बिहार के निबंधित दुकानदार और कारखाना संचालकों को सालभर का हिसाब-किताब देना होगा। श्रम संसाधन विभाग ने इस बाबत आदेश जारी कर दिया है। एक साल में दुकानदारों व कारखाना संचालकों ने क्या किया, कितनी आमदनी की, कितने कर्मियों से काम लिया, इसका ऑनलाइन ब्योरा देना होगा। इसके लिए विभाग ने खास तरह का एप्लीकेशन तैयार किया है। ब्योरा के हिसाब से विभागीय कर्मी औचक जांच करेंगे। अगर जानकारी गलत पाई गई तो ऐसे दुकानदार व कारखाना संचालकों के खिलाफ विभागीय कार्रवाई की जाएगी।
लाखों की संख्या में छोटी-बड़ी दुकानें हैं निबंधित राज्य में 82 सौ से अधिक निबंधित कारखाना हैं। इसमें सवा दो लाख से अधिक कर्मी काम करते हैं। इसके अलावा लाखों की संख्या में छोटी-बड़ी दुकानें निबंधित हैं। इनके संचालन के लिए सरकार ने नियम तय कर रखा है। विशेषकर व्यावसायिक दुकान/ प्रतिष्ठान में श्रम अधिनियमों का हर हाल में पालन हो, इसकी देख-रेख विभाग को करनी है। दुकान में काम करने वाले कर्मी को हर हाल में न्यूनतम मजदूरी मिले, विभाग यह सुनिश्चित करता है। काम के दौरान मजदूरों के हितों की सुरक्षा हो, साप्ताहिक अवकाश, काम के घंटे आदि का पालन हो, यह भी जरूरी है। बड़े दुकानों में काम करने वाले कर्मियों के लिए चिकित्सीय बीमा के साथ ही उनके परिजनों के लिए भी आर्थिक व सामाजिक सुरक्षा मिले, श्रम अधिनियम यह भी सुनिश्चित करता है।
नियम के खिलाफ काम लेने की आती हैं शिकायतें
सरकार को समय-समय पर इसकी सूचना मिलती रहती है कि दुकानों/प्रतिष्ठानों में काम करने वाले कर्मियों से श्रम अधिनियम के खिलाफ काम लिया जा रहा है। ऐसे में जब तक इनके द्वारा पूरी जानकारी नहीं दी जाती, विभाग इस संबंध में मिलने वाली शिकायतों पर कार्रवाई नहीं कर सकेगा। हालांकि दुकान/प्रतिष्ठान संचालकों की ओर से पहले भी इस तरह का हिसाब दिया जाता रहा है, लेकिन इस बार विभाग ने सबों को ऑनलाइन ही जानकारी देने को कहा है। विभाग की इस सुविधा के बाद व्यावसायिक गतिविधियों में लिप्त दुकानदार घर बैठे ही पूरी जानकारी सरकार के साथ साझा कर सकते हैं।
संचालकों की ओर से दी गई जानकारी के आधार पर विभाग राज्य भर में औचक जांच कर सकेगा। जांच और संचालकों की ओर से दी गई जानकारी में अगर अंतर पाया गया तो उनके खिलाफ आवश्यक कार्रवाई की जाएगी। विभाग के एक वरीय अधिकारी ने कहा कि सरकार की इस कार्रवाई के पीछे उद्देश्य यह है कि राज्य में व्यावसायिक गतिविधियां बढ़े, लेकिन उसमें काम करने वाले कर्मियों के साथ भेदभाव नहीं हो।
Source : Hindustan