मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने पदाधिकारियों को निर्देश दिया है कि हर हाल में वर्ष 2025 तक हर खेत तक सिंचाई का पानी पहुंचाएं। इसको लेकर तेजी से काम करें। उन्होंने कहा कि राज्य के अंदर नदियों को जोड़ने की दिशा में भी तेजी से काम करें, ताकि किसानों को सिंचाई के लिए पानी उपलब्ध रहे। सीएम ने सात निश्चय-2 के तहत हर खेत तक सिंचाई का पानी निश्चय योजना की समीक्षा बैठक की। मुख्यमंत्री ने कहा कि 8 जनवरी 2021 की बैठक में हर खेत तक सिंचाई निश्चय योजना के संबंध में एक-एक बात पर चर्चा हुई थी। बड़ी योजनाएं जल संसाधन विभाग को दी गई है। हमलोगों ने जल संसाधन विभाग को बाढ़ प्रबंधन और सिंचाई कार्य के लिए दो भागों में बांट दिया है, ताकि दोनों काम ससमय हो सके। उन्होंने कहा कि अभियंताओं के साथ बैठक कर तेजी से काम को आगे बढ़ाएं। स्थल पर भी जाकर किए जा रहे कार्यों की अद्यतन स्थिति की समीक्षा करें। सीएम ने कहा कि टाल क्षेत्र के लिए कैसी-कैसी योजनाएं बनाई गई हैं, इससे आप सभी भलीभांति अवगत हैं। सभी तरह की सुविधा दी गयी है। कहा कि पहले समस्तीपुर बाढ़ से कितना प्रभावित होता था। बेगूसराय और खगड़िया में काफी समय जलजमाव रहता था। भागलपुर के दक्षिणी और उत्तरी भाग की कैसी स्थिति रहती थी। बाढ़ आने पर दरभंगा, सीतामढ़ी और शिवहर में तो स्थिति और अधिक भयावह रहती थी। बाढ़ आने पर सीतामढ़ी और शिवहर के इलाके में तो चार महीने तक आवागमन बाधित रहता था। चारों ओर पानी से यह इलाका डूबा रहता था। वर्ष 2005 में जाकर हमने देखा उसके बाद काफी काम कराया गया। अब सीतामढ़ी और शिवहर में आसानी से लोग वर्षों भर आवागमन करते हैं।

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औरंगाबाद-कैमूर में चेकडैम बनवाएं

सीएम ने बांका, जमुई, भागलपुर, औरंगाबाद, कैमूर जैसे जिलों में चेकडैम बनवाने का निर्देश दिया। कहा कि चेकडैम से पर्यावरण संरक्षित और हरियाली बरकरार रहती है। ग्राउंड वाटर भी रिचार्ज होता है। जल संसाधन विभाग योजनाएं जल्द पूरा करे। इसके लिए जरूरत पड़े तो सेवानिवृत्त अभियंताओं की सेवा ले। लघु जल संसाधन विभाग को अगर किसी प्रकार की कठिनाई हो रही है तो वे कृषि विभाग के साथ बैठक कर इस काम में मदद लें।

सावन आए एक सप्ताह से अधिक हो गए लेकिन सूबे में पहली बार सूखे का ऐसा संकट दिख रहा है। राज्य की 16 सिंचाई परियोजनाओं में से नौ पूरी तरह सूख गई हैं। तीन में महज 35 फीसदी पानी रह गया है। अन्य परियोजनाओं में भी पूरा पानी नहीं है। हालांकि बुधवार से बारिश शुरू हुई है। इसका कैसा प्रभाव रहता है, यह आगे दिखेगा लेकिन फिलहाल सिंचाई की बड़ी परियोजनाओं की स्थिति खराब है।

सिंचाई परियोजनाओं के सूखने से दक्षिण बिहार के 8 जिलों में स्थिति बेहद गंभीर हो गयी है। किसानों चिंतित हैं। इन जिलों में कैमूर-भभुआ, नालंदा, नवादा, शेखपुरा, जहानाबाद, गया, औरंगाबाद शामिल हैं। जहां काफी मशक्कत के बाद भी खेतों को पानी नहीं मिल पा रहा है। किसान अब आसमान की ओर ही निहार रहे हैं।

राज्य सरकार ने सिंचाई के उद्देश्य से 16 बड़ी सिंचाई परियोजनाओं का निर्माण किया है। खासकर दक्षिण बिहार के जिलों को सूखा से बचाने और किसानों को वैकल्पिक सिंचाई स्रोत उपलब्ध कराना इसका प्रमुख लक्ष्य था। लेकिन इस बार ये परियोजनाएं पानी के लिए तरह तरस रही हैं। इनमें से अधिसंख्य खुद प्यासी हैं।

इन 16 परियोजनाओं में उनकी क्षमता का 9 फीसदी से भी कम पानी उपलब्ध है। पूरी परियोजना में 582 किलोमीटर लंबी नहर प्रणाली है, लेकिन इसमें से 484 किलोमीटर नहर में पानी ही नहीं है। केवल 98 किमी में ही पानी है। ऐसे में इन इलाकों में कैसे सिंचाई होगी, यह बड़ा सवाल है।

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ये परियोजनाएं हैं : सुअरा वीयर योजना, कुदरा वीयर योजना, कर्मनाशा वीयर योजना, जमानियां पंप नहर योजना, पंचाने सिंचाई योजना, पैमार सिंचाई योजना, सकरी सिंचाई योजना, उदेरास्थान सिंचाई योजना, लीलाजन सिंचाई योजना, अपर मोरहर सिंचाई योजना, लोअर मोरहर सिंचाई योजना, बतरे वीयर योजना, कमला सिंचाई योजना, मुनहरा सिंचाई योजना, त्रिशुला सिंचाई योजना, लोअर किउल वीयर योजना

Source : Hindustan

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