राज्यसभा जाने से वंचित हुए आरसीपी सिंह (रामचंद्र प्रसाद सिंह) एक समय जदयू में नंबर दो की अहमियत रखते थे। आरसीपी सिंह यूपी कैडर के 1984 बैच के आईएएस अधिकारी रहे हैं। वह 1996 में तत्कालीन केंद्रीय मंत्री बेनी प्रसाद वर्मा के निजी सचिव थे। उसी दौरान वह नीतीश कुमार के संपर्क में आए। मूल रूप से नालंदा निवासी आरसीपी सिंह के नौकरशाह की भूमिका से प्रभावित नीतीश कुमार जब केंद्र में मंत्री बने तो उनको अपने साथ ले आए। वर्ष 1998 में केंद्र में नीतीश कुमार रेल मंत्री थे तो आरसीपी सिंह को अपना विशेष सचिव बनाया।

umanag-utsav-banquet-hall-in-muzaffarpur-bihar

तब से लेकर पिछले साल तक आरसीपी सिंह मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के बेहद करीब रहे। नवंबर, 2005 में नीतीश कुमार जब बिहार के मुख्यमंत्री बने तो आरसीपी सिंह को बिहार लाए और सीएम के प्रधान सचिव की जिम्मेदारी दी। वर्ष 2010 में आरसीपी सिंह ने वीआरएस लिया तो उसी वर्ष जुलाई में नीतीश कुमार ने उन्हें राज्यसभा के लिए नामित किया। वर्ष 2016 में पार्टी ने उन्हें दुबारा राज्यसभा भेजा। दल में रहते हुए आरसीपी सिंह की पार्टी में महत्वपूर्ण भूमिका रही। 27 दिसंबर 2020 को नीतीश कुमार ने खुद इस्तीफा देकर आरसीपी सिंह को पार्टी का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाया। सात जुलाई 2021 को वह केंद्र में जदयू कोटे से केंद्रीय इस्पात मंत्री बने।

आरसीपी सिंह के केंद्रीय मंत्री बनने के बाद ही जदयू का एक तबका उनसे नाराज चल रहा था। दरअसल, पार्टी ने केंद्रीय मंत्रिपरिषद में दो सीटों की मांग रखी थी। लेकिन, एक सीट मिलने के बावजूद आरसीपी सिंह ने केंद्रीय मंत्रिपरिषद में शामिल होने की जल्दीबाजी दिखाई। इतना ही नहीं, जातीय जनगणना के सवाल पर पार्टी के स्टैंड से उन्होंने दूरी रखी। जबकि नीतीश कुमार दशकों से इसके प्रबल समर्थक रहे। इसके बाद से ही यह कयास लगाया जा रहा था कि आरसीपी सिंह तीसरी बार राज्यसभा नहीं जाएंगे। गत 20 मई को पहली बार दल के विधायकों से राज्यसभा उम्मीदवार पर चर्चा की गई। पार्टी के विधायकों व मंत्रियों ने सर्वसम्मति से मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को राज्यसभा का उम्मीदवार तय करने के लिए अधिकृत किया था। उसी दिन से आरसीपी सिंह का टिकट कटना तय माना जा रहा था।

खीरू को उम्मीदवार बना संदेश दिया गया कि जदयू में कार्यकर्ताओं को मौका देने की परंपरा कायम है

अंतत: रविवार को जब पार्टी की ओर से उम्मीदवार के नाम ऐलान किया गया तो आरसीपी सिंह के बदले खीरू महतो का नाम सामने आया। खीरू महतो समता पार्टी के काल से ही दल से जुड़े हुए हैं। इसके पहले भी पार्टी ने कर्नाटक के अनिल हेगड़े को राज्यसभा के लिए नामित किया था। कर्नाटक के बाद झारखंड जदयू के अध्यक्ष खीरू महतो को उम्मीदवार बनाकर जदयू ने यह भी संदेश दिया है कि आने वाले समय में वह अन्य राज्यों में विस्तार पर गंभीरता से काम करेगी। इसके अलावा आरसीपी सिंह जैसे कद्दावर नेता के बदले खीरू महतो को राज्यसभा का उम्मीदवार बनाकर यह संदेश भी दिया गया है कि जदयू में कार्यकर्ताओं को मौका देने की परंपरा कायम है।

खीरू महतो 2005 में हजारीबाग के मांडू विस क्षेत्र से विधायक चुने गये थे। इसके बाद वह विधानसभा चुनाव नहीं जीत पाये। जदयू के राष्ट्रीय नेतृत्व ने पिछले साल 2021 में 14 सितंबर को उन्हें झारखंड जदयू की कमान सौंपी थी। इसके पहले वह 2011 में भी जदयू के प्रदेश अध्यक्ष बनाए गये थे। लेकिन जल्द ही उन्हें यह पद छोड़ना पड़ा।

nps-builders

कांग्रेस की पूर्व सांसद रंजीत रंजन राज्यसभा जाएंगी। पार्टी ने छत्तीसगढ़ से उन्हें राज्यसभा का उम्मीदवार बनाया है। सुपौल की सांसद रह चुकी रंजीत रंजन जाप नेता पप्पू यादव की पत्नी हैं। पिछली बार लोस का चुनाव हार चुकी रंजीत रंजन पार्टी की तेजतर्रार प्रवक्ता के साथ राष्ट्रीय महासचिव भी हैं। राजद से बढ़ती दूरियों के बीच रंजीत रंजन को राज्यसभा भेज कांग्रेस ने एक संदेश देने की कोशिश की है। खासकर राजद के कोर वोटर यादवों को अपनी और आकर्षित करने के लिए पार्टी ने रंजीत रंजन को राज्यसभा भेजा है। उनकी उम्मीदवारी पर कांग्रेस की राष्ट्रीय अध्यक्ष सोनिया गांधी ने मुहर लगाई।

Source : Hindustan

Muzaffarpur Now – Bihar’s foremost media network, owned by Muzaffarpur Now Brandcom (OPC) PVT LTD

Leave a comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *