोग किया गया और जमकर हथियारों का नुमाइश की गई.
मामला समस्तीपुर का है जहां हुए इस अनोखे ब्रेकअप पार्टी की तस्वीरें अब सोशल मीडिया मे वायरल हो रही है. इन तस्वीरों में युवकों की टोली के द्वारा यहां पार्टी किसी सुनसान जगह पर लेकिन उत्सवी माहौल में किया जा रहा है, वहीं जमकर हथियार भी लहराये जा रहे हैं.
समस्तीपुर जिले में हुई ये घटना जिले के विद्यापतिनगर थाना क्षेत्र अंतर्गत मनियारपुर गांव की बतायी जा रही है. गर्लफ्रैंड से ब्रेकअप होने के बाद युवक ने बेहतर साज-सज्जा के साथ पार्टी बुलाई थी और जमकर जश्न मनाया इस दौरान डीजे की धुन पर खूब नाच गाना भी हुआ.
इस दौरान पार्टी में डीजे साउंड और लाइटिंग की भी व्यवस्था की गयी थी और पूरे कार्यक्रम को ड्रोन कैमरे से भी कवर किया गया. पार्टी में दोस्तों के लिए खाने-पीने की भी व्यवस्था थी.
ये घटना कब की है, इसकी पुष्टि नहीं हो सकी है. हालांकि जानकार लोगों का बताना है कि यह मामला विद्यापति के मनियारपुर गांव का है. पार्टी के केक पर अमित एन्ड निशा ब्रेकअप डे लिखा हुआ था.
पार्टी की तस्वीरें वायरल होने के बाद सवाल उठता है पार्टी किसी भी तरह की हो लेकिन उस पार्टी में हथियार की नुमाइश कहां तक उचित है. मामला पुलिस तक पहुंचा है जिसके बाद पुलिस घटना की जांच कर कार्रवाई की बात कह रही है..
Source : News18
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नीतीश कुमार ने भले तोड़ा हो भाजपा से गठबंधन, हरिवंश नहीं देंगे इस्तीफा; बने रहेंगे राज्यसभा के उपसभापति

भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के साथ गठबंधन तोड़ने के जनता दल (यूनाइटेड) के फैसले ने न केवल बिहार में राजनीतिक समीकरण को बदल दिया, बल्कि पटना से लेकर दिल्ली तक के सियासी गलियारों में सरगर्मी बढ़ा दी है। इस बीच यह चर्चा हो रही है कि क्या राज्यसभा के उपसभापति और जेडीयू सांसद हरिवंश अपने पद पर बने रहेंगे या इस्तीफा देने जा रहे हैं।
हरिवंश के एक करीबी ने नाम नहीं छापने की शर्त पर न्यूज एजेंसी एएनआई को बताया कि जेडीयू नेता एक संवैधानिक पद पर हैं और जो लोग इस तरह के पद पर बैठे हैं वे अपने कर्तव्यों के निर्वहन के दौरान किसी राजनीतिक दल से संबंधित नहीं होते हैं। उन्होंने कहा, “उन्हें इस्तीफा क्यों देना चाहिए?”
जेडीयू ने बैठक में भी नहीं बुलाया
पटना में नीतीश कुमार द्वारा 9 अगस्त को बुलाई गई जेडीयू की बैठक में हरिवंश के शामिल नहीं होने के बारे में पूछे जाने पर राज्यसभा के उपसभापति के सहयोगी ने कहा, “उन्हें बैठक में आमंत्रित नहीं किया गया था। इसलिए वह वहां नहीं गए थे, लेकिन नीतीश कुमार के लिए उनके मन में बहुत सम्मान है।”
अपने पद पर बने रहेंगे हरिवेश: JDU नेता
हरिवंश को 8 अगस्त, 2018 को राज्यसभा के उपसभापति के रूप में चुना गया था। 14 सितंबर, 2020 को संसद के ऊपरी सदन में अपने दूसरे कार्यकाल के लिए लौटने के बाद उन्हें राज्यसभा के उपसभापति के रूप में फिर से चुना गया था। जेडीयू के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि हरिवंश का पार्टी से गहरा नाता है और उनके संवैधानिक पद पर बने रहने की संभावना है।
नीतीश के लिए भी पूरा सम्मान
जेडीयू नेता ने न्यूज एजेंसी एएनआई से कहा, “हरिवंश जी हमारे सुप्रीमो और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के लिए पूरा सम्मान और सम्मान रखते हैं, लेकिन यह भी समझना चाहिए कि राज्यसभा का सभापति एक संवैधानिक पद है और निर्वाचित व्यक्ति छह साल तक इस पद पर रहता है। इसलिए इसका कोई प्रभाव नहीं होना चाहिए। बिहार में राजनीतिक स्थिति बदलने के बावजूद उनके पद पर बने रहने की संभावना है।”
भाजपा ने बनाया था डिप्टी स्पीकर
बिहार के एक अन्य जेडीयू नेता ने कहा कि हरिवंश के नाम का प्रस्ताव भाजपा ने किया था और उन्हें कई दलों के समर्थन से चुना गया था। उन्होंने एएनआई को बताया, “मौजूदा राजनीतिक स्थिति में राज्यसभा के उपसभापति को उनके पद से तभी हटाया जा सकता है जब भाजपा उनके खिलाफ अविश्वास व्यक्त करे।”
संवैधानिक होता है उपसभापति का पद
राज्यसभा के एक पूर्व महासचिव ने नाम न छापने की शर्त पर कहा कि उपसभापति, अध्यक्ष या उपाध्यक्ष का पद संवैधानिक होता है। देश या राज्य या किसी भी राजनीतिक दल की राजनीतिक स्थिति में बदलाव के बावजूद उनके प्रभाव में कोई परिवर्तन नहीं किया जाना चाहिए।
उन्होंने कहा, “इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि उनकी पार्टी सत्ता में है या विपक्ष में। संवैधानिक पद पर ऐसे लोग सदन के नियम का पालन करने के लिए बाध्य हैं और संविधान उनके लिए सर्वोच्च होना चाहिए। मेरा मानना है कि राज्यसभा के उपसभापति का पद गैर-राजनीतिक है।”
कई उदाहरण
एक उदाहरण का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि प्रोफेसर पीजे कुरियन (कांग्रेस) 21 अगस्त 2012 को राज्यसभा के उपसभापति चुने गए थे और वर्ष 2014 में लोकसभा चुनाव के बाद केंद्र में सरकार बदलने के बावजूद 1 जुलाई 2018 तक अपने पद पर बने रहे। इसके अलावा उन्होंने कहा, “नजमा हेपतुल्ला (कांग्रेस) 18 नवंबर, 1988 से 4 जुलाई, 1992, फिर 10 जुलाई 1992 से 4 जुलाई 1998 और 9 जुलाई 1998 से 10 जून 2004 तक राज्यसभा की उपसभापति रहीं। इस बीच 4 मौकों पर सरकार बदली, लेकिन वह उपसभापति के रूप में अपने कार्यालय में बनी रहीं।”
उन्होंने आगे कहा कि माकपा नेता सोमनाथ चटर्जी 4 जून 2004 को 14वीं लोकसभा के अध्यक्ष चुने गए थे। माकपा केंद्र में तत्कालीन संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (यूपीए) सरकार की सहयोगी थी। भारत-अमेरिका परमाणु समझौते के मुद्दे पर माकपा ने जुलाई 2008 में सरकार से समर्थन वापस ले लिया। हालांकि, चटर्जी ने लोकसभा अध्यक्ष का पद संभालना जारी रखा।
नीतीश कुमार ने बिहार में फिर बदला पाला
आपको बता दें कि नीतीश कुमार ने एक दिन पहले पद से इस्तीफा देने और भाजपा के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) छोड़ने के बाद बुधवार को रिकॉर्ड आठवीं बार मुख्यमंत्री पद की शपथ ली। राजद नेता तेजस्वी यादव उपमुख्यमंत्री बनेंगे। बिहार में नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली महागठबंधन सरकार राज्य विधानसभा में अपना बहुमत साबित करने के लिए 24 अगस्त को एक फ्लोर टेस्ट के लिए जाएगी।
महागठबंधन को विधानसभा में 164 सदस्यों का समर्थन प्राप्त है। नीतीश कुमार ने कांग्रेस और वाम दलों सहित महागठबंधन में राजद और अन्य दलों के साथ हाथ मिलाने से पहले मंगलवार को आठ साल में दूसरी बार भाजपा के साथ अपना गठबंधन तोड़ा। महागठबंधन को हिंदुस्तान आवाम मोर्चा (एचएएम) का भी समर्थन प्राप्त है, जिसके विधानसभा में चार विधायक हैं।
बीजेपी ने नीतीश कुमार पर बिहार की जनता द्वारा दिए गए जनादेश का अपमान करने का आरोप लगाया है। बीजेपी और जद (यू) ने 2020 में विधानसभा चुनाव एक साथ लड़ा था। नीतीश कुमार को मुख्यमंत्री बनाया गया था, हालांकि बीजेपी को ज्यादा सीटें मिली थीं।
Source : Hindustan
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