बिहार पुलिस की स्पेशल टास्क फोर्स अब संगठित अपराध के खिलाफ बड़े पैमाने पर कार्रवाई शुरू करनेवाली है। एसटीएफ ने जिलों के टॉप 10 अपराधियों पर शिकंजा कसने की जिम्मेदारी अपने स्पेशल ऑपरेशन ग्रुप (एसओजी) को दी है। इसके लिए एसओजी की दस टीमों का गठन किया गया है। हर टीम को अलग-अलग जिलों के मोस्टवांटेड की धर-पकड़ का टारगेट सौंपा गया है। जल्द ही एसओजी की कार्रवाई का नतीजा देखने को मिलेगा।

डीएसपी-इंस्पेक्टर कर रहे एसओजी का नेतृत्व

एडीजी ऑपरेशन, सुशील खोपड़े ने बिहार के अलग-अलग जिलों के मोस्टवांटेड क्रिमिनल के खिलाफ कार्रवाई के लिए एसओजी की दस टीमें बनाई हैं। डीएसपी या इंस्पेक्टर रैंक के अधिकारी अलग-अलग टीम का नेतृत्व कर रहे हैं। एसओजी की एक टीम के जिम्मे कई जिले हैं। उन्हीं जिलों के टॉप क्रिमिनल पर उस टीम को फोकस करना है। इसी तरह सभी जिलों को इन दस स्पेशल ऑपरेशन ग्रुप के बीच बांटा गया है।

एसओजी के पास अभी तीन अभियान सेंटर हैं। पटना, गया और मुजफ्फरपुर में सभी दस टीमों को रखा गया है। जल्द ही पूर्णिया में भी नया सेंटर शुरू हो जाएगा। फिलहाल इन्हीं तीन सेंटरों से एसओजी अपना अभियान संचालित करेगा। स्पेशल ऑपरेशन ग्रुप, एसटीएफ के ही स्पेशल इंटेलिजेंस ब्यूरो का एक पार्ट है। जिलों के टॉप क्रिमिनल की गिरफ्तारी के लिए इन्हें खुफिया सूचनाएं एकत्र करने और ऑपरेशन चलाने का जिम्मा दिया गया है। एसटीएफ से जुड़े अधिकारी के मुताबिक एसओजी के निशाने पर खासकर वैसे अपराधी हैं जो संगठित तौर पर अपराध को अंजाम देते हैं।

एसटीएफ का गठन वर्ष 2000 में किया गया था। इसका मकसद नक्सलियों पर लगाम लगाने के साथ संगठित अपराध के खिलाफ अभियान चलाना है। बिहार में हाल के वर्षों में नक्सली काफी कमजोर हुए हैं। बीते कुछ महीनों में तो उनकी गतिविधियां लगभग खत्म हो गई हैं। ऐसे में अब एसटीएफ ने पेशेवर अपराधियों की धर-पकड़ पर फोकस किया है। यही वजह है कि एसओजी की दस टीमें विशेष तौर पर गठित की गई हैं।

Source : Hindustan

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