28 जिलों के करीब 900 बालू घाटों से अक्टूबर से बालू खनन शुरू होगा। मई 2022 तक केवल 16 जिलों में करीब 435 बालू घाटों से ही बालू का खनन हो रहा था। अभी बालू खनन पर एनजीटी की रोक है। इसके तहत 31 सितंबर तक बालू का खनन नहीं होगा। नदियों में तीन मीटर से अधिक की खुदाई नहीं हो सकेगी। सरकार ने खनन की सीमा तय कर दी है।

नदियों के जलस्तर या 3 मीटर में जो कम होगा, वही खनन की सीमा होगी। इलके अलावा वे 300 मीटर के दायरे में ही बालू का भंडारण कर सकेंगे। 5 किमी से आगे बालू भंडारण के लिए उन्हें अलग से लाइसेंस लेना होगा। बंदोबस्तधारियों को भंडारण स्थल का जियो कार्डिनेट के साथ भंडारण की मात्रा की ऑनलाइन पोर्टल पर जानकारी देनी होगी। उन्हें मानसून के पहले व मानसून के बाद नदियों में बालू पुनर्भरण का अध्ययन भारत सरकार के किसी मान्यता प्राप्त एजेंसी से करवानी होगी। बंदोबस्तधारियों को बंदोबस्ती की रकम 3 किस्तों में देनी होगी। पहली किस्त पट्टा संविदा निष्पादन के पहले, दूसरी 3 माह से पहले व तीसरी किस्त 6 माह से पहले देय होगी। उन्हें खनन स्थन पर शिशुगृह बनवाना होगा।

बंदोबस्तधारियों को ही देनी होगी अवैध खनन की सूचना, घाटों पर रखेंगे नजर

राज्य सरकार ने अवैध खनन को लेकर भी पुख्ता प्रबंध किया है। इसकी जिम्मेवारी बंदोबस्तधारियों को ही सौंप दी है। उनसे उनके बालूघाटों और उसके आसपास नजर रखने को कहा गया है। उनके बालूघाट के 100 मीटर की परिधि में अवैध खनन होने पर बंदोबस्तधारियों को तत्काल इसकी सूचना सरकार को देनी होगी। यदि वे ऐसा नहीं करते हैं तो उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई होगी। वे बालूघाट की सबलेटिंग नहीं कर सकेंगे। उसे किसी दूसरे को उपपट्टा पर नहीं देंगे। बंदोबस्तधारियों को खुद या अपने प्रतिनिधि के माध्यम से बालूघाटों की निगरानी करनी होगी। यही नहीं, उन्हें खनन स्थल का चार फोटो हर सप्ताह जियो कार्डिनेट के साथ अपलोड करना होगा। घाटों पर धर्मकांटा लगवाना होगा और रियल टाइम डाटा विभागीय पोर्टल पर देना होगा। जीपीएस युक्त वाहन तो होंगे ही, वाहन पर लोड शेल उपकरण का भी उपयोग करना होगा।

बालू बंदोबस्तधारियों को हर साल देनी होगी 20 फीसदी अधिक राशि

बालू के बंदोबस्तधारियों को हर साल बालू के बंदोबस्त के लिए 20 फीसदी राशि अधिक देनी होगी। राज्य सरकार की बालू खनन की नई नीति में इसका प्रावधान किया है। बंदोबस्तधारियों को हर वर्ष पिछले वर्ष की तुलना में 120 फीसदी राशि देनी होगी। राज्य सरकार ने सभी जिलों में बालू खनन के लिए टेंडर की प्रक्रिया शुरू कर दी है। जिलाधिकारियों को इसकी जिम्मेवारी सौंपी गयी है। पहली बार नए प्रावधान के तहत बालूघाटों की बंदोबस्ती जिलों को ही करनी है। बालू की बिक्री केवल ऑनलाइन ही होगी। छोटे, मध्यम और बड़े उपभोक्ता इसी माध्यम से बालू ले सकेंगे। इस कारण हर साल बालू की बाजार कीमत बढ़नी तय मानी जा रही है।

Source : Hindustan

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