समस्तीपुर जिले के हसन सूरत पटोरी के 27 वर्षीय सुमन कुमार करीब चार साल से पेट दर्द और भोजन निगलने में तकलीफ से पीड़ित थे। प्रारंभिक उपचार पर लाभ न होने पर उन्हें आईजीआईएमएस रेफर किया गया। यहां गैस्ट्रोसर्जरी विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ साकेत कुमार ने उनका जांच की और इलाज़ शुरू किया। जांच में उनके आहारनली में कैंसर होने का पता चला। कैंसर एडवांस्ड स्टेज में था, इसलिए पहले कीमोथेरेपी देकर कैंसर के आकार को छोटा किया गया।
गुरुवार को डॉ साकेत कुमार ने टीम के साथ मिलकर कैंसर को जड़ से निकल दिया। कैंसर को निकालने के लिए पूरी आहार नली के साथ पेट के भी आधे भाग को काटकर हटाया गया। सर्जरी दूरबीन विधि से की गई, जिसकी वजह से छाती पर कोई बड़ा चीरा नहीं देना पड़ा। ऑपरेशन के दूसरे दिन मरीज़ बिल्कुल स्वस्थ है और बातचित कर रहा है।
मेडिकल भाषा में ‘इसोफाजेक्टोमी’ नाम से जाने वाले इस ऑपरेशन को शरीर के सबसे जटिल ऑपरेशन्स में से एक माना जाता है। आम तौर पर इस सर्जरी में छाती खोलकर कैंसर को आहार नली के साथ निकला जाता है। इस विधि में बहुत रक्तस्राव होता है और कई दिनों तक मरीज़ को हॉस्पिटल में रहना पड़ता है। मगर दूरबीन विधि से ऑपरेशन में बहुत कम खून बहता है और पांच से छह दिनों में ही अस्पताल से छुट्टी मिल जाती है।
गैस्ट्रोसर्जरी डिपार्टमेंट में ये सर्जरी अब एडवांस्ड 4के लैपरोस्कोपी सिस्टम से किया जा रहा है। अभी तक यह मशीन बिहार के गिने चुने अस्पतालों में ही मौजूद है। इस एडवांस्ड मशीन से सर्जरी बहुत सुगम और सुरक्षित हो जाता है।
Source : Hindustan